प्रदेश में हॉट स्पॉट हुए कम, 906 से अब बचे 566, कुख्यात क्षेत्रों में 37% कमी
पुलिस मुख्यालय ने हॉट स्पॉट किए रिवाइज, 473 वार्ड और गांव सूची से बाहर तो 133 नए जुड़े
प्रदेश में हॉट स्पॉट हुए कम, 906 से अब बचे 566, कुख्यात क्षेत्रों में 37% कमी
किस जिले में कितने हॉट स्पॉट …
भोपाल. अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के खिलाफ होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए प्रदेशभर में चिह्नित किए गए हॉट स्पॉट में कमी आई है। पुलिस मुख्यालय की अजाक शाखा ने 2016 से वर्ष 2021 तक एससी-एसटी वर्ग पर हुए अपराधों के आधार पर ऐसे हॉट स्पॉट चिह्नित किए, जहां 5 साल में 5 अपराध दर्ज किए गए। उन क्षेत्रों की भी पहचान की, जहां 5 साल में 10 या इससे अधिक अपराध हुए।
प्रदेशभर में ऐसे 906 हॉट स्पॉट चिह्नित थे। 64 एक्सट्रीम हॉट स्पॉट थे। हॉट स्पॉट पर जनचेतना शिविर, साक्षी संरक्षण योजना के क्रियान्वयन समेत जागरूकता अभियान से अपराधों में कमी आई है। नतीजतन 906 हॉट स्पॉट में से 473 क्षेत्र सूची से बाहर हुए हैं। हालांकि 133 नए हॉट स्पॉट भी चिह्नित किए हैं। हॉट स्पॉट में 37 फीसदी की कमी आई है। एक्सट्रीम हॉट स्पॉट में 9 फीसदी कमी हुई। इधर, अजाक शाखा ने अब हॉट स्पॉट चिह्नित करने के लिए सात साल का समय निर्धारित किया है।
एसटी वर्ग के खिलाफ अपराधों में कमी
मप्र में वर्ष 2022 में एससी-एसटी वर्ग के खिलाफ हुए अपराधों की संख्या 11380 थी। इस साल मई तक 4593 अपराध दर्ज हुए। 0.9% की बढोतरी हुई है। पहले 14% की दर से बढ़ते थे। इस साल शुरुआती पांच महीने में अनुसूचित जनजाति वर्ग के खिलाफ अपराधों में 2.2% की कमी हुई है, वहीं अनुसूचित जाति वर्ग के खिलाफ अपराधों में 1.9% की बढ़ोतरी हुई है।
ग्वालियर
शिवपुरी
सागर
गुना
मुरैना
छतरपुर
कटनी
दमोह
जबलपुर
ग्वालियर-चंबल में सबसे ज्यादा
एससी-एसटी वर्ग के खिलाफ अपराधों के मामले में ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड कुख्यात है। ग्वालियर में सबसे ज्ययादा 69 हॉट स्पॉट हैं। 13 एक्सट्रीम स्तर के हैं। गुना, मुरैना हॉट स्पॉट की टॉप 10 की सूची में शामिल हैं। बुंदेलखंड का सागर तीसरे नंबर पर है। यहां 49 हॉट स्पॉट तो 11 एक्सट्रीम हॉट स्पॉट हैं। जबलपुर में 21 हॉट स्पॉट हैं। पहले 46 जिलों में हॉट स्पॉट थे, जो अब 42 जिलों तक सीमित हो गए हैं। शहरी क्षेत्रों में 387 वार्डों में से 294 में तो 350 थाना क्षेत्रों में से 272 में हॉट स्पॉट रह गए हैं।
इन प्रयासों से आई अपराधों में कमी
जनचेतना शिविर: हॉट स्पॉट में जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पुलिस अफसरों की मौजूदगी में जनसंवेदना शिविर लगाकर विवादों को हल कराया।
साक्षी संरक्षण योजना: उपद्रवी तत्वों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के साथ ही पीड़ितों के लिए शुरू की गई साक्षी संरक्षण योजना से आरोपियों को सजा दिलाने में मदद मिली।
जागरूकता और प्रशिक्षण: जागरूकता कार्यक्रम से आपसी सद्भाव और विश्वास मजबूत हुआ।
मप्र में एससी-एसटी वर्ग के खिलाफ अपराधों की रोकथाम के लिए हॉट स्पॉट चिह्नित कर वहां सामाजिक समरसता को बढ़ाने के साथ ही उपर्द्रवी तत्वों की पहचान की गई। प्रदेश में हॉट स्पॉट की संख्या में कमी आई है। जिन क्षेत्रों में अपराध दर्ज नहीं हुए हैं, उन्हें हॉट स्पॉट की सूची से बाहर किया गया है। राजेश गुप्ता, एडीजी, अजाक शाखा, पीएचक्यू
हॉट स्पॉट कम होने से घटे अपराध
मप्र में वर्ष 2021 में 906 हॉट स्पॉट में प्रतिमाह 96 अपराध दर्ज होते थे। अब आंकड़ा 65 पर आ गया है। एससी-एसटी के खिलाफ होने वाले अपराधों का आंकड़ा 14.7 से घटकर 9 फीसदी बचा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रदेश में जातिगत भेदभाव के मामले बहुत अधिक नहीं हैं। हालांकि अन्य विवादों की वजह से एट्रोसिटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है।