भारत में खालिस्तानी आतंकियों के नेटवर्क को खत्म करने …?
भारत में खालिस्तानी आतंकियों के नेटवर्क को खत्म करने के लिए अब तक क्या-क्या हुआ?
18 जून को कनाडा में खालिस्तान की मांग करने वाले हरदीप सिंह निज्जर की अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी है. इसके बाद से भारत और कनाडा के रिश्तों में काफी तल्खी आ गई है.
अब सरकार इस लिस्ट में नामजद लोगों के आर्थिक स्रोत को बंद करने पर काम कर रही है. नए लिस्ट में कई ऐसे नाम शामिल हैं जो खुद तो विदेश में हैं लेकिन भारत के खिलाफ साजिश में उनका हाथ है. यह विदेशों में रहकर भारत के खिलाफ एंटी इंडिया प्रोपेगैंडा चला रहे हैं.
एएनआई के सूत्रों के अनुसार अब भारत कनाडा, दुबई, ब्रिटेन, अमेरिका, पाकिस्तान सहित अन्य देशों में रहे भगोड़े खालिस्तानियों की संपत्तियां जब्त करने की कार्रवाई करेगा. यह संपत्तियां यूएपीए के सेक्शन 33(5) के तहत जब्त की जाएंगी.
27 सितंबर को भारत के 53 ठिकानों पर की गई छापेमारी
मिली जानकारी के अनुसार एनआईए ने कनाडा में रह रहे खालिस्तान समर्थक आतंकी अर्श डल्ला, लॉरेंस बिश्नोई और सुक्खा दुनेके जैसे बड़े गैंग्स्टर्स के ठिकानों पर धावा बोला. NIA ने घोषित आतंकवादी अर्श डल्ला और कई कुख्यात गैंगस्टरों से जुड़े आतंकवादियों-गैंगस्टरों-ड्रग तस्करों के गठजोड़ पर बड़े पैमाने पर कई राज्यों में कार्रवाई के दौरान कई संदिग्धों को हिरासत में लिया.
ग्राम धनसारा में एनआईए ने धावा बोला
भारत में खालिस्तानी नेटवर्क के खिलाफ एनआईए एक्शन एक्टिव है. उधमसिंहनगर (Udham Singh Nagar) के बाजपुर में एक बार फिर एनआईए ने धावा बोल. इसके अलावा ग्राम धनसारा में शकील के घर पर भी 27 सितंबर की सुबह ही छापेमारी शुरू की गई. एनआई की दस्तक से गांव में सनसनी फैल गई.
पांच अधिकारी रिजर्व पुलिस फोर्स और बाजपुर कोतवाली पुलिस के साथ घर पर रेड डालने पहुंचे थे. बताया जाता है कि शकील एक गन हाउस चलाता है. शकील और उसके बेट असीम पर खालिस्तानी आतंकियों की मदद करने का आरोप है.
छापेमारी में बड़ी मात्रा में बरामद किया गया गोला-बारूद
रिपोर्ट के अनुसार बुधवार को छह राज्यों पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में मारे गए छापों के दौरान पिस्तौल, गोला-बारूद, बड़ी संख्या में डिजिटल सबूत और आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई.
सातवीं बार दिया छापेमारी को अंजाम
एनआईए ने साल 2022 के अगस्त महीने में 5 एफआई दर्ज की थीं. इन एफआईआर में ये सातवीं बार है, जब एनआईए ने छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया है, उसके अलावा 2 एफआईआर इसी साल जुलाई महीने में दर्ज की गई थीं, जिनमें छापेमारी की गई.
ये मामले टारगेट किलिंग, खालिस्तान समर्थकों की आतंकी फंडिंग, गैंगस्टरों की ओर से जबरन वसूली वगैरह से जुड़े हैं. इन मामलों में नामजद कई गैंगस्टर और आतंकी विभिन्न जेलों में बंद हैं या पाकिस्तान, कनाडा, मलेशिया, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में बैठकर भारत के खिलाफ साजिश रच रहे हैं.
खालिस्तान की मांग क्या है और पहली बार कब उठी
खालिस्तान का मतलब खालसा की सरजमीं. यानी खालसा (सिखों ) का प्रदेश. अपने नाम से ही स्पष्ट है कि खालिस्तान का मांग का मतलब सिखों के लिए अलग देश की मांग से है.
