घर में बच्चों के ‘गंदे अंकल’ को ऐसे पहचानें ..?

लड़के से रेप, अंकल को मार डाला
बच्चियों जितने छोटे लड़कों का यौन शोषण, घर में बच्चों के ‘गंदे अंकल’ को ऐसे पहचानें

जाने-माने एक्टर, राइटर, गीतकार और कवि पीयूष मिश्रा जब सातवीं क्लास में थे तो उनका यौन शोषण हुआ। पीयूष मिश्रा ने अपनी किताब ‘तुम्हारी औकात क्या है?’ में अपना यह दर्द बयां किया है। उन्होंने लिखा है कि इस यौन शोषण का मेरे मन पर गहरा असर पड़ा।

मैं बरसों तक सहज नहीं हो पाया। उस यौन उत्पीड़न ने मुझे जिंदगी भर की तकलीफ दी। इससे उबरने में लंबा समय लगा। थिएटर करते हुए इस दर्द से निजात मिली। मैंने जमकर काम किया जिससे बुरी यादों को दिल से निकालने में मदद मिली।

हाल ही में दिल्ली में 16 साल के एक लड़के ने बार-बार अपना रेप करने वाले आदमी को डंडे से पीट-पीटकर मार डाला। बिहार का ये लड़का फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के सपने को लेकर घर से भागा था।

मगर, वह किसी तरह दिल्ली पहुंच पाया, जहां उसकी मुलाकात 45 साल के एक आदमी से हुई, जिसने उसे अपने साथ रखा। वह उसके सपने पूरे कराने का बहाना बनाकर अक्सर उसके साथ गंदी हरकतें करता। आखिरकार तंग आकर लड़के ने उसकी हत्या कर दी।

इससे पहले बीते मार्च में ही इंदौर की एक विशेष अदालत ने पोक्सो एक्ट के तहत पहली बार किसी लड़की को 10 साल कैद की सजा सुनाई।

राजस्थान की 19 साल की लड़की 16 साल के लड़के को बहला-फुसलाकर गुजरात ले गई। वहां लड़की ने उस लड़के को एक फैक्ट्री में काम पर लगवाया और लड़के को बंधक बनाकर खुद के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर करती। काफी समय तक इस लड़की ने नाबालिग लड़के का रेप किया। मामला, 2018 का था, जिसमें सजा अब हुई।

ये तो रही तीन कहानियां, जहां लड़कों के यौन शोषण की बात सामने आई। हालात की गंभीरता समझने के लिए इस स्टडी को पढ़ना भी जरूरी है।

आधे से ज्यादा लड़कों ने झेला यौन शोषण

2007 में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय ने देश में चाइल्ड अब्यूज को लेकर एक स्टडी कराई। इसके मुताबिक, देश में 53.2 फीसदी बच्चों ने एक या कई बार यौन शोषण झेला। इसमें से 52.9 फीसदी तो लड़के ही थे। इस स्टडी का नतीजा ये रहा कि बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए 2012 में पोक्सो एक्ट लाया गया।

‘बटरफ्लाईज’ नाम की संस्था द्वारा ‘ब्रेकिंग द साइलेंस’ नाम से कराई गई एक स्टडी के मुताबिक, जिन लड़कों का यौन शोषण हुआ, उनके दरिंदे ज्यादातर लड़के के जानने वाले ही थे। संस्था की डायरेक्टर रीता पणिक्कर कहती हैं कि समाज में यौन शोषण को सिर्फ लड़कियों और कमजोर लोगों से ही जोड़कर देखा जाता है।

जबकि लड़की हो या मासूम लड़का दोनों को बराबर सुरक्षा और संरक्षण चाहिए। सोसाइटी में छोटे बच्चों, लड़की के अलावा लड़कों से होने वाले यौन शोषण को लेकर जागरूकता नहीं है। न ही लोग ये मानते हैं कि छोटे लड़कों के साथ भी ऐसे हादसे होते हैं।

