मोबाइल फोन से नींद लाने वाले हॉर्मोन बंद ….. शादीशुदा जिंदगी में बढ़ाता असंतोष ?

मोबाइल फोन से नींद लाने वाले हॉर्मोन बंद:वजन बढ़ाए, बेडरूम में रखने पर देर रात तक जगाए, शादीशुदा जिंदगी में बढ़ाता असंतोष

क्यों इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस आपको सक्रिय रखते हैं?

स्वस्थ वयस्कों में बायोलॉजिकल क्लॉक यानी कि जैविक घड़ी होती है, जो उनके 24 घंटे सोने-जागने के साइकल को तय करती है। जब सुबह सूरज उगता है, तब शरीर कोर्टिसोल नामक एक हॉर्मोन को प्रोड्यूस करता है जो पूरे दिन व्यक्ति को एक्टिव बनाए रखता है। जैसे ही दिन का उजाला कम होता है, शरीर एक और हार्मोन, मेलाटोनिन जारी करता है, जो नींद का एहसास पैदा करता है।

बड़े हो या बच्चे सबकी नींद चुरा रही है डिवाइस

अगर आप अक्सर देर रात तक टीवी या स्मार्टफोन देखने के आदी हैं तो यह आदत आपकी नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है। हाल की कई स्डटी से पता चला है कि डिवाइस असल में नींद चुराते हैं। साल 2014 में नेशनल स्लीप फ़ाउंडेशन ने स्लीप इन अमेरिका नाम से सर्वे किया। उस सर्वे ने अनुमान लगाया कि 89% वयस्कों और 75% बच्चों के बेडरूम में कम से कम एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है।

लाइफ कोच रोशनी टाक कहती हैं कि आजकल डिवाइस लोगों के लिए स्टेटस सिंबल ज्यादा हो गया है। इसी चक्कर में लोग बच्चों को भी मंहगी-मंहगी डिवाइस लाकर देते हैं। हमारी समस्या तकनीक नहीं है बल्कि माइंडसेट है। तकनीक को अगर सिर्फ जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल किया जाए तो ये लाइफ को बेहतर बनाएंगे न कि बीमार।

बुजुर्ग टीवी और युवा स्मार्टफोन वीडियो गेम में बिजी

तीन साल पहले 2011 के एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि सोने से एक घंटे पहले, 95% वयस्क नियमित रूप से तकनीकी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करते हैं। युवा स्मार्टफोन, लैपटॉप और वीडियो गेम ज्यादा खेलते हैं, वहीं बड़े लोग टीवी अधिक देखते हैं। प्यू की एक रिसर्च पोल में यह भी पाया गया कि दो-तिहाई वयस्क अपने स्मार्टफोन को बिस्तर पर ले जाते हैं। जो 18 से 29 वर्ष के लोगों में 90% तक बढ़ जाता है।

बच्चों के रूम में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस खराब नींद की वजह

साल 2014 के नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि जिन बच्चों के कमरे में रात में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस चालू थे, उनमें खराब नींद की रिपोर्ट सबसे अधिक थी, जबकि जिन बच्चों ने इलेक्ट्रॉनिक्स बंद कर दिए थे, उनमें अच्छी नींद की रिपोर्ट सबसे अधिक थी। बीएमसी पब्लिक हेल्थ जर्नल में हाल ही में चाइल्डहुड से जुड़ी प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया कि अधिक वजन वाले बच्चे सामान्य वजन वाले बच्चों की तुलना में कम सोते हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि घर के माहौल के साथ-साथ अनियंत्रित स्क्रीन समय, बेडरूम में टीवी की वजह से बच्चों में देर रात तक जागने की आदत पड़ जाती है।

इलेक्ट्रॉनिक्स से दूरी बनाएं और बेहतर नींद लें

रोशनी कहती हैं कि अभी की जरूरतों के हिसाब से इलेक्ट्रॉनिक्स और गैजेट को लाइफ से पूरी तरीके से हटाया नहीं जा सकता है लेकिन कुछ जरूरी स्टेप्स फॉलो करके लाइफ को बेहतर बनाया जा सकता है। टीवी, कंप्यूटर, वीडियो गेम, टैबलेट, फोन सबके ऑफ का एक टाइम निर्धारित करें। और उसके बाद अगर बहुत ज्यादा जरूरी हो तभी इनका इस्तेमाल करें। लाइफ में बैलेंस लाने के लिए एक घंटे प्रकृति के साथ समय बिताने की जरूरत है। मेडिटेशन जरूरी है। 24 घंटे में से एक घंटा शरीर के लिए बहुत जरूरी होती है।

इसके अलावा सोने से दो घंटे पहले तेज रोशनी कम करना और टीवी बंद करना शुरू कर दें। शाम को घर में बेहतर रोशनी के लिए रेड या ऑरेंज लाइट वाले बल्ब को विकल्प बना सकते हैं। हार्वर्ड रिसर्चर का भी माना है कि रात में या शिफ्ट में काम करने वालों को एंटी ग्लेयर ग्लास पहनना चाहिए। रात में फोन को साइलेंट कर दें। पढ़ने, मेडिटेशन जैसी कोई भी ऐसी एक्टिविटी जिसमें गैजेट शामिल न हो उसे अपनाकर इलेक्ट्रॉनिक्स से दूरी बना सकते हैं। स्लीप हाईजीन और बेडटाइम रुटीन को फॉलो करके भी आप खुद को डिवाइस से दूर रख सकते हैं।

बेडरूम में इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस की एंट्री का असर रिश्तों पर

हाल के समय में कई ऐसी रिसर्च आई हैं, जो कि इस बात को साबित करती है कि कैसे सेलफोन रिश्तों को प्रभावित कर रहे हैं। डिवाइस का अत्यधिक उपयोग कपल के बीच कम्युनिकेशन को प्रभावित कर रहा है। इस वजह से रिश्ते में एक पार्टनर खुद को नजर अंदाज या महत्वहीन महसूस करने लगता है। ‘My life has become a major distraction from my cell phone’ टाइटल से प्रकाशित एक स्डटी में रिसर्चर्स ने बताया है कि सेलफोन के अत्यधिक उपयोग से न सिर्फ शादीशुदा रिश्ते में बल्कि किसी भी जरूरी रिश्तों में असंतोष पैदा हो सकता है। इस स्टडी में शामिल 145 कपल ने माना कि डिवाइस के अत्यधिक उपयोग से उनके मैरिटल सटिस्टफेकशन में कमी आई है।

243 कपल को लेकर चीनी वैज्ञानिकों के किए गए एक स्टडी में यही बात सामने आई। इस अध्ययन से पता चलता है कि अत्यधिक फोन का उपयोग न केवल लोगों की वैवाहिक संतुष्टि को कम करता है, बल्कि यह अवसाद की आशंका को भी बढ़ा रहा है।

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