मामूली अंतर से ग्वालियर दक्षिण सीट हार गई थी BJP !
मामूली अंतर से ग्वालियर दक्षिण सीट हार गई थी BJP, इस बार कांग्रेस से लेगी बदला
कांग्रेस के प्रवीण पाठक ने पिछले चुनाव में बीजेपी के नारायण सिंह को महज 121 मतों के अंतर से हराया था. प्रवीण को चुनाव में 56,369 वोट मिले जबकि बीजेपी के नारायण सिंह के खाते में 56,248 वोट आए थे.
कितने वोटर, कितनी आबादी
2018 के चुनाव की बात करें तो यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट पर मुकाबला द्विपक्षीय होता रहा है. 2018 के चुनाव में कुल 16 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच रही, जिसमें जीत कांग्रेस के पक्ष में गई.
कांग्रेस के प्रवीण पाठक ने बीजेपी के नारायण सिंह कुशवाहा को महज 121 मतों के अंतर से हराया था. प्रवीण को चुनाव में 56,369 वोट मिले जबकि बीजेपी के नारायण सिंह कुशवाह के खाते में 56,248 वोट आए थे. पिछले 3 बार से चुनाव में बीजेपी से हार का सामना करने के बाद कांग्रेस ने 2018 में यहां से जीत हासिल की, लेकिन इस बार बीजेपी की कोशिश यह सीट कांग्रेस से छीनने की होगी.
5 साल पहले साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 48 हजार 404 मतदाता थे, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 30 हजार 83 थी जबकि महिलाओं की संख्या 1 लाख 18 हजार 312 थीं.
कैसा रहा राजनीतिक इतिहास
2008 से पहले ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट ग्वालियर लश्कर पश्चिम नाम से जानी जाती थी. ग्वालियर लश्कर पश्चिम सीट पर जहां 7 बार चुनाव हुए उनमें 5 बार बीजेपी और 2 बार कांग्रेस जीती, जबकि 2008 में नाम बदले जाने के बाद ग्वालियर दक्षिण सीट पर हुए 3 चुनाव में बीजेपी को 2 बार और एक बार कांग्रेस को जीत मिली है.
1990 से चुनावी इतिहास की बात करें तो तब बीजेपी के शीतला सहाय ने इस्माइल खान पठान को 10,478 वोट से हराया था. 1993 में कांग्रेस के भगवान सिंह यादव ने शीतला सहाय को 12,316 वोट से हराकर पार्टी को जीत दिला दी. फिर 1998 में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा ने कांग्रेस के भगवान सिंह यादव को हराया था. 2003 के चुनाव में बीजेपी के नारायण सिंह ने भगवान सिंह को फिर हराया.
2008 में भी नारायण सिंह ने एक और जीत हासिल करते हुए कांग्रेस की रश्मि पवार को हराया था. 2013 में बीजेपी की नारायण सिंह को कांग्रेस के रमेश अग्रवाल को 16,267 वोट से हराया. लगातार हार का बदला कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में लिया. हालांकि उसकी यह जीत बेहद कांटेदार रही और 121 मतों के अंतर से जीत मिली थी.
आर्थिक-सामाजिक ताना बाना
ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र को जातिगत समीकरण के हिसाब से कुशवाह बाहुल्य और मुस्लिम बाहुल्य आबादी वाले क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है. इसी विधानसभा में ही कुशवाह समाज के प्रतिनिधित्व और कुशवाह समाज के वोटरों के अधिक संख्या में होने के चलते बीजेपी के नेता नारायण सिंह कुशवाह को तीन बार विधायक बनने का मौका दिया है. वे मध्यप्रदेश सरकार में गृह, परिवहन और जेल मंत्री भी रह चुके हैं
ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से एक और बड़ा नाम बीजेपी के बड़े नेता स्वर्गीय शीतला सहाय का भी जुड़ा है. वो भी तीन बार विधायक रहे और राज्य सरकार में मंत्री भी रहे हैं. इस विधानसभा क्षेत्र ने कांग्रेस के बड़े सहकारिता क्षेत्र के नेता भगवान सिंह यादव को भी विधायक और मंत्री बनने का मौका दिया है.
यह क्षेत्र मजदूर, व्यापारी, छोटे दुकानदार और सब्जी कारोबार के रूप में प्रसिद्ध है. यहां पर्यटन,धार्मिक क्षेत्र के साथ ही ग्वालियर चंबल अंचल का सबसे बड़ा सरकारी हॉस्पिटल जयारोग्य अस्पताल समूह जिसके अंतर्गत 1000 बिस्तर का अस्पताल, कमलाराजा महिला एवं शिशु रोग अस्पताल,सुपर मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल भी आता है.
ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण के हिसाब से SC- ST लोगों की आबादी 54 हजार है तो मुस्लिम लोगों की संख्या 36 हजार है. इसके बाद कुशवाह (28 हजार), ब्राह्मण (24 हजार), सिंधी (20 हजार), जैन (12 हजार), वैश्य (12 हजार), मराठा (9 हजार) और बघेल (9 हजार) आते हैं.
पर्यटन की दृष्टि से यहां ग्वालियर जिले का हृदय स्थल महाराजबाड़ा आता है. इस इमारत को सात अलग-अलग शैलियों में तैयार किया गया है. महाराजबाड़ा को ब्रिटिश, रोमन, फ्रेच, साऊदी अरब, पर्शियन और इटैलियन जैसी कई शैलियों के संगम से तैयार किया गया है. इन्हें और आकर्षक बनाने के लिए स्मार्ट सिटी ग्वालियर काफी काम कर रहा है. इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने बचपन में जिस स्कूल में पढ़ाई की थी वह गोरखी स्कूल भी इस विधानसभा क्षेत्र में आता है.