ग्वालियर : शासन की छवि बिगाड़ रहे शासकीय अधिवक्ता
तहसीलदार का कलेक्टर को पत्र-शासन की छवि बिगाड़ रहे शासकीय अधिवक्ता
माफी औकाफ के मंदिर की जमीन पर दावे के मामले में राजस्व के अधिकारी और शासकीय अधिवक्ता आमने सामने हैं। फालका बाजार स्थित श्रीरामजानकी मंदिर जरी पटका की जमीन के मामले में यह पूरा विवाद उपजा है।
ग्वालियर । माफी औकाफ के मंदिर की जमीन पर दावे के मामले में राजस्व के अधिकारी और शासकीय अधिवक्ता आमने सामने हैं। फालका बाजार स्थित श्रीरामजानकी मंदिर जरी पटका की जमीन के मामले में यह पूरा विवाद उपजा है। इस मामले में निवर्तमान ग्वालियर तहसीलदार श्यामू श्रीवास्तव की ओर से कलेक्टर ग्वालियर को पत्र लिखा गया है जिसमें उल्लेख किया गया है कि सालों से मंदिर की जमीन के मामले में शासन की ओर से पक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया और शासकीय अधिवक्ता विजय शर्मा द्वारा बिना समक्ष प्राधिकारी की अनुमति के प्रतिवादी पक्ष से राजीनामा की सहमति दे दी गई। इससे निश्चित रूप से शासन को आर्थिक क्षति, शासन की गरिमा एवं शासन की छवि तीनों को ही प्रतिकूल रूप से दुष्प्रभावित करती है। यह पूरी कवायद माफी के मंदिर की जमीन को खुर्द बुर्द करने के मकसद से की गई है।
पहले भी एक शासकीय अधिवक्ता ने की शिकायत
एक केस में दो शासकीय अधिवक्ता को लेकर पहले शासकीय अधिवक्ता ने कलेक्टर को पत्र लिखा था। यहां यह बता दें कि फालका बाजार में श्रीरामजानकी मंदिर जरी पटका है जो 1916 के मंदिर रजिस्टर में दर्ज है। इस मामले में पूर्व में पुजारी की ओर से वसीयत कर जमीन का विक्रय कर दिया गया था जोकि नहीं किया जा सकता। इस मामले में समीर सिंह की ओर से हाईकोर्ट में रिट पिटीशन लगाई गई कि माफी के मंदिर की जमीन को बचाया जाए। इसी मामले में तत्कालीन एसडीएम अखिलेश जैन में कोर्ट में यह जवाब पेश कर दिया कि यह जमीन निजी है।
माफी की जमीन को लेकर कोर्ट सख्त
माफी की जमीन को निजी बताने के मामले में कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया और लोकायुक्त को एसडीएम पर कार्रवाई के निर्देश दिए। जांच में यह भी पाया गया कि इस मंदिर के पुजारी को पूर्व से नेमनुक मिलती थी। हाइकोर्ट के इस आर्डर पर एसडीएम की ओर से रिव्यू लगाया गया जिसे खारिज कर दिया गया और इसी दौरान तत्कालीन एसडीएम ने यह स्वीकारा कि यह जमीन माफी की है। 2018 में इस मामले में तहसील स्तर से शासन की ओर से दावा लगाया गया जिस मामले में शासन की ओर से अभी तक मजबूत पक्ष पेश नहीं किया गया। शासन की ओर से जो दावा लगाया गया है उसमें प्रतिवादी कार्तिक कालोनाइजर प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर राजीव गुप्ता, सीता देवी,प्रदीप शर्मा व प्रीति शर्मा हैं। वहीं इस मामले में तहसीलदार की ओर से अधिवक्ता विजय शर्मा व मिनी शर्मा दोनों का वकालतनामा पेश किया गया।
पत्र में लिखा- शासकीय अधविक्ता ने कहा-मेरी तैयारी नहीं
कलेक्टर को लिखे पत्र में तहसीलदार श्यामू श्रीवास्तव ने लिखा कि 25 जुलाई 2023 को शाम को इस प्रकरण के संबंध में शासकीय अधिवक्ता विजय शर्मा को पोन किया और कार्तिक कालोनाइजर के केस मामले में अगली सुनवाई 26 जुलाई को लेकर जानकारी चाही। इस मामले में शासकीय अधिवक्ता ने अनभिज्ञता जाहिर की गई और मौके पर उपस्थित तत्कालीन एसडीएम विनोद सिंह के समक्ष कहा कि इस प्रकरण में मेरी कोई तैयारी नहीं है,आपको काल करके सूचना क्यों दूं।
मेरा मूल उदेश्य यह है कि शासन की हानि न हो और शासन केस जीते। शासकीय अधिवक्ताओं का यह काम है कि शासन के हित में कार्य करें। इस मंदिर के प्रकरण में मेरी आेर से लोक अभियाेजक के जिला कलेक्टर को भेजे गए पत्र के क्रम में जानकारी देते हुए पत्र लिखा गया।
श्यामू श्रीवास्तव, तहसीलदार