नर्मदापुरम : एनजीटी की रोक में खुलेआम रेत खनन ..!
बांद्राभान-सांगाखेड़ा तवा ब्रिज: रात तो छोड़िये… माफिया को दिन में ही प्रशासन का खौफ नहीं…
- एनजीटी की रोक में खुलेआम रेत खनन, दिन में ट्रॉलियों से लगा रहे ढेर, रात में डंपरों से सप्लाई
31 अक्टूबर तक रेत उत्खनन पर एनजीटी की रोक है। खदानें बंद हैं। माफिया तवा नदी से दिनदहाड़े रेत चोरी कर रहे हैं। खनिज विभाग आंखें मूंदे बैठा है। 160 करोड़ में जिले की 3 खदानें नीलाम हुई हैं। दिन में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से रेते चोेरी कर माफिया ढेर लगा रहे हैं। रात में स्टॉक से डंपरों से भरकर रेत सप्लाई हो रही है। रेत के अवैध कारोबार में लगे लोग सोशल मीडिया का उपयोग मुखबिरी के लिए कर रहे हैं। रेत चोरी होने से खदानें लेने वाली कंपनियों के साथ सरकार को भी राजस्व का नुकसान होगा। माफिया रेत चोरी में अपने पूरे नेटवर्क का उपयोग कर रहे हैं।
बता दें िक तीन साल से जिले में रेत खदानों का ठेका नहीं हुआ। इस साल 60 लाख घनमीटर रेत उठाने की परमिशन मिली है। खदानों में करीब 3 करोड़ घनमीटर रेत का स्टॉक है। इस संबंध में खनिज अधिकारी दिवेश मरकाम से बात करनी चाही लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। एडीएम डीके सिंह का कहना है- िजले में रेत का अवैध उत्खनन नहीं होना चाहिए। इसकी जानकारी आपसे मिली है। खनिज अधिकारी से बात कर अवैध उत्खनन रोका जाएगा। नाकों को दुरुस्त किया जाएगा।
एनजीटी की रोक में खुलेआम रेत खनन, दिन में ट्रॉलियों से लगा रहे ढेर, रात में डंपरों से सप्लाई
ये नजारा है गुरुवार दोपहर 12 बजे। बांद्राभान- सांगाखेड़ा रोड स्थित तवा ब्रिज के नीचे आधा दर्जन से अधिक ट्रैक्टर-ट्रॉली तवा से रेत लूट रहे हैं। माफिया तवा नदी से दिनदहाड़े रेत चोरी कर रहे हैं। खनिज विभाग आंखें मूंदे बैठा है। 160 करोड़ में जिले की 3 खदानें नीलाम हुई हैं। दिन में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से रेते चोेरी कर माफिया ढेर लगा रहे हैं।
रात में स्टॉक से डंपरों से भरकर रेत सप्लाई हो रही है। रेत चोर सोशल मीडिया का उपयोग मुखबिरी के लिए कर रहे हैं। ऐसे काम करता है माफिया का नेटवर्क: अवैध रेत खनन से जुड़े लोगों का लाइन नाम से एक वॉट्सएप ग्रुप बना है। शाम होते ही खनिज अधिकारी, तहसीलदार, एसडीएम आदि अफसरों के घरों के आसपास माफिया के गुर्गे पहरा देने खड़े होते हैं। जैसे ही अफसर की गाड़ी बाहर निकलती है। बाइक से उनका पीछा कर लोकेशन के वॉइस मैसेज ग्रुप में डाले जाते हैं ताकि पकड़ न आएं।