भोपाल । मध्य प्रदेश में नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के हिसाब से सरकार अधिकारियों-कर्मचारियों का स्थानांतरण करेगी। इसमें ऐसे अधिकारी-कर्मचारी पहले हटाए जाएंगे, जिनकी पदस्थापना को एक स्थान पर तीन साल पूरे हो चुके हैं।

दरअसल, अक्टूबर में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी और चुनाव आयोग सभी प्रमुख विभागों से यह प्रमाण पत्र लेगा कि उनके यहां ऐसा कोई भी अधिकारी तो पदस्थ नहीं है, जिसे एक स्थान पर तीन साल पूरे हो गए हैं।

यदि ऐसा पाया जाता है तो फिर उसे हटाना पड़ेगा और सरकार अपनी पसंद से पदस्थापना भी नहीं कर पाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग ने वर्ष 2023 की तबादला नीति के प्रारूप में इसका प्रविधान प्रस्तावित किया है। इस पर अंतिम निर्णय कैबिनेट बैठक में लिया जाएगा।

संभावना जताई जा रही है कि अक्टूबर में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है। इसके पहले सितंबर में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण का काम होगा। इसमें कलेक्टर, कमिश्नर, अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और 64,100 बूथ लेवल आफिसर की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।
सूची का कार्य प्रभावित न हो इसलिए इनके तबादलों पर प्रतिबंध लग जाएगा। इसे देखते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने तबादला नीति का प्रारूप तैयार किया है। इसमें विभागों को निर्वाचन कार्य से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों का तबादला प्राथमिकता के आधार पर करना होगा क्योंकि चुनाव कार्य की प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद इन्हें आयोग की अनुमति के बिना नहीं हटाया जा सकेगा। इसके साथ ही नेताओं के रिश्तेदारों को भी अभी अन्यत्र पदस्थ कर दिया जाएगा ताकि आचार संहिता लागू होने के बाद शिकायतें न हों।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि प्रशासनिक कार्यों में अभी हमारा कोई दखल नहीं है। जब मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम होगा, तब जरूर इससे संबद्ध अधिकारियों-कर्मचारियों को बिना अनुमति नहीं हटाया जा सकेगा। पदस्थापना को लेकर चुनाव आयोग के स्थायी आदेश हैं, जिनका पालन सुनिश्चित कराया जाएगा।