हजारों मवेशी सड़कों पर … नहीं पकड़ते क्योंकि राजस्व नहीं मिलता
हजारों मवेशी सड़कों पर, इनमें 50 प्रतिशत बैल, एक को भी नहीं पकड़ते क्योंकि राजस्व नहीं मिलता
प्रतिवर्ष 10 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी सड़कों पर बढ़ रहे मवेशी। अधिकारी नहीं खोज पा रहे स्थायी समाधान।
भोपाल : फिलहाल शहर के लोग एक नहीं, बल्कि कई मोर्चों पर परेशानियों को सामना कर रहे हैं। इनमें जलभराव, सड़कों पर हुए गड्ढे, कीचड़ तो है ही, साथ वर्षा शुरू होते ही सड़कों पर बढ़ी मवेशियों की संख्या ने भी नाक में दम कर रखा है। वर्तमान में हजार, दो हजार नहीं, बल्कि पूरे शहर में 50 हजार से अधिक मवेशी सड़कों पर है। इनमें भी 50 प्रतिशत बैलों की संख्या हैं। ये बैठे रहते हैं, सड़कों पर घूमते हैं। दिन से ज्यादा रात में इनका जमावड़ा लगा रहा है। यहीं गोबर करते हैं और शहर की सूरत बिगाड़ रहे है। ऐसी कोई सड़क नहीं है, जिस पर मवेशी न हो। ये राहगीरों का रास्ता तो रोकते ही है, रात के अंधेरे में दुर्घटनाओं की वजह भी बन रहे हैं।
इसके बावजूद जिम्मेदार इन मवेशियों को रोकने स्थायी समाधान नहीं खोज पा रहे हैं। गायों को तो कई बार पकड़कर खानापूर्ति करते भी हैं, लेकिन बैलों को तो पकड़ते ही नहीं, क्योंकि इन्हें छुड़ाने के लिए कोई नहीं आता और इस तरह निगम को एक रुपये का राजस्व नहीं मिलता। यह हाल तब है, जब निगम के जिम्मेदार इनके प्रबंधन पर 10 करोड़ रुपये से सालाना खर्च कर रहा है।
सात कांजी हाउस में 250 गोवंश
अन्ना नगर, खजूरीकला, शाहजहांनाबाद, नबीबाग, संत हिरदाराम नगर, गांधी नगर और मिसरोद को मिलाकर कुल सात कांजी हाउस हैं। इनमें करीब 250 गोवंश हैं, जो सभी गाय है।
इसलिए नहीं पकड़ते बैल
गोवर्धन शाखा के कर्मचारियों ने बताया कि गाय को पकड़ने के बाद उसके मालिक छुड़ाने आते हैं। निगम को राजस्व मिलता है। वहीं बैल को पकड़ने पर उसे छुड़ाने के लिए कोई नहीं आता है। कई दिनों तक बैल यहां बंद रहते हैं, इसके बाद छोड़ दिए जाते हैं।
सड़कों में ट्रैफिक जाम का बन रहे कारण
खुले में घूमने वाले मवेशियों से सबसे ज्यादा खतरा पैदल चलने वाले राहगीरों को होता है। साइकिल या बाइक से गुजरने वालों को भी परेशानी होती है। कई बार तो जाम की स्थिति बन रही है।
ये है कारण
– शहर के बीचोंबीच चल रही दूध डेरियां है। इनके मालिक गाय से दूध निकालने के बाद उन्हें छोड़ देते हैं।
– वर्षा के समय में मवेशियों को मक्खियां अधिक परेशान करती हैं, जिनसे बचने के लिए ये सड़कों पर आते हैं, यहां बैठते हैं, नजदीक से वाहन गुजरते हैं, उनसे मिलने वाली हवा व धुएं की वजह से मक्खियां मवेशियों का पीछा छोड़ देती हैं।
यहां से गुजर रहे हैं तो संभलकर चलें
भेल के जर्जर मकानों में मवेशी रखे जा रहे हैं। अन्ना नगर में कुछ डेहरियां चल रही हैं। यहां से छोड़े जा रहे मवेशी सड़कों पर बैठे रहते हैं। शाहपुरा में भी यही हाल है। कोलार क्षेत्र में भी खूब मवेशी है। यहीं नहीं, बैरागढ़, लाऊखेड़ी, बेहटा गांव, बरेला गांव, करोंद, भानपुर, पटेल नगर, कल्याण नगर, छोला, शिव नगर, नवीन नगर, हिनौतिया, सेमरा कला, नरेला शंकरी, विजय नगर, इंद्रपुरी, अर्जुन नगर, सोनागिरी, गोविंदपुरा सी सेक्टर, जंबूरी मैदान, कालीबाड़ी, चांदबाड़ी, बागमुगालिया, बाग सेवानिया, एम्स के पास, शक्ति नगर, साकेत नगर, बावड़िया कला, नेहरू नगर, शबरी नगर, पंचशील नगर आदि क्षेत्रों में दूध डेरियां चल रही है। जिसके कारण इन्हीं क्षेत्रों में सर्वाधिक मवेशी सड़कों पर बैठ मिलते हैं। यहां से गुजरते समय सतर्क होकर वाहन चलाएं।
अभी यह हो रहा है
– वर्तमान में सड़कों पर बैल मिलने पर 250 रुपये, गाय मिलने पर 200 रुपये, भैंस मिलने पर 300 रुपये, बछड़ा या बछिया के मिलने पर मवेशी मालिकों पर 10 रुपये प्रतिदिन जुर्माना वसूल किया जाता है।
तब मुख्यमंत्री ने कहा था 1000 रुपये जुर्माना लगाएं
मवेशियों को मालिकों द्वारा छोड़ने व उनके सड़कों पर बैठने का मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी आया था। तब उन्होंने मवेशी मालिकों से एक हजार रुपये जुर्माना वसूल करने को कहा था। तब भी अधिकारी इसका पालन नहीं करवा पा रहे हैं।
यह बात सही है कि सड़कों पर मवेशियों की संख्या बढ़ रही है। इनके पकड़ते भी हैं, लेकिन कांजी हाउसों में इतनी क्षमता नहीं है कि सभी को पकड़कर रख सकें। मवेशी सड़कों पर न हों, इसको लेकर स्थायी समाधान खोज रहे हैं।
अपर आयुक्त नगर निगम, भोपाल