सिखों के लिए अलग प्रदेश की मांग ने भारत के आजाद होने और देश के विभाजन के बाद रफ्तार पकड़ी. साल 1947 में जब भारत का विभाजन हुआ तब सबसे ज्यादा तकलीफ मुस्लिमों और उसके बाद सिखों को हुई. उस वक्त सिख भारत और पाकिस्तान (दोनों) के पंजाब में बसते थे. लेकिन जब पाकिस्तान बना तो सिखों को विभाजन के कारण अपने पारंपरिक भूमि पाकिस्तान को छोड़ना पड़ा, इससे उनमें गहरा असंतोष था.
इसके बाद साल 1955 में अकाली दल ने एक आंदोलन किया जिसमें उनकी मांग थी कि भाषा के आधार पर राज्य का पुनर्गठन किया जाए. अकाली दल की मांग थी कि वह राज्य को पंजाबी और गैर-पंजाबी भाषी क्षेत्रों में विभाजित करवाएं. धीरे धीरे ये मांग बढ़ने लगी तो साल 1966 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पंजाब को तीन हिस्सों में बांट दिया. जिसमें पंजाब, हरियाणा को राज्य बनाया गया और चंडीगढ़ को केंद्रशासित प्रदेश.
अकाली दल ने उस वक्त स्वायत्त करने की भी मांग रखी थी. आसान भाषा में समझें तो अकाली दल चाहता था कि तत्कालीन इंदिरा सरकार पंजाब की रक्षा, विदेश, संचार और मुद्रा को छोड़कर सारे अधिकार पंजाब सरकार को दे दे, लेकिन इंदिरा ने उनकी इस मांग को नकार दिया था.
अब साल 1980 के दशक में खालिस्तान आंदोलन ने एक बार फिर से जोर पकड़ा. उस वक्त उस आंदोलन का हवा देने वाले व्यक्ति का नाम जरनैल सिंह भिडरावाला था. वह दमदमी टकसाल के मुखिया थे.
खालिस्तान आंदोलन के बीच ही साल 1981 में पंजाब केसरी अखबार संपादक लाला जगत नारायण की हत्या कर दी गई. जिसके बाद साल खालिस्तान समर्थकों ने 1983 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में पंजाब के डीआईजी एएस अटवाल की हत्या कर दी थी. इस घटना के बाज पंजाब में कानून-व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ गई, जिसे देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया.
राष्ट्रपति शासन के लगाए जाने से नाराज अलगाववादियों का आंदोलन और उग्र हो गया और खालिस्तान समर्थकों ने भिंडरावाले की अगुवाई में बहुत सारे हथियारों के साथ स्वर्ण मंदिर में शरण ले ली. हथियारों के साथ मंदिर नें शरण लिए उग्रवादियों को बाहर निकालने के लिए 1 जून 1984 को केंद्र सरकार की तरफ से ऑपरेशन ब्लू स्टार चलवाया था. इस ऑपरेशन में 83 जवानों और लगभग 492 नागरिकों को अपनी जान गवानी पड़ी थी.
ऑपरेशन ब्लू स्टार में ही भिंडरावाला की मौत हो गई और स्वर्ण मंदिर को उग्रवादियों से मुक्त करा लिया गया, हालांकि इस ऑपरेशन ने पूरी दुनिया रह रहे सिख समुदाय के लोगों को भावनात्मक रूप से आहत पहुंचा दिया था. इंदिरा गांधी ऑपरेशन ब्लू स्टार ने दुनिया भर में इंदिरा गांधी को सिख विरोधी के तौर पर स्थापित कर दिया और यही वजह रही कि उनके ही दो सिख अंगरक्षकों ने पांच महीने के अंदर उनकी हत्या कर दी थी.
भारत में दबा लेकिन विदेशों की सरजमीं पर जिंदा रहा आंदोलन
साल 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद भारत में खालिस्तान आंदोलन को दबा दिया गया था. हालांकि ये आंदोलन कनाडा, ब्रिटेन अमेरिका और आस्ट्रेलिया में रहने वाले सिखों के बीत जिंदा रहा. कनाडा में एक बार फिर से वही आंदोलन जोर पकड़ने लगा है.
