सुख-सुविधाएं कर रहीं ओजोन का क्षरण ?

 Ozone Protection News: हमारी पृथ्वी के लिए ओजोन परत सुरक्षा कवच की तरह काम करती है। जो काफी लंबे समय से निरंतर जारी है। काम से हमारा मतलब है कि सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोकना और उनसे हमारी सुरक्षा करना।
  1. हमारी पृथ्वी के लिए ओजोन परत सुरक्षा कवच की तरह काम करती है
  2. सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोकना और उनसे हमारी सुरक्षा करना

इसके अलावा हैलोजन, मिथाइल क्लोरोफार्म, कार्बन टेट्राक्लोरिड रसायन पदार्थ भी ओजोन को नष्ट करने में सक्षम है। इन रासायनिक पदार्थों को ही ओजोन क्षरण पदार्थ कहते हैं जो एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर व प्लास्टिक आदि के इस्तेमाल में प्रमुखता से उत्सर्जित होते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि इंसानी सुख सुविधा कहीं न कहीं इसका क्षरण कर रही है, कुछ आदतों को बदलकर ओजोन के क्षरण को रोका जा सकता है।

ई-कचरा भी खतरनाक

ई-कचरे की बात करें तो करीब 38 अलग-अलग प्रकार के रासायनिक तत्व इसमें शामिल होते हैं। हमारे घरों में मौजूद टीवी व पुराने कंप्यूटर में लगी सीआरटी, जिसे रिसाइकल करना मुश्किल होता है। क्योंकि इस में लेड, मरक्यूरी केडमियम जैसे घातक तत्व होते हैं। कूड़े में पाया जाने वाले ई-कचरा भी हवा, मिट्टी, भूमिगत जल को प्रदूषित कर रहा है, जिसका असर ओजोन पर पड़ता है।

ये पड़ते हैं दुष्प्रभाव

ओजोन परत का क्षय जिस प्रकार बढ़ रहा है, उसके अनेकों दुष्प्रभाव हो सकते हैं। जैसे कि सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणें धरती पर वायुमंडल में प्रवेश कर सकती हैं। जो बेहद ही गर्म होने के साथ-साथ पेड़-पौधों व जीव जंतुओं के लिए हानिकारक होती है। शरीर पर इन कारणों के पड़ने से त्वचा का कैंसर, अल्सर, मोतियाबिंद जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं। यह किरणें मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करती हैं।

कुछ ऐसे हैं बचाव के उपाय

डा. जादौन की मानें तो ऐसे सौंदर्य प्रसाधन, एयरोसोल और प्लास्टिक के कंटेनर, स्प्रे जिसमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन मौजूद हैं, उन उत्पादों का प्रयोग न करें। वाहन से अत्यधिक धुआं निकलना भी ओजोन के लिए नुकसान दायक है इसके लिए वाहनों का नियमित रखरखाव करें साथ ही बहुत अधिक आवश्यक न होने पर वाहन का उपयोग नहीं करें। प्लास्टिक और रबड़ से बने टायर को कभी न जलाएं। सुनिश्चित करें कि आप अधिक से अधिक पौधे लगाएं, जिससे आक्सीजन अधिक से अधिक मात्रा में वायुमंडल में बनी रहे और इससे ओजोन अणुओं का निर्माण हो। फाम के गद्दे तकिए की जगह, रुई के गद्दे और तकियों का प्रयोग करें, मिट्टी के कुल्हड़ों, पत्तों की थालियों का प्रयोग करें।

विशेषज्ञ का कहना है शहर में सबसे पहले ग्रीन बिल्डिंग की अवधारणा को लागू करना होगा, जिससे एसी के उपयोग से बचा जा सके। वहीं इसके अलावा हर जिला हर गांव अपने आप में पूरा हो, जिससे लोकल मार्केट को बढ़ावा मिले और लोगों को सामान की खरीदारी करने के लिए व्यर्थ ही वाहन का प्रयोग न करें।

विभागाध्यक्ष, पर्यावरण विभाग, जेयू

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