कैसे लागू होगा जीरो टॉलरेंस?

अफसर-टैक्स चोर गठजोड़ का खुलासा करने वाला अफसर नपा …
शिकायत का उठाना पड़ा खामियाजा…अब ‌‌वेटिंग में; कैसे लागू होगा जीरो टॉलरेंस?

दरअसल, अपर आयुक्त (प्रशासन) ओपी वर्मा 4 अफसरों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच कर रहे थे। लेकिन खुद वर्मा पर ही 70 लाख लेकर जांच के दायरे में आए एक अफसर को क्लीन चिट दिए जाने के आरोप मढ़ दिया गया। इसकी एक शिकायत महोबा के चरखारी से विधायक बृजभूषण राजपूत के लेटर हेड पर और दूसरी शिकायत हाईकोर्ट के एडवोकेट रविन्द्र सिंह बिष्ट के नाम से की गई।

जिसमें मोबाइल सं (945….84) और पता दर्ज था हाईकोर्ट चैंबर नं 627। बाद में हुई पड़ताल में पता चला कि शिकायत गाजियाबाद से मेल की गई थी। इसके साथ दिए गए पते पर बिष्ट नाम के कोई वकील नहीं हैं। इसके अलावा जो नंबर लिखा था, वह अलीगढ़ के शिक्षक कालीचरण का था, उन्हें खुद नहीं पता था कि उनका नंबर कैसे किसी शिकायत में दर्ज कर दिया गया।

यह शिकायत महोबा के विधायक बृजभूषण राजपूत के लेटर हेड से की गई।
यह शिकायत महोबा के विधायक बृजभूषण राजपूत के लेटर हेड से की गई।

जैसे ही IAS अफसर ओपी वर्मा के आरोपों की खबर सामने आई। शासन में हड़कंप मच गया। शनिवार शाम वर्मा के तबादले के आदेश जारी कर दिए गए। वर्मा को एपीसी ब्रांच में भेज दिया गया। उनकी जगह पर लखनऊ में तैनात CDO रिया केजरीवाल की नियुक्ति कर दी गई। अब राज्यकर में सवाल उठाने वाले को ही महकमे से बेदखल किए जाने पर कई गंभीर सवाल उठ गए हैं।

यह शिकायत हाईकोर्ट के एडवोकेट रविन्द्र सिंह बिष्ट के नाम से की गई है।
यह शिकायत हाईकोर्ट के एडवोकेट रविन्द्र सिंह बिष्ट के नाम से की गई है।

राज्यकर महकमे के वर्मा ने शासन को पत्र लिखकर राज्यकर मुख्यालय में तैनात अफसरों के चौंकाने वाले खेल का खुलासा किया था।…….जानकारियों के मुताबिक, IAS अफसर वर्मा ने शासन को लिखित तौर से बताया…

एक अफसर की व्यापारी से बीस लाख के लेनदेन की बातचीत का ऑडियो वायरल
पूर्वांचल में तैनात एक ज्वाइंट कमिश्नर रैंक के एक अफसर की व्यापारी से बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ। जिसे लेकर इस महकमे के अफसरों में तमाम चर्चाएं हैं। ऑडियो में संबंधित व्यापारी 20 लाख लिए जाने की बात कह रहा है।

अफसर की आवाज आती है कि मैंने तुम्हारे लिए जो किया है किसी के लिए नहीं किया। जब तक मैं रहूंगा फायदा करवा कर जाऊंगा। पर उसके लिए तुम्हें मेरे अनुसार चलना पड़ेगा। इस वायरल ऑडियो की पुष्टि न होने से संबंधित अफसर की पहचान का खुलासा नहीं किया जा रहा है।

जाहिर है कि राज्यकर महकमे में सब ठीक नहीं पर अभी तक कार्रवाई के नाम पर जाहिर तौर से कुछ खास होता नहीं दिखा। बस जुबान खोलने वाले IAS ओपी वर्मा पद से जरूर बेदखल कर दिए गए।

राज्यकर महकमे में SIB और सचल दल दो ऐसी ब्रांच हैं। जिनके पास कारोबारियों के लेनदेन, माल की आपूर्ति व सप्लाई संबंधित दस्तावेजों की जांच की जिम्मेदारी होती है। पिछले साल जब राज्यकर चोरी करने वाले कई व्यापारियों पर शिकंजा कसा गया, तो फील्ड में तैनात कई अफसरों संग इनकी साठ-गांठ का खुलासा हुआ।

इसके बाद शासन के निर्देश पर दागी छवि वाले अफसरों को चिह्नित करके उनकी सूची तैयार करने और उन्हें हटाकर अच्छी छवि वाले अफसरों को फील्ड में तैनाती देने की कवायद की गई। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, शासन की सख्ती के शुरुआती दौर में तो हलचल हुई। पर बाद में इस दिशा में रफ्तार सुस्त पड़ गई।

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