भिण्ड: खिचड़ी बन गया 368 करोड़ का सीवर प्रोजेक्ट !
बीरबल की खिचड़ी बन गया 368 करोड़ का सीवर प्रोजेक्ट, 5 साल बाद भी अधूरा …
पहले चरण का कार्य भी अधूरा, हैंडओवर से पहले ही लाइन चोक
भिण्ड. शहर को सीवरेज और घरेलू निस्तार के पानी की समस्या से निजात के लिए लाए गए सीवर प्रोजेक्ट के पहले चरण का बुरा हश्र हुआ है। एक साल के भीतर पूरी होने वाली परियोजना पांच साल बाद भी पूरी नहीं हो पाई है, अधिकारियों का दावा है कि पहले चरण का काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत है।
सीवर प्रोजेक्ट का पहला चरण शुरू होने से पहले ही फेल हो गया। चैंबर सूखे और टूटे पड़े हैं, कहीं ओवरफ्लो रहे हैं और कोई देखने-सुनने वाला नहीं है। इस मुद्दे पर पहले तो हाउसिंग कॉलोनी में कृष्णा टाकीज रोड, गोल मार्केट के पास टूटे चैंबर को लेकर लोगों को परेशानी भी, अब सडक़ें बनने के बाद यहां चैंबर सही करवाए तो शहर के 30 प्रतिशत हिस्से में यही समस्या है। पहले चरण में नगरपालिका ने 2.9 वर्ग हैक्टेयर में सीवरेज परियोजना पर काम शुरू कराया था। 96 किलोमीटर लंबाई में सीवर की मुख्य पाइप लाइन बिछाई गई हैं। 8 दिसंबर 2018 को कार्यादेश के बाद यह तय किया गया था कि एक साल के भीतर यह काम पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन एक साल में 25 प्रतिशत भी काम पूरा नहीं हो पाया और फिर इसे पहले एक साल के लिए बढ़ाया गया और यह सिलसिला अब तक जारी है। हालांकि नगरपालिका के अधिकारी यह तो कहते हैं कि काम तो पूरा हो गया है, लेकिन उसकी विधिवत लोकार्पण की घोषणा नहीं कर पा रहे हैं। सीवर प्रोजेक्ट के दूसरे चरण का काम शुरू कराने का प्रस्ताव भी छह माह पहले भेज दिया गया था। करीब 171करोड़ रुपए के इस दूसरे चरण में ही पूरे शहर को कवर करने का प्रयास किया जाएगा। इसमें लहार रोड, अटेर रोड, इटावा रोड, भारौली रोड सहित पूरे नगरपालिका क्षेत्र को लिया जाएगा। इसके लिए दो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाए जाएंगे।
13 हजार 565 घरों में कनेक्शन का दावा
शहर में मकान तो 45 हजार से अधिक हैं, नगर निगम के बाद तो इनकी संख्या 60 हजार तक पहुंच सकती है, लेकिन पहले चरण में 13 हजार 565 घरों में ही कनेक्शन का लक्ष्य तय किया गया था। नगरपालिका का कहना है लक्षित घरों में कनेक्शन दिए जा चुके हैं। लेकिन सीवर प्रोजेक्ट कहीं भी सफल नहीं है। रेखानगर के लोगों ने बरसात के दिनों में प्रदर्शन तक किया था, अभी भी समस्या यथावत है।
समय के साथ बढ़ी प्रोजेक्ट की लागत
पहले चरण का काम 70.8