अब दवाओं पर भी क्यूआर कोड लगाना हुआ अनिवार्य .!
कच्चे माल के बाद अब दवाओं पर भी क्यूआर कोड लगाना हुआ अनिवार्य
नकली दवा बनाने व बेचने वालों पर लगेगी लगाम, एक्सपोर्ट की तरह घरेलू बाजार के लिए भी नियम बना…
अब घरेलू बाजार में बिकने वाली सभी दवाओं पर क्यू आर कोड लगाना अनिवार्य होगा।
इंदौर, अब घरेलू बाजार में बिकने वाली सभी दवाओं पर क्यू आर कोड लगाना अनिवार्य होगा। दवाओं के कच्चे माल (बेसिक ड्रग) पर बारकोड/क्यूआर कोड लगाने की व्यवस्था का नियम केंद्र सरकार बीते साल ही लागू कर चुकी थी। वर्तमान में जो फार्मास्यूटिकल रॉ मैटेरियल भारत में बनता है या इंपोर्ट होता है दोनों पर क्यूआर कोड अनिवार्यता से कंपनियों द्वारा लगाया जा रहा है, जिसका फायदा यह होता है कि फार्मा रॉ मैटेरियल के नकली बनने व बिकने की संभावना समाप्त हो जाती है। उसी प्रकार दवाओं के एक्सपोर्ट पर भी क्यूआर कोड लगाने का नियम पहले से लागू है।
बेसिक ड्रग डीलर एसोसिएशन मध्य प्रदेश के महासचिव जेपी मूलचंदानी ने बताया कि प्रदेश के संगठन ने ही केंद्र सरकार से यह मांग की थी कि दवाइयों के रॉ मटेरियल के साथ-साथ जो दवाइयां भारत मे बिकती है उस पर भी क्यूआर कोड /बारकोड लागू किया जाए। जब एक्सपोर्ट होने वाली दवाइयों पर यह नियम लागू है तो घरेलू बाजार में दवाओं की गुणवक्ता तय करने के लिए यह नियम लागू होना चाहिए।
इससे नकली दवाओं पर लगाम लग सके। केंद्र सरकार ने इस विषय को गंभीरता से लेते हुए भारत के शीर्ष दवा नियामक ने मंगलवार से शीर्ष 300 दवा ब्रांडों पर बार कोड या क्यूआर कोड लगाने के नियम को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है।
भारतीय औषधि नियंत्रण जनरल (डीसीजीआइ) ने फार्मा कंपनियों को नई व्यवस्था का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है और ऐसा नहीं करने पर उन पर कठोर जुर्माना लगाया जाएगा। भारत के शीर्ष दवा नियामक ने फार्मा निकाय संघों को सलाह दी है कि वे अपनी सदस्य कंपनियों को नए नियम का पालन करने की सलाह दें। नियामक के अनुसार, यूनिक प्रोडक्ट आइडेंटिफिकेशन कोड में उचित जेनरिक नाम के अलावे ब्रांड नेम, दवा बनाने वाली कंपनी का नाम और पता, बैच नंबर, विनिर्माण की तारीख, एक्सपायरी की तारीख और विनिर्माण का लाइसेंस नंबर जैसी सभी जानकारी उपलब्ध रहनी चाहिए।
अधिसूचना के अनुसार निर्दिष्ट दवा फॉर्मूलेशन के ब्रांडों के किसी भी बैच को जो एक अगस्त 2023 को या उसके बाद बना होगा, चाहे वह किसी भी विनिर्माण स्थल पर बना हो उसके लेबल पर बारकोड या क्यूआर कोड होना जरूरी है। दवा फॉर्मूलेशन के 300 ब्रांडों पर क्यूआर कोड प्रिंट करना/चिपकाना अनिवार्य है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने दवा निर्माताओं को इस बारे में पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई निर्माता स्वेच्छा से किसी अन्य ब्रांड के लिए बार कोड या क्यूआर कोड चिपकाना चाहता है या प्रिंट करना चाहता है, तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है
बयान में कहा गया है, “यह नियम उन सभी स्वदेशी और विदेशी विनिर्माताओं पर लागू होगा जो देश में विपणन के लिए इन ब्रांडों के दवा फार्मूलेशन का विनिर्माण कर रहे हैं।” एसोसिएशन के सचिव मूलचंदानी ने केंद्र सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री को धन्यवाद प्रेषित किया है निश्चित रूप से उपरोक्त निर्णय से भारत मे नकली दवा बिकने व बनने पर लगाम लगेगी। इस नियम को सभी दवाओं पर लागू करने की मांग की है।