बच्चों को यौन शोषण से बचाने पर काम कर रही संस्था ‘आरंभ इंडिया’ के पोर्टल पर छपी एक स्टडी के मुताबिक, एक सर्वे में हिस्सा लेने वाले लड़कों में से करीब 53 फीसदी ने बताया कि उन्होंने एक या उससे ज्यादा तरीके का सेक्शुअल एब्यूज झेला, जो कई बार बेहद गंभीर किस्म का रहा।

बच्चों ने अपने यौन शोषण के दर्दनाक अनुभव को शेयर करते हुए बताया कि उनके साथ सेक्शुअल अब्यूज के अलग-अलग तरीके भी अपनाए गए। जैसे- जबरन किस करना, सफर में गंदी हरकतें और पोर्न दिखाना।

बच्चों को सिखाएं ‘प्राइवेट बॉडी पार्ट्स’ के 5 अचूक नियम

NGO ‘समाधान अभियान’ और देश में ‘पोक्सो अवेयरनेस रन अभियान’ चलाने वाली अर्चना अग्निहोत्री बताती हैं कि बच्चों को यह बताया जाना बेहद जरूरी है कि उन्हें किन बातों को माता-पिता के साथ बिने डरे और बिना शर्माए शेयर करना है। इसके लिए बच्चों के प्राइवेट बॉडी पार्ट्स के रूल्स बताने चाहिए। बच्चों को बताना चाहिए कि हर एक के शरीर में तीन प्राइवेट पार्ट्स होते हैं। होंठ, छाती और टांगों के बीच का सामने और पीछे का हिस्सा।

  • पहला नियम– न किसी के बॉडी पार्ट्स देखने चाहिए और न ही किसी को अपने बॉडी पार्ट्स दिखाने चाहिए।
  • दूसरा नियम– न किसी के बॉडी पार्ट्स छूने चाहिए और न ही कोई आपके बॉडी पार्ट्स छू सकता है।
  • तीसरा नियम– बॉडी पार्ट्स को लेकर किसी को नहीं चिढ़ाना चाहिए और न कोई आपके बॉडी पार्ट्स को लेकर आपको चिढ़ा सकता है।
  • चौथा नियम– प्राइवेट बॉडी पार्ट्स की सुरक्षा का ध्यान रखें। डॉक्टर को भी दिखाते समय बच्चा अकेला न हो। बच्चा माता-पिता के साथ हो।
  • पांचवां नियम– बच्चे को ये बताएं कि ये चार नियम उसे हमेशा सुरक्षित और खुश रखेंगे। इन नियमों को कोई तोड़ नहीं सकता। अगर कोई इन्हें तोड़ता है तो बच्चे को सबसे पहले उस व्यक्ति को मना करना है और घर में आकर माता-पिता को इसके बारे में जरूर बताना है।

कैसे पहचानें कि घर में कोई चाइल्ड अब्यूजर है

रांची में चाइल्ड साइकेट्रिस्ट कंसल्टेंट डॉ. वरुण एस मेहता कहते हैं चाइल्ड अब्यूजर ज्यादातर घर का या उसके आसपास का व्यक्ति या परिवार का जानने वाला ही कोई हो सकता है।

वहीं, अर्चना बताती हैं कि अपराधी बच्चे के नजदीक आता है और पूरे परिवार का भरोसा जीत लेता है। ये कोई जेल से छूटा अपराधी नहीं है। वह हमारे आसपास रहता है और परिवार का हिस्सा भी हो सकता है।

90 फीसदी चाइल्ड अब्यूजर बच्चे या उसके परिवार से जुड़े लोग ही होते हैं। चाइल्ड अब्यूजर इमोशनल ब्लास्टर होता है। यानी भावुकता वाली बातें करेगा, रोएगा और खुद को कमजोर बताएगा।

अभी तक हुई कई स्टडी में यह नई बात सामने आई है कि ज्यादातर चाइल्ड अब्यूजर अब बच्चे की मोबाइल से फोटो ज्यादा खींचते हैं और अकेले होते ही बच्चे के करीब जाने का मौका तलाशते रहते हैं।

