Burari Permit Racket : परिवहन विभाग के दो बड़े अफसरों की भूमिका संदिग्ध ..!
परिवहन विभाग के दो बड़े अफसरों की भूमिका संदिग्ध, पूछताछ के लिए बुलाया
शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि इन अधिकारियों ने उस समय अवैध रूप से ट्रांसफर हो रहे ऑटो परमिट के मामलों व बुराड़ी अथॉरिटी के अधिकारियों की भूमिका की ठीक से जांच नहीं की।
बुराड़ी अथॉरिटी में गैरकानूनी तरीके से ऑटो परमिट ट्रांसफर मामले में दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के दो अधिकारियों संयुक्त सचिव मनोज व पीसीओ महेश की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि इन अधिकारियों ने उस समय अवैध रूप से ट्रांसफर हो रहे ऑटो परमिट के मामलों व बुराड़ी अथॉरिटी के अधिकारियों की भूमिका की ठीक से जांच नहीं की।
इन अधिकारियों ने जांच के बाद परमिट ट्रांसफर सिस्टम को ठीक बता दिया और लिख दिया की ऑनलाइन तरीके से ऑटो के परमिट ठीक ट्रांसफर हो रहे हैं। वर्ष 2021 में ही ये विभागीय जांच हुई थी। दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोनों ही अधिकारियों को पिछले सप्ताह पूछताछ के लिए एसीबी कार्यालय बुलाया गया था। पूछताछ में दोनों ने लिखित में दिए जवाब में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं लिखा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एसीबी एक-दो दिन में अपनी ड्यूटी का ठीक से निर्वहन नहीं करने पर कार्रवाई के लिए दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग को पत्र लिख रही है। इन अधिकारियों की जांच में ये बात सामने नहीं आई थी कि ऑटो परमिट ट्रांसफर मामले में कितने बड़े मामले में जालसाजी व धोखाधड़ी हो रही है। एसीबी के पत्र के जवाब में दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने लिखा है कि उन्होंने वर्ष 2021 में फेसलेस स्कीम लागू की थी। हालांकि ये लागू 10 अगस्त, 21को लागू हुई थी, मगर इसको चरणों में मार्च महीने से शुरू कर दिया गया था। एसीबी ने परिवहन विभाग को पत्र लिखकर पूछा है कि फेसलेस स्कीम का नोटिफिकेशन कब हुआ था।
1500 केसों का कुछ घंटों में वेरिफिकेशन व मंजूरी
गिरफ्तार मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर सुरेश कुमार के समय में करीब 3500 ऑटो परमिट ट्रांसफर किए गए हैं। एसीबी अधिकारियों का कहना है कि एक केस का पता करने में आठ से 10 दिन लग रहे हैं। ऐसे में पुलिस शुरुआती जांच में 1500 केसों को संदिग्ध मानकर चल रही है। ये वो केस हैं जिसकी दो से तीन घंटों में वेरिफिकेशन कर परमिट ट्रांसफर की मंजूरी दे दी गई। इन केसों की जांच के बाद ही पुलिस अगले केसों को देखेगी। अभी तक 25 से ज्यादा ऐसे मामले आ चुके हैं जिनके असली ऑटो मालिक नहीं थे और उनका परमिट किसी दूसरे के नाम कर दिया गया।
एक मामले में जांच में लगते हैं कई दिन: मधुर वर्मा
एसीबी प्रमुख मधुर वर्मा ने बताया कि जांच प्रक्रिया काफी लंबी है। एक केस की जांच में आठ से दस दिन लगते हैं। ऑटो के असली मालिक को ढूंढ़कर उसे बुलाया जाता है। इसके बाद ऑटो परमिट खरीदने वाले को बुलाया जाता है। कागजात देखे जाते हैं। इसके बाद किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाता है। एसीबी प्रमुख मधुर वर्मा की देखरेख में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त श्वेता सिंह चौहान, एसीपी जनरैल सिंह व इंस्पेक्टर लक्ष्मी की भारी भरकम टीम ने वाहन इंस्पेक्टर सुरेश कुमार, फाइनेंस, डीलर व दलाल आदि 14 लोगों को गिरफ्तार किया है।
आरोपी इंस्पेक्टर की पेशी आज
एसीबी ने गिरफ्तार किए गए इंस्पेक्टर सुरेश कुमार को तीन दिन के पुलिस रिमांड पर ले रखा है। उसका रिमांड सोमवार को खत्म हो रहा है। उसे सोमवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा। एसीबी प्रमुख मधुर वर्मा ने बताया कि अब मुख्य फाइनेंसर को पुलिस रिमांड पर लिया जाएगा।
2021 में अवैध तरीके से ही ट्रांसफर हुए हैं ऑटो परमिट
इंस्पेक्टर सुरेश कुमार की इस समय तैनाती सराय काले खां अथॉरिटी में है। वह जनवरी, 21 से दिसंबर, 21 तक बुराड़ी अथॉरिटी में तैनात थे। अथॉरिटी में ऑटो परमिट ट्रांसफर को अनुमति देने वाला इंस्पेक्टर ही फाइनल अथॉरिटी होती है। सुरेश कुमार ने अपने एक वर्ष के कार्यकाल में 3500 ऑटो के परमिट ट्रांसफर किए। फिलहाल तो 1500 परमिट ट्रांसफर अवैध माने जा रहे हैं।