बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद कार्यकर्ताओं पर लट्ठ चलाने वाले नपेंगे यह तय है, लेकिन फिलहाल कार्रवाई रुक गई है। कार्रवाई पुलिस कमिश्नर मकरंद देऊस्कर की जिद के कारण रुकी है। पलासिया चौराहे पर प्रदर्शन करने से पहले हिंदू संगठन के पदाधिकारी कमिश्नर को बुलाने पर अड़े थे लेकिन उन्होंने आने से मना कर दिया था। गुस्साए पदाधिकारियों ने प्रदर्शन करते हुए चक्काजाम कर डाला। अफसरों ने चौराहे पर जमे बजरंग दल पदाधिकारियों के बारे में बताया तो कमिश्नर ने कहा कि सख्ती से हटा दो। जोन-3 के डीसीपी धर्मेंद्र भदौरिया को हटाने के बाद कमिश्नर खुलकर सामने आ गए। उन्होंने कह दिया बल प्रयोग उनकी सहमति से हुआ है। अब कायदे से जिम्मेदारी उनके हिस्से में भी आती है। कार्रवाई के पहले उनकी सुननी चाहिए। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि आगे की कार्रवाई एडीजी विपिन माहेश्वरी की रिपोर्ट के आधार पर होगी।
ई-आफिस से आयुक्त कार्यालय में हड़कंप
पुलिस आयुक्त मकरंद देऊस्कर के नवाचार से आयुक्त कार्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। जबसे ई-आफिस की शुरुआत की है कर्मचारियों की सांसें अटकी हुई हैं। वे अफसर भी सहमे-सहमे हैं जो अभी तक लैपटाप-कंप्यूटर से दूरी बनाए हुए थे। आयुक्त 21 लोगों को पुलिस लाइन का रास्ता दिखा चुके हैं। एक महीने पहले तक आयुक्त कार्यालय के कर्मचारी फाइलों के साथ घंटों खड़े रहते थे। जबसे ई-आफिस हुआ सारा काम आनलाइन होने लगा है। प्रत्येक कर्मचारी-अफसर की मानीटरिंग होने लगी है। कौनसी फाइल किस अफसर के कंप्यूटर में है यह भी नहीं छुपता। हाल में आयुक्त ने उन लोगों की छंटनी की जिनके पास ई-आफिस की आइडी नहीं थी। कतार में खड़ा कर स्पष्ट कर दिया कि आइडी नहीं इसका मतलब तुम्हारे पास काम भी नहीं है। आयुक्त ने 21 कर्मचारियों को एक साथ पुलिस लाइन रवाना करवा दिया। आयुक्त ने यह भी कहा कि दूसरी छंटनी डीसीपी कार्यालयों में होगी।
लोकायुक्त अफसर ही निकला खबरी
अब शुभ-लाभ की शिकायतें भी लोकायुक्त से लीक होने लगी हैं। खबरी शिकायत लेने वाले अफसर खुद हैं। ताजा मामला विजयनगर थाने के पुलिसकर्मियों के विरूद्ध हुई शिकायत का है। शिकायतकर्ता से एसआइ स्तर का अफसर रुपयों की मांग कर रहा था। पीड़ित ने सोचा क्यों न रंगे हाथों पकड़वा दूं। एटीएम से आधी राशि निकालकर संबंधित को देने के बाद शिकायतकर्ता लोकायुक्त अफसर से मिलने पहुंच गया। वसूली के सबूत बताए और कहा कि वह चाहता है खुलेआम रिश्वत मांगने वाले पुलिसकर्मियों को रंगे हाथ पकड़ा जाए। डीसीपी स्तर के अफसर ने पूरा वाकया ध्यान से सुना और शिकायतकर्ता के पीठ मोड़ते ही उन पुलिसवालों को खबर कर दी जिनकी शिकायत हुई थी। यह पहला वाकया नहीं है जब लोकायुक्त से खबर लीक हुई हो। इसके पहले भी जोन-2 के एक अन्य एसआइ के विरूद्ध पहुंची शिकायत आरोपित पुलिसकर्मी तक पहुंच गई थी। हालांकि इस बार डीसीपी ने ही दो को हटा दिया।
भूमाफिया का पूरा कुनबा मुलजिम
कालिंदी गोल्ड जमीन घोटाले में आर्जव अजमेरा पर एफआइआर दर्ज होते ही भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश का पूरा कुनबा मुलजिम बन गया। तेजाजीनगर, विजयनगर, लसूड़िया, बाणगंगा थाने में एक दर्जन से ज्यादा मुकदमे झेल रहे चंपू की पत्नी योगिता, भाई निलेश, भाभी सोनाली, पिता पवन तो पहले ही मुलजिम बन चुके हैं। आर्जव पर भी पटवारी सुधीर गोस्वामी ने शनिवार को एफआइआर दर्ज करवा दी। कायमी के बाद बाणगंगा पुलिस उसके घर पहुंची तो पूरा परिवार गायब मिला। डोजियर तैयार किया तो पुलिसवाले यह सुनकर चौंक गए कि चंपू का पूरा कुनबा ठग है। महीनों जेल रह चुका चंपू जमानत पर तो छूट गया लेकिन पुलिस के डर के अक्सर गायब रहता है। आर्जव ही जमानत संबंधित कामकाज देख रहा था। शनिवार को केस दर्ज होने की खबर मिलते ही वह भी गायब हो गया। निलेश तो पुलिस रिकार्ड में पहले ही भगोड़ा घोषित है।