बच्चे को सबसे पहले तैयार करता है चाइल्ड अब्यूजर

अर्चना बताती हैं कि अपराधी सबसे पहले बच्चे को ग्रूम करता है। यानी उसे तैयार करता है। जैसे- बच्चे के नजदीक जाना, उसके परिवार के सबसे करीबी लोगों का दिल जीतना। बच्चे के पास पहुंचने पर वह सबसे पहले प्राइवेट बॉडी पार्ट्स के नियम जरूर तोड़ेगा। वह थोड़ा-थोड़ा बच्चे को आजमाएगा।

जैसे-बच्चे के सामने कोई गंदी बात बोलेगा और देखेगा कि बच्चे का क्या रिएक्शन है? उसके बाद बच्चे के प्राइवेट बॉडी पार्ट्स को छूकर देखेगा कि कहीं वह बुरा तो नहीं मान रहा या रो तो नहीं रहा है।

डर से चुप हुआ बच्चा कुछ नहीं बोल पाता तब अपराधी यह जान जाता है कि आगे बढ़ सकता है। अगर बच्चा इन मौकों पर तुरंत आवाज उठाए और न कहे तो ये मामला आगे नहीं बढ़ेगा।

बच्चा ‘गंदे अंकल’ के बारे में बताए तो तुरंत एक्शन लें; ये न कहें कि चुप रहो-किसी से मत कहना

कई बार हो सकता है बच्चा आरोपी को मना न कर पाए तो उसे यह जरूर सिखाएं कि वह माता-पिता को अपने साथ हुई गलत हरकत के बारे में जरूर बताए। अब यहां पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर बच्चा अपने साथ होने वाली गंदी हरकत माता-पिता को बता रहा है तो माता-पिता को उसकी बात सुननी होगी और उस पर सख्त एक्शन लेना होगा।

अगर, उस वक्त आपने बच्चे को कह दिया कि चुप रहो, किसी को मत कहना या गलत समझ रहे हो या अंकल तुम्हें प्यार कर रहे होंगे। तो बच्चा सहमकर चुप रह जाएगा।

यही माता-पिता की सबसे बड़ी गलती होगी जो बच्चे के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होगी। बच्चा अगली बार अपने साथ हो रहे गलत हरकत के बारे में माता-पिता को बताने से डरेगा और चुप हो जाएगा।

गंदे लोगों से बचाने के लिए माता-पिता क्या करें

पहला-जो भी बच्चे के ज्यादा करीब हो रहा है, उस पर नजर रखें।

दूसरा-बच्चे से गंदी बात करने वाले के बारे में निडर होकर बताने के लिए कहें। उसे विश्वास दिलाएं कि आप उसकी बात सुनेंगे।

तीसरा-बच्चे के व्यवहार में आए किसी बड़े बदलाव को नजरअंदाज न करें। जैसे- बच्चे का अचानक चुप हो जाना, बात-बात पर रोना, सोते में चौंकना, ईटिंग डिसऑर्डर आदि।

चौथा-बच्चों को सरप्राइज और सीक्रेट में फर्क बताएं, क्योंकि अपराधी बच्चों से इसी भाषा में बात करता है। सरप्राइज का मतलब है कि जिसके लिए सरप्राइज है, बस उसे नहीं पता होता, बाकी सबको पता होता है। जबकि सीक्रेट दो लोग के बीच एक राज होता है। वो सीक्रेट राज नहीं खतरा है। बच्चे को सरप्राइज और सीक्रेट के मायने जरूर समझाएं और उसे किसी तरह के लालच में न आने को कहें।

कई स्टडी में ऐसा पाया गया है कि -बच्चे के नजदीक जाने वाले लोगों पर अगर माता-पिता चौकन्नी नजर रखते हैं तो वे बच्चे को बचाने में कामयाब होंगे।

यौन शोषण के शिकार लड़के क्या झेलते हैं

यौन शोषण के शिकार लड़के को एंग्जॉयटी, अवसाद, बीती बातें परेशान करती हैं। खानपान संबंधी बर्ताव बदल जाता है। ऐसी जगहों या लोगों से बचते हैं, जो उसे यौन शोषण की याद दिलाती हैं। जिंदगीभर संबंध बनाने के सवाल पर परेशान हो जाते हैं।

