लोगों की मेंटल हेल्थ चैक करते रहने की आदत डालिए ..?
लोगों की मेंटल हेल्थ चैक करते रहने की आदत डालिए …
उनके जवाब से कम से कम मैं उनकी मनोस्थिति का आकलन करने की कोशिश करूंगा। जैसे डॉक्टर आपात स्थिति में मदद के लिए तैयार रहते हैं, मुझे लगता है कल को अगर हम जैसे साइकोलॉजिस्ट से कहा जाए कि बंदूकधारी लोगों का एहतियातन परीक्षण करें ताकि यात्रा कर रहे लोगों के मन में सुरक्षा को लेकर अच्छी फीलिंग आए, तो मुझे कोई ताज्जुब नहीं होगा।’ हां, मानसिक बीमारियों का मुद्दा आजकल शाम की पार्टियों तक में छाया हुआ है!
हम कुछ दोस्त उसी सुबह हुई उस वारदात पर चर्चा कर रहे थे, उसी दौरान रेलवे बोर्ड द्वारा नियुक्त पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति भी बैठक कर रही थी, जिसमें आरपीएफ कर्मियों की मानसिक स्थिति का पता लगाने और बंदूक हैंडल करने वालों के तौर-तरीकों पर तीन सप्ताह के भीतर सुझाव देने को कहा गया।
शीर्ष अधिकारियों की समिति आरपीएफ कर्मियों की मानसिक स्थिति का पता लगाने के लिए बदलाव की सिफारिश करेगी। ये मेडिकल से पुलिस वालों के मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन की सिफारिश भी करेगी। जरूरत पड़ी तो वे फोर्स में भर्ती से पहले उम्मीदवारों के मनोवैज्ञानिक आकलन के तरीके भी बताएंगे।
इस तरह की भर्तियों में मेरे कुछ सोर्सेस ने माना कि आरपीएफ या राज्यों की पुलिस में भर्ती से पहले उम्मीदवारों के मानसिक स्वास्थ्य का आकलन करने का पूरे देश में कोई तंत्र नहीं है। आमतौर पर उनकी फिजिकल हेल्थ देखी जाती है पर मेंटल हेल्थ जांचने का सिस्टम नहीं है।
इस हफ्ते हुए घटनाक्रम को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि काम में भारी तनाव के मद्देनजर हथियार इशू करते समय ही उनकी मानसिक स्थिति को देखने भर की जरूरत नहीं है बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य का नियमित परीक्षण जरूरी है।
इसमें दोराय नहीं कि आम लोगों की तुलना में सुरक्षा बलों में तनाव कहीं ज्यादा है। तनाव को हमेशा डिप्रेशन या किसी हिंसक व्यवहार का ट्रिगर पॉइंट माना जाता है, जिसका चरम अपनों की हत्या (साथी सुरक्षा बलों की हत्या के मामले समय-समय पर सामने आ रहे हैं) है।
दूसरी ओर भारत में दुनिया के तेजी से बढ़ते शहर हैं, जहां 32 से ज्यादा शहर ज्यादा आबादी की ओर बढ़ रहे हैं। जाहिर है कि ये धीरे-धीरे रेल, सड़क, हवाई मार्ग से जुड़ रहे हैं, जिससे परिवहन उद्योग कई गुना बढ़ेगा। जाहिर है इस गतिशील आबादी की सुरक्षा के लिए ज्यादा सशस्त्र सुरक्षा बलों की तैनाती करनी पड़ेगी या पहले से ही तैनात हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इसी कारण से कम से कम उन लोगों का हर महीने मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण होना चाहिए, जिनकी नौकरी में बंदूक साथ में रखना जरूरी है। जब तक नियमित रूप से इसका पालन नहीं होता, तब तक आप और हम जैसे लोगों के मन में इन सशस्त्र जवानों को देखकर हमेशा सुरक्षा और डर की मिश्रित भावना रहेगी।
……. अगर बैंक के एटीएम, अमीरों की सुरक्षा या बड़ी शासकीय संस्थाओं की सुरक्षा में लगे जवानों से आपका संबंध है, तो इससे पहले कि ये आपको या बाकियों को नुकसान पहुंचाएं, इन सशस्त्र जवानों की मेंटल हेल्थ जांचने की आदत डाल लीजिए।