इंदौर । मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि किसी व्यक्ति के पासपोर्ट का नवीनीकरण सिर्फ इस आधार पर नहीं रोका जा सकता कि उसके खिलाफ आपराधिक प्रकरण लंबित है। कोर्ट ने संबंधित विभाग को तीन माह में आवेदक के पासपोर्ट का नवीनीकरण करने का आदेश दिया है।

इंदौर निवासी एक व्यापारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई थी कि पासपोर्ट प्राधिकरण सिर्फ इसलिए उसके पासपोर्ट का नवीनीकरण नहीं कर रहा है क्योंकि उसके खिलाफ दो अपराध पंजीबद्ध हैं और दोनों लंबित हैं। उनका विचारण जिला कोर्ट के समक्ष चल रहा है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट के समक्ष यह तर्क भी रखा कि वह देश के बाहर जाने की अनुमति नहीं चाहता है। वह तो सिर्फ पासपोर्ट का नवीनीकरण करवाना चाहता है।

शासन ने दिया यह तर्क

याचिका की सुनवाई के दौरान शासन की तरफ से गजट नोटिफिकेशन की प्रति सामने रखते हुए नवीनीकरण नहीं करने के संबंध में तर्क रखे गए। शासन का कहना था कि इस बात की भी आशंका है कि पासपोर्ट नवीनीकरण होने पर आवेदक विदेश जा सकता है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकारते हुए संबंधित विभाग को आदेश दिया कि आदेश की प्रति मिलने के तीन माह के भीतर याचिकाकर्ता के पासपोर्ट का नवीनीकरण कर दें। कोर्ट ने माना कि आपराधिक प्रकरण लंबित रहते हुए पासपोर्ट नवीनीकरण में कोई कानूनी बाधा नहीं है।

बगैर अनुमति नहीं जा सकेगा विदेश

कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि पासपोर्ट नवीनीकरण का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि आवेदक को विदेश जाने की अनुमति मिल गई है। बगैर विचारण कोर्ट की अनुमति के वह विदेश यात्रा नहीं कर सकेगा। उसे अनुमति के लिए विचारण कोर्ट के समक्ष आवेदन करना होगा।