अब भारत छोड़ विदेश में रह रहे हैं खालिस्तानी समर्थक
एनआईए के अनुसार कई बड़े गैंगस्टर जो पहले भारत में गिरोहों को ऑपरेट कर रहे थे, पिछले कुछ सालों में विदेश भाग गए हैं और अब वहां से अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. गैंगस्टर से आतंकी बने ये अपराधी भारत की अलग-अलग जेलों में बंद बदमाशों के साथ कॉन्ट्रैक्ट कर हत्याओं सहित गंभीर अपराधों की साजिश तैयार कर उन्हें अंजाम देने में लगे हुए हैं.
विश्व मानचित्र पर खालिस्तान की मांग
वर्तमान में ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा जैसे कई देशों में रह रहे सिख समय समय पर खालिस्तान की मांग उठाते रहते हैं जा रही है. हालांकि विदेश में रह रहे सिखों के कई संगठन जो लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं, उन्हें पंजाब में ज़्यादा समर्थन नहीं है.
इसी तरह का एक ग्रुप है सिख फॉर जस्टिस. यह एक अमेरिका स्थित समूह है. जिसे 10 जुलाई 2019 को भारत सरकार द्वारा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि संगठन का अलगाववादी एजेंडा है.
इसके ठीक एक साल बाद यानी साल 2020 में भारत सरकार ने अलग अलग देशों के खालिस्तानी समूहों से जुड़े 9 लोगों को आतंकवादी घोषित किया और लगभग 40 ऐसे वेबसाईटों को बंद कर दिया जो खालिस्तान समर्थक हैं.
सिख फ़ॉर जस्टिस के अनुसार उनके ग्रुप का उद्देश्य सिखों के लिए एक स्वायत्त देश बनाना है. इस समूह की स्थापना साल 2007 में अमेरिका में की गई थी. इस ग्रुप का प्रमुख चेहरा पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से लॉ ग्रेजुएट गुरपतवंत सिंह पन्नू हैं. वो अमेरिका में लॉ की प्रैक्टिस कर रहे हैं.
गुरपतवंत सिंह पन्नू ग्रुप नें खालिस्तान के समर्थन में ‘रेफ़रेंडम 2020’ (जनमत संग्रह) कराने का अभियान भी शुरू किया था. इस संस्था ने कनाडा और अन्य कई भागों में जनमत संग्रह कराया गया लेकिन अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में इसे लेकर कोई खास प्राथमिकता नहीं मिली.
कहां से मिलती है इन संगठनों को फंडिंग
एनआईए के अनुसार विदेश में रह रहे खालिस्तान समर्थकों का संगठन भारत में टारगेट किलिंग से लेकर ड्रग्स-हथियारों की तस्करी, हवाला और जबरन वसूली के जरिए फंड इकट्ठा करने में जुटे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार एनआईए ने इन खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ 87 बैंक खाते फ्रीज किए हैं और 13 संपत्तियां कुर्क की हैं. इसके अलावा 331 डिजिटल डिवाइस, 418 दस्तावेज और दो वाहन जब्त किए हैं. दो भगोड़ों को गजट पास कर आतंकवादी घोषित किया गया है और 15 आरोपियों को भगोड़ा अपराधी घोषित किया गया है, जबकि 9 अन्य के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी किए गए हैं.
ये कार्रवाई अर्शदीप सिंह डल्ला और कुख्यात गैंगस्टरों के बीच बने नेक्सस को तोड़ने की तरफ अहम कदम था. साथ ही, इस कदम से इनके फंडिंग, ड्रग्स और आतंकी नेक्सस को तोड़ने में भी मदद मिलेगी.
निज्जर की हत्या का क्या है मामला
18 जून को खालिस्तान समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाल ही में एक बयान में कहा कि इस हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ हो सकता है.
उनका दावा है कि भारतीय एजेंट्स ने उनके देश में हत्या की है. मामले के तूल पकड़ने के बाद कनाडा ने सोमवार को एक भारतीय राजनयिक को देश छोड़कर जाने को कह दिया. भारत ने भी जवाब में कनाडाई राजनयिक को देश छोड़ने का आदेश दे दिया है.
अब दोनों देशों के बीच बढ़ रहे तनाव ने भारत-कनाडा के साथ साथ दुनिया के अन्य नेताओं को भी चिंता में डाल दिया. दोनों देशों के बीच रिश्ते हाल के वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं.