इंदौर : कान्ह नदी किनारे 33 मीटर क्षेत्र में निर्माण पर प्रतिबंध ?
कान्ह नदी किनारे 33 मीटर क्षेत्र में निर्माण पर प्रतिबंध, आदेश पर सीमांकन तो हुआ पर कार्रवाई नहीं
एनजीटी ने 9 साल पहले दिया था आदेश, 1100 करोड़ खर्च होने के बाद भी शुद्धिकरण का काम अधूरा
कान्ह नदी किनारे 33 मीटर क्षेत्र में निर्माण पर प्रतिबंध, आदेश पर सीमांकन तो हुआ पर कार्रवाई नहीं
इंदौर. कान्ह और सरस्वती नदी को स्वच्छ करने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 9 साल पहले नदी के दोनों ओर 33-33 मीटर के दायरे में निर्माण नहीं होने तथा अवैध निर्माण तोड़ने के निर्देश दिए थे। प्रशासन ने तुरंंत सीमांकन कर करीब 1200 निर्माण चिन्हित किए थे, लेकिन बाद में यह फाइल बंद हो गई। नदियों की सफाई पर अब तक करीब 1100 करोड़ से ज्यादा खर्च होने का दावा है, लेकिन अब तक नदी शुद्ध नहीं हो सकी है।
भोपाल की कलियासोत नदी के आसपास 33 मीटर दायरे में अवैध निर्माण तोड़ने के एनजीटी के आदेश पर प्रशासन सक्रिय हो गया है, लेकिन इंदौर की फाइल फिलहाल बंद है। सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने वर्ष 2013 में एनजीटी में नदियों के शुद्धिकरण व संरक्षण को लेकर याचिका लगाई थी। वर्ष 2014 में एनजीटी ने याचिका की सुनवाई करते हुए नदियों के 33 मीटर दोनों ओर निर्माण नहीं होने देने, अवैध निर्माण हटाने व हरियाली विकसित करने के निर्देश दिए थे
।………….
अफसरों को आदेश की जानकारी ही नहींएनजीटी के निर्देश पर तत्कालीन प्रशासनिक व नगर निगम अफसरों ने तुरंत सीमांकन कराया। निगम के बिल्डिंग परमिशन विभाग के अफसरों ने एनजीटी मे जवाब भी पेश किया था। निगम व प्रशासन की सयुक्त टीमों ने सीमांकन के बाद करीब 900 निर्माण चिन्हित किए थे। पश्चिम इलाके में कुछ निर्माण तोड़े भी गए थे, लेकिन बाद में फाइल बंद हो गई। 9 साल पहले के आदेश की वर्तमान वरिष्ठ अफसरोंं को जानकारी भी नहीं है। फिहलाल वे फाइल निकालकर कार्रवाई की बात कर रहे हैं। हालांंकि, निगम का कहना है कि अब नए निर्माण को अनुमति नहीं दी जा रही है। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी का कहना है कि कान्ह नदी के शुद्धिकरण के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना बनाई जा रही है। नदी पर अतिक्रमण को लेकर पूर्व में हुए सीमांकन की जांच कराई जाएगी।
…………एमआइसी मेंबर ही नाला टेपिंग पर उठा रहे सवाल
शहर के बीच से बहने वाली नदी के शुद्धिकरण के लिए कई तरह के दावे किए गए, लेकिन ज्यादा सुधार नहीं हो पाया। नाला टेपिंग, एसटीपी बनाकर पानी शुद्ध करने जैसे प्रयासों पर अब तक करीब 1100 करोड़ खर्च हो चुके हैं। अब तो महापौर परिषद के सदस्य ही नाला टेपिंग पर सवाल उठाकर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
हरियाली के लिए नहीं हुआ काम
नदियों में पश्चिम इलाकों की कॉलोनियों पर कई मकान बन गए है। शहर के मध्य किशनपुरा पुल से एमआर-10 ब्रिज से आगे तक काफी जगह है। इन जगहों पर हरियाली करने का दावा था लेकिन एमआर-10 ब्रिज के आसपास कुछ पौधें लगाए लेकिन उसमें से भी अधिकांश नष्ट हो गए है। अन्य जगहों पर काम भी शुरू नहीं हो पाया।
एनजीटी में लगाएंगे अवमानना याचिका
सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोड़वानी के मुताबिक, एनजीटी ने वर्ष 2014 में नदियों के दोनों ओर 33 मीटर के हिस्से को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित कर वहां हरियाली करने के लिए कहा था। कई बार आग्रह किया लेकिन आदेशों का पालन नहीं हो पा रहा है। जल्द ही वे मामले में एनजीटी में अवमानना याचिका दायर करेंगे।
आदेश को ध्यान में रख नहीं दे रहे निर्माण की अनुमति
नगर निगम के मुख्य भवन निरीक्षक अनूप गोयल के मुताबिक, एनजीटी के आदेश को ध्यान में रखते हुए अब नदी के सीमांकन को ध्यान में रखते हुए दोनों ओर 33 मीटर के दायरे में किसी तरह के नए निर्माण की अनुमति नहीं दी जा रही है।