मध्य प्रदेश में कांग्रेस का कर्नाटक फॉर्मूला ?

मध्य प्रदेश में कांग्रेस का कर्नाटक फॉर्मूला

मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस अब पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गई हैं। कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ आरोपों की बौछार कर दी। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने शिवराज सिंह की सरकार के खिलाफ घोटालों का आरोप पत्र जारी किया। इसकी टैग लाइन है- घोटाले ही घोटाले, घोटाला सेठ, 50 परसेंट कमीशन रेट। कमलनाथ ने इल्जाम लगाया कि शिवराज के पचास परसेंट कमीशन राज ने मध्य प्रदेश को घोटाला प्रदेश बना दिया है। अब कांग्रेस शिवराज सरकार के घोटालों की लिस्ट को घर घर पहुंचाएगी, क्योंकि बीजेपी की सरकार ने मध्य प्रदेश को सिर्फ भ्रष्टाचार और अत्याचार ही दिए हैं। जवाब देने में शिवराज सिंह चौहान ने भी देर नहीं की। शिवराज सिंह ने कहा कि कमलनाथ इधर उधर की बातें न करें, ये बताएं कि कांग्रेस के उम्मीदवारों की लिस्ट कहां है क्योंकि वो तो दावा कर रहे थे कि चुनाव से एक साल पहले लिस्ट जारी कर देंगे। शिवराज ने कहा कि जहां तक आरोपों का सवाल है तो कांग्रेस समझ रही है कि उसकी हार तय है, इसलिए बौखलाहट में इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। बीजेपी के नेताओं ने कहा कि कमलनाथ वो दिन भूल गए जब उनकी सरकार के वक्त मध्य प्रदेश का सचिवालय कमीशनखोरों का अड्डा बन गया था, हर काम के बदले पैसे लिए जाते थे। इसके जवाब में कमलनाथ ने कहा कि वल्लभ भवन से लेकर सीएम हाउस तक हर जगह कैमरे हैं। कैमरों की रिकॉर्डिंग सरकार के पास है, अगर उनके जमाने में करप्शन हुआ तो बीजेपी CCTV फुटेज निकालकर जांच क्यों नहीं करवाती। कमलनाथ की का जवाब दिया शिवराज की सरकार में मंत्री विश्वास सारंग ने। उन्होंने कहा कि अगर कैमरे के सबूत खंगाले जाएंगे तो कांग्रेस को भारी मुश्किल होगी क्योंकि फिर तो कमलनाथ का नाम वाकई में करप्टनाथ ही करना पड़ेगा। मध्य प्रदेश में कांग्रेस कर्नाटक वाला फॉर्मूला पूरी तरह अपना रही है। उसे लगता है यहां भी एंटी इनकम्बेंसी का फायदा मिल सकता है। वहां 40 परसेंट कमीशन का नारा लगाया था। यहां 50 परसेंट का नारा दे दिया। वहां जनता के लिए मुफ्त गारंटी का ऐलान किया था। यहां भी कर दिया। वहां भी बजरंगबली का नाम लिया था। यहां भी हनुमान जी को याद किया। वहां भी कांग्रेस ने बीजेपी की लोकल लीडरशिप में नाराजगी का फायदा उठाया था, यहां भी बीजेपी में गुटबाजी और गुना ग्वालियर संभाग में ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर स्थानीय नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश है। कर्नाटक में भी रणदीप सुरजेवाला ने कमान संभाली थी, मध्य प्रदेश में भी सुरजेवाला आ गए हैं। लेकिन ये कर्नाटक नहीं है, यहां मुकाबला शिवराज से है। शिवराज सिंह चौहान बराबर की चोट करते हैं। बीजेपी का नेतृत्व शिवराज के साथ खड़ा है। नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी अमित शाह को सौंपी है और उन्होंने ने काम शुरू कर दिया है। चार बार मध्य प्रदेश का दौरा कर चुके हैं, सारी समितियां बना दी हैं, सबकी जिम्मेदारी तय कर दी है। उम्मीदवारों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी है, और अमित शाह दो दिन बाद फिर भोपाल जाएंगे। पहले शिवराज सिंह की सरकार का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखेंगे, इसके बाद ग्वालियर जाकर ज्यातिरादित्य सिंधिया के इलाके के नेताओं के साथ मीटिंग करेंगे। उसके बाद बीजेपी का चुनावी अभियान पूरे रंग में होगा। इसलिए अभी भले ही कांग्रेस के नेताओं को लग रहा हो कि मध्य प्रदेश में लड़ाई आसान होगी, लेकिन अगले हफ्ते से जब बीजेपी नेताओं की रैलियों की कॉरपेट बॉम्बिंग करेगी, तब पता लगेगा कि कौन कितने पानी में है।

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