अक्सर डरे रहते हैं और हालात के बुरे होने का सोचकर सहमे रहते हैं। पीड़ित ऐसा महसूस करता है कि उसका अपनी बॉडी पर कंट्रोल नहीं रहा। दोबारा यौन हमला या शोषण होने की स्थिति में वो मना नहीं कर पाता। सभी रिश्ते-नाते तोड़ लेना, दोस्तों से बात तक न करना और अकेलेपन से जूझते हैं।

लड़कों से यौन शोषण करने वाले लोग कौन होते हैं

डॉ. वरुण मेहता का कहना है कि लड़कों से यौन शोषण करने वाले किसी भी जेंडर यानी महिला या पुरुष दोनों ही हो सकते हैं। ये किसी भी उम्र के और पीड़ित का कोई भी रिश्तेदार हो सकता है। ऐसे अपराधियों को जबरन, मनोवैज्ञानिक या भावनात्मक रूप से अपने ‘शिकार’ को काबू करना आता है।

बच्चे का यौन शोषण उसके आत्मविश्वास पर आघात

डॉ.  … कहते हैं कि किसी पीड़ित लड़के के लिए ये बताना सबसे कठिन होता है कि उसके साथ यौन शोषण हुआ है। उसे लगता है कि हर कोई उसी को दोषी ठहराएगा या कोई भी उसकी बात पर यकीन ही नहीं करेगा। उसके आत्मविश्वास पर आघात पहुंचता है।

अब जरा कानूनी पेंच भी समझते हैं…

दिल्ली में एडवोकेट केके मिश्रा कहते हैं समाज का ढांचा ही ऐसा होता है कि सब यही सोचते हैं कि रेप या यौन शोषण तो सिर्फ लड़कियों का ही हो सकता है, लड़कों का नहीं।

इसी का फायदा चाइल्ड अब्यूजर उठाते हैं और छोटे लड़कों को अपना शिकार बनाते हैं। बच्चा लड़का है या लड़की उसके साथ यौन शोषण अब पोक्सो एक्ट के दायरे में आता है।

वहीं, बड़ों के मामलों में भारत में कानूनी तौर पर केवल महिला ही यौन उत्पीड़न या रेप केस की पीड़ित हो सकती है, जबकि पुरुष अपराधी हो सकता है।

अगर नाबालिग उम्र से बड़ा लड़का यौन उत्पीड़न का पीड़ित है तो उसे भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत राहत नहीं मिल सकती। केवल आईपीसी की धारा 377 के तहत ऐसे मामलों में ‘सोडोमी’ या समलैंगिक संबंध पर ही चर्चा की जाती है।

लड़के से यौन शोषण हो तो कहें ‘मैं हूं ना’

  • बहुत ही ध्यान और गंभीरता से पीड़ित लड़के की बात सुनें, उसकी बातों पर भरोसा जताएं।
  • आप उसे ज्यादा पॉजिटिव बातें न करें। जैसे कि चलो-सब ठीक हो जाएगा, इससे उल्टा असर पड़ेगा।
  • ये कहें कि मुझे तुम पर भरोसा है। यह कड़वा अनुभव है, मगर इससे भी निकला जा सकता है।
  • पीड़ित लड़के के प्रति प्यार जताएं और कहें कि मुझे तुम्हारी बहुत परवाह है या कहें मैं हूं ना।
  • पीड़ित बच्चे से बार-बार यौन शोषण के बारे में पूरी जानकारी न लें। जब तक कि वह खुद न दे।
  • पीड़ित की बात सुनकर जल्द राय न बनाएं और न ही नसीहत दें। उसके मददगार बनें, दोस्त बनें।
  • पीड़ित लड़के को फौरन मेडिकल सहायता मुहैया कराएं और संवेदनशील बने रहें।
  • कोशिश करें कि कोई मजाक न उड़ा पाए और न ही उसे कोई परेशान करे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *