AAP: दिल्ली शराब घोटाले में ‘आप’ पर कसेगा शिकंजा! क्या किसी पार्टी को बनाया जा सकता है आरोपी?

AAP: दिल्ली शराब घोटाले में ‘आप’ पर कसेगा शिकंजा! क्या किसी पार्टी को बनाया जा सकता है आरोपी? जानें कानून

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मामलों में आम आदमी पार्टी (आप) को आरोपी बनाने पर विचार कर रही है। इससे पहले भी मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसियों से सवाल किया था कि यदि आबकारी नीति से जुड़े मामले में कोई राजनीतिक दल लाभार्थी है, तो उसे आरोपी बनाया जाना चाहिए?

ऐसे में सवाल उठता है कि किसी राजनीतिक दल को आरोपी बनाए जाने की चर्चा क्यों हो रही है? इससे पहले क्या हुआ था? आखिर सियासी संगठन को आरोपी बनाए जाने के नियम क्या कहते हैं? समझते हैं..
पहले जानते हैं कि किसी राजनीतिक दल को आरोपी बनाए जाने की चर्चा क्यों हो रही है? सीबीआई और ईडी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मामलों में आप को आरोपी बनाने पर विचार कर रहे हैं। जांच एजेंसियों की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि वे शराब नीति अनियमितता मामले में ‘आप’ को आरोपी बनाने पर विचार कर रहे हैं। मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जांच एजेंसियों की ओर से यह दलील दी गई। सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई कल भी जारी रहेगी।

इससे पहले क्या हुआ था?
इससे पहले पांच अक्तूबर को आबकारी नीति घोटाले के लाभार्थी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों से गंभीर सवाल पूछे थे। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लाभार्थी आप को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी क्यों नहीं बनाया गया?

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने यह सवाल तब उठाया, जब भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसौदिया की दो अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की गई, जिसकी जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है। संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच ईडी द्वारा की जा रही है। ईडी ने दावा किया था कि आम आदमी पार्टी ने 2022 के गोवा विधानसभा चुनावों में अपने अभियान के लिए कई हितधारकों से रिश्वत में मिले 100 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया।

…तो क्या राजनीतिक दल को आरोपी बनाया जा सकता है, नियम क्या कहते हैं?
किसी भी सियासी दल को आरोपी बनाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता ने कई पहलुओं पर बात की। विराग कहते हैं, ‘जन-प्रतिनिधित्व कानून की धारा-29-ए के तहत राजनीतिक दलों का चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन होता है। इसके अनुसार उन्हें कानूनी व्यक्ति का दर्जा मिल जाता है, जिसके तहत वे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के साथ टैक्स में अनेक छूट हासिल करती हैं। पीएमएलए एक्ट की धारा-2 (1) (यू) में आपराधिक धन के अनुसूचित मामलों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सभी तरह के लाभार्थी अपराध के दायरे में आ सकते हैं। इस बारे में विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत सरकार मामले में 2022 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में विस्तार से चर्चा हुई है। पीएमएलए एक्ट की धारा-3 के प्रावधान के अनुसार आपराधिक धन और सम्पत्ति के गोपन, रखने या इस्तेमाल से जुड़े सभी लोगों के खिलाफ पीएमएलए के तहत आपराधिक मामला बनता है।’
पहले क्या कोई उदाहरण आए हैं जब राजनीतिक दल को आरोपी बनाया गया हो?
इस सवाल पर विराग कहते हैं, ‘सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों के खिलाफ मामले दर्ज करने को भारत के कानून और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से मान्यता मिली हुई है। अगर आप पार्टी को आरोपी बनाया गया तो फिर मनीष सिसोदिया के जमानत मामले में मजबूती मिलेगी। सिसोदिया के बचाव पक्ष के अनुसार उन्होनें आपराधिक धन का कोई लेन-देन नहीं किया और उनके यहां से आपराधिक धन की बरामदगी भी नहीं हुई।’ 

विराग आगे कहते हैं, ‘आप पार्टी को आरोपी बनाने के लिए ईडी को मामले में नये तरीके से छानबीन करनी होगी। राजनीतिक दल को आरोपी बनाने को, अदालत में भी चुनौती दी जाएगी। ऐसे मामलों से जुड़े जटिल कानूनी पहलुओं को देखते हुए, उन पर निर्णायक फैसला आने में लम्बा समय लग सकता है।’

आरोपी बनाया गया तो उस पार्टी की मान्यता पर भी कोई खतरा होगा? यदि हां तो फिर जहां उसकी सरकारें हैं उनका क्या होगा?
विराग ने कहा, ‘चुनाव आयोग ने पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई करने और उनकी मान्यता रद्द करने के लिए जून 2022 में केन्द्र सरकार से कानून बनाने की मांग की थी, जिस पर अभी तक कोई कारवाई नहीं हुई। आजादी के बाद आठ दशकों में राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को जवाबदेह बनाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था और रेगुलेटर नहीं हैं। शराब घोटाले में आप पार्टी को आरोपी बनाने से, भारत में राजनीतिक दलों की जवाबदेही का एक नया दौर शुरु हो सकता है।’

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