नोएडा : 2 साल, 192 दिन प्रदर्शन…मिला सिर्फ आश्वासन …?
2 साल, 192 दिन प्रदर्शन…मिला सिर्फ आश्वासन …
प्राधिकरण से 28 बार मुलाकात, फिर नहीं बनी बात इसलिए उग्र हुए किसान …
2 साल…192 दिन प्रदर्शन...मिला सिर्फ आश्वासन। यही वजह रही कि सोमवार को प्राधिकरण के बाहर धरने पर बैठे किसान उग्र हो गए। इस साल की बात करें, तो किसान अपनी मांगों को लेकर करीब 70 दिन से प्राधिकरण के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। जबकि पिछले साल 122 दिन प्रदर्शन किया।
उस समय विधायक पंकज सिंह ने आश्वस्त किया था कि ‘सही रुकेगा नहीं, गलत को होने नहीं दिया जाएगा।’ इसके बाद किसानों ने प्रदर्शन खत्म कर दिया। इसी बीच किसानों की करीब 28 बार प्राधिकरण में बात हुई। चेयरमैन मनोज सिंह ने भी मुलाकात की, लेकिन इसके बाद भी मांगों को पूरा नहीं किया।
सोमवार को किसानों का आक्रोश बढ़ गया और उन्होंने विधायक का घेराव किया। विधायक पंकज सिंह ने भी खुले तौर पर IDC और औद्योगिक मंत्री को कड़े शब्दों में 15 दिनों का समय दिया। उन्होंने कहा, ”16वें दिन वे खुद किसानों के साथ प्रदर्शन में उतर आएंगे।”
इस बयान के बाद से प्राधिकरण में हड़कंप का माहौल है। देर शाम तक किसानों की फाइलों को मांगों को लेकर चर्चा की जाती रही। भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखवीर खलीफा ने बताया कि प्राधिकरण पर धरना समाप्त नहीं किया जाएगा। जब तक हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाता। हर हाल में अपना हक लेकर रहेंगे। ये नोएडा शहर हमारी जमीनों पर बसा है।
एक दिन पहले क्या हुआ, सबसे पहले इसे पढ़िए…
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के विधायक बेटे पंकज सिंह का घेराव किया
सोमवार को बड़ी संख्या में किसानों ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के विधायक बेटे पंकज सिंह का घेराव किया। इस बीच प्रदर्शनकारी किसान और पुलिस में जोरदार भिड़ंत हो गई। किसान सड़क पर बैठकर धरना देने लगे। किसान पहले सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण के कार्यालय पर जुटे।
इसके बाद वहां से पैदल मार्च करते हुए दोपहर बाद सेक्टर-26 विधायक के घर पहुंचे। पुलिस ने यहां बैरिकेड कर रखी थी। इसके बाद किसानों ने मांग की, उन्हें विधायक पंकज सिंह से मिलना है। पुलिस ने किसानों को आगे जाने से रोकने पर वो उग्र हो गए।
पुलिस-किसानों की नोकझोंक हुई
बैरिकेड तोड़ दिया और आगे बढ़ गए। पुलिस और किसानों के बीच जमकर नोकझोंक हुई। नौबत खींचातानी तक की आ गई। इसके बाद प्राधिकरण अधिकारियों की एक टीम वहां पहुंची। किसान विधायक से मिलने की बात पर अड़ गए और वहीं धरने पर बैठ गए। हंगामा की सूचना मिलते ही पंकज किसानों के बीच पहुंचे।
सख्त रुख दिखाते हुए प्राधिकरण अधिकारियों को फटकार लगाई। इसके बाद IDC पर जमकर भड़के। किसानों को आश्वस्त किया कि उनकी सभी मांगों को पूरा किया जाएगा। इसके बाद वे धरनास्थल पर लौट आए।
किसान आंदोलन की खास बातें…
- 2022 में किसानों ने प्राधिकरण के बाहर 122 दिन प्रदर्शन किया। इस दौरान आमरण अनशन तक किया, इसमें दर्जनों किसानों को अस्पताल में भर्ती तक करना पड़ा।
- आश्वासन के बाद मामला शांत हुआ। इसके बाद 28 बार प्राधिकरण के साथ बैठक की गई। लेकिन हर बार नतीजा शून्य ही निकला।
- जन प्रतिनिधियों ने किसानों को आश्वस्त किया था कि उनकी मांगों को पूरा किया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
- किसानों की IDC के साथ बैठक कराई गई। इसमें सिर्फ आश्वासन मिला।
- प्राधिकरण की 210वीं बोर्ड में किसानों के प्रस्ताव लाने की बात कही गई। लेकिन 18 प्रस्तावों में एक भी प्रस्ताव किसानों से संबंधित नहीं लाया गया।
- इस बीच भारतीय किसान परिषद का कई किसानों ने साथ छोड़ दिया। लेकिन सोमवार को आक्रोशित किसानों ने ऐसा प्रदर्शन किया कि विधायक तक को बोलना पड़ा।
विधायक पंकज सिंह ने क्या बोला, अब इसे भी पढ़िए…
विधायक पंकज सिंह ने कहा, “हम जनप्रतिनिधि हर रोज किसानों का धरना-प्रदर्शन झेल रहे हैं और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कमिश्नर (IDC) लखनऊ में बैठकर तमाशा देखते हैं।” नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी को फटकारते हुए कहा, “विधायक ने कहा कि उनसे कहिए, लखनऊ में बैठकर तमाशा नहीं देखें। मैं 15 दिन का समय दे रहा हूं। ये समय उद्योग मंत्री को भी दे रहा हूं। जल्दी से समस्या का समाधान करें। 16वे दिन मै खुद किसानों के साथ प्रदर्शन में शामिल हो जाउंगा।”
किसानों की मांगें क्या है, अब इसे पढ़िए…
- 1997 के बाद के सभी किसानों को बढ़ी दर 67.4 प्रतिशत की दर से मुआवजा दिया जाए। चाहे वह कोर्ट गए हो या नहीं।
- किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड दिया जाए। प्राधिकरण कहता आ रहा है कि जमीन के बदले धनराशि दी जा सकती है।
- आबादी जैसी है वैसी छोड़ी जाए। विनियमितीकरण की 450 वर्गमीटर सीमा को बढ़ाकर 1000 प्रति वर्गमीटर किया जाए।
- भूमि उपलब्धता न होने के कारण पात्र किसानों के 5 प्रतिशत आबादी भूखंड भू लेख विभाग में नहीं रोके जाएंगे। उनका नियोजन किया जाए।
- भवनों की ऊंचाई को बढ़ाए जाने की अनुमति दी जाए। क्योंकि गांवों के आसपास काफी हाईराइज इमारत है। ऐसे में उनका एरिया लो लेयरिंग एरिया में आ गया है।
- 5 प्रतिशत विकसित भूखंड पर व्यवसायिक गतिविधियां चलने की अनुमति दी जाए।
- गांवों के विकास के साथ खेल बजट का प्राविधान किया जाए।
- गांवों में पुस्तकालय बनाए जाए।
सुखवीर खलीफा बोले -समाधान होने तक किसान नहीं लौटेंगे
भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखवीर खलीफा ने कहा, “जब तक सभी किसानों की आबादी का संपूर्ण निदान नहीं होगा, वह लौटेंगे नहीं। तब तक अधिकारियों के साथ यह खींचतान चलती रहेगी। प्राधिकरण यदि चाहता है कि सुचारु रूप से वह कार्यालय में कम करें तो किसानों को प्राथमिकता देनी ही पड़ेगी। यदि प्राधिकरण किसानों को गुमराह व प्रताड़ित करता रहेगा तो आक्रोशित किसान कभी भी प्राधिकरण कार्यालय पर तालाबंदी कर सकते हैं।”
किसान नेता बोले- सद्बुद्धि के लिए हर शनिवार को होता है हवन
किसान नेता जय शंकर आर्या ने कहा, ”नोएडा प्राधिकरण के बाहर हर शनिवार को मंत्र उच्चारण के साथ प्राधिकरण अधिकारियों की सद् बुद्धि के लिए हवन पूजन करते रहे हैं। ये सिलसिला अब भी जारी रहेगा। प्राधिकरण की जब भी बोर्ड बैठक होती है तो किसानों से किसी भी प्रकार की रायशुमारी नहीं ली जा रही है। जो मुद्दे बोर्ड बैठक में पास होकर अभी पेंडिंग है, उनको भी पूरा नहीं किया गया। यदि प्राधिकरण ऐसे ही किसानों की अनदेखी करता रहेगा तो पूर्व की भांति किसानों का आक्रोश प्राधिकरण को झेलना पड़ेगा।”