भोपाल। सत्ता में बरकरार रहने का भाजपा का लक्ष्य हो या सत्ता में वापसी की कांग्रेस की कोशिशें, दोनों के लिए उम्मीदों का सूरज आदिवासी क्षेत्रों से ही उदित होना है। यानी, आदिवासी वोट बैंक जिसके साथ चल देगा, सत्ता के दरवाजे उसी के लिए खुलेंगे। इसका असर इन दिनों प्रदेश की राजनीति और चुनावी तैयारियों पर भी भरपूर देखा जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों आदिवासी समुदाय को अपने साथ जोड़ने की जबरदस्त कवायद कर रहे हैं। प्रदेश में आदिवासी वर्ग की भूमिका सरकार बनाने और बिगाड़ने में महत्वपूर्ण रही है।

पीएम मोदी के बाद राहुल गांधी आ रहे शहडोल

2003 के 15 वर्ष बाद जब आदिवासी वोट ने करवट ली तो भाजपा की सरकार चली गई। वर्ष 2018 में भाजपा की सीटें 32 (एक निर्दलीय) से घटकर आधी यानी 16 बचीं, नतीजा सत्ता चली गई। इधर, कांग्रेस के पास 2013 में 15 आदिवासी सीटें थीं, जो 2018 में बढ़कर 30 हो गईं। अब दोनों ही पार्टी आदिवासियों को अपनी ओर खींचने में लगे हुए हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शहडोल दौरा हुआ तो अब राहुल गांधी भी उसी जिले में ब्यौहारी में जनसभा करने आ रहे हैं।

कांग्रेस उठा रही आदिवासी वर्ग के मुद्दे

उधर, कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार भी आदिवासी समुदाय को लुभाने के लिए कई स्तर पर काम कर रहे हैं। कांग्रेस विपक्ष के तौर पर जहां आदिवासी वर्ग के मुद्दे उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है, वहीं योजनाओं को जाति-वर्ग में बांटने के बजाय सभी के लिए घोषित करते हुए आदिवासी वर्ग को भी साथ जोड़ रही है।

पिछले दो दशकों में कांग्रेस प्रदेश में महज 15 महीने सत्ता में रही है तो उसके पास दावे करने के लिए तथ्य भले ही कम हों, लेकिन वह आदिवासी वर्ग के सम्मान और स्वाभिमान का सवाल लगातार उठा रही है। सीधी पेशाब कांड को कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग के अपमान का मुद्दा बनाकर आदिवासी स्वाभिमान रैली भी निकाली।

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मोदी ने कांग्रेस पर लगाए विकास से दूर रखने के आरोप

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण में आदिवासी वर्ग के लिए भाजपा सरकारों द्वारा किए जा रहे कार्यों को तो गिनाया ही, इस समुदाय को विकास से दूर रखने के आरोप भी कांग्रेस पर लगाए। मोदी जब आदिवासी वर्ग के साथ जुड़ते हैं तो यह बताना नहीं भूलते कि देश की आजादी में आदिवासी वर्ग के महानायकों को कांग्रेस की सरकार ने विस्मृत करने का पाप किया है।

अब भाजपा जनजातीय नायकों के शौर्य और बलिदान की स्मृतियों को देश के गौरव के रूप में पुनर्स्थापना कर रही है। मोदी आदिवासी समुदाय के लोगों से मिले और व्यक्तिगत रूप से चर्चा भी की, उनके साथ भोजन किया और उनकी कला को करीब से देखा। उनके दौरे का पड़ोसी राज्यों छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी आदिवासी समुदाय पर निश्चित रूप से खासा प्रभाव पड़ा होगा।

इसके पहले भी मोदी ने मध्य प्रदेश से ही जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत की थी और देश के पहले विश्व स्तरीय सुविधाओं वाले रेलवे स्टेशन हबीबगंज को गोंड रानी कमलापति के नाम पर किया था। जनजातीय नायकों के सम्मान के क्रम में ही स्वतंत्रता सेनानी मामा टंट्या भील की स्मृतियों को संजोकर नामकरण किए गए हैं। शिवराज सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं।