चंबल पुल की मरम्मत की अनुमति नहीं दे रहा यूपी प्रशासन !
चंबल पुल की मरम्मत की अनुमति नहीं दे रहा यूपी प्रशासन, 74 दिन से रुका भारी वाहनों का आवागमन …
- परेशानी . एनएच 719 के ग्वालियर-भिंड-इटावा हाइवे पर हर रोज गुजरता है 20 हजार पीसीयू ट्रैफिक, फिर भी देरी
बता दें कि नेशनल हाईवे-719 के भिंड-इटावा रोड पर बरही के निकट स्थित चंबल नदी का पुल उत्तरप्रदेश प्रशासन के अंतर्गत आना है। ऐसे में इस पुल के रखरखाव की जिम्मेदारी भी उत्तरप्रदेश प्रशासन ही संभालता है। जून के महीने में अचानक इटावा कलेक्टर ने चंबल को क्षतिग्रस्त बताते हुए 8 जून से इसके ऊपर से भारी वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया। वहीं यह प्रतिबंध किसी निश्चित सीमा के लिए नहीं बल्कि इस पुल के समांतर दूसरा नया पुल बनने तक के लिए कर दिया। इस प्रतिबंध में भारी वाहनों के साथ में यात्री बसें भी दायरे में आ गई। परिणामस्वरुप भिंड से इटावा के बीच यात्री बस से सफर करने वाले यात्रियों की पीड़ा बढ़ गई। लोगों को करीब 800 मीटर लंबा पुल पैदल पार करना पड़ रहा है।
नए पुल के लिए एजेंसी तय बताया जा रहा है कि बरही में चंबल नदी पर बने पुल के समांतर नया पुल बनाए जाने के यूपी प्रशासन ने टेंडर जारी कर एजेंसी नियुक्त कर दी है। गुड़गांव की कंपनी को यह पुल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। 296 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट में चंबल नदी पर नया फोरलेन पुल और यमुना नदी के पुल तक फोरलेन सड़क बनाई जाना है। जिस कंपनी को यह कार्य में मिला है। वह कागजी कार्रवाई पूरी करने में जुटी है। ऐसे में यदि कंपनी दो माह में भी शुरुआत करती है तो दो साल का समय लग जाएगा।
पुल की जांच रिपोर्ट भेजी ^हमने चंबल पुल की मरम्मत कराने के लिए यूपीपीडब्लूडी-एनएच से अनुमति मांगी थी। लेकिन अभी तक हम आधिकारिक तौर पर कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। हमने पुल की जांच रिपोर्ट भी साथ भेजी है। – राजेश दाहिमा, महाप्रबंधक, एमपीआरडीसी ग्वालियर
अब मंत्रालय से होगा फैसला इटावा पीडब्लूडी- एनएच के अफसरों ने एमपीआरडीसी की ओर से मांगी गई अनुमति का मामला लखनऊ भेज दिया था। जहां लखनऊ से अनुमति सशर्त दिए जाने की बात आई। ऐसे में अब मामला केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को भेजे जाने की बात चल रही है। वहीं एमआरडीसी के अफसरों को भी लग रहा है कि मामला मंत्रालय में पहुंचने से जल्द सुलझ जाए। इसके पीछे वजह यह है कि किसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक अनिश्चित समय तक भारी वाहनों को प्रतिबंधित किए जाने मामला भी अलग प्रकार है। जबकि इस हाइवे पर रोज 20 हजार पीसीयू (पैसेंजर कार यूनिट) ट्रैफिक है।
अनुमति नहीं दे रहे अफसर एमपीआरडीसी ने अगस्त महीने के पहले सप्ताह में यूपीपीडब्लूडी- एनएच इटावा के अधिशासी अभियंता को पत्र लिखकर यह अनुमति मांगी थी कि एमबीआईयू मशीन की जांच में आया है कि यह पुल अभी मरम्मत योग्य है। ऐसे में यदि यूपी- प्रशासन उन्हें अनुमति प्रदान करें तो वह खुद के खर्चे पर पुल की मरम्मत करा सकते हैं। ताकि इस हाइवे पर भारी वाहनों का आवागमन बना रहे। लेकिन इटावा से अनुमति एमपीआरडीसी के अफसरों को अब तक नहीं मिल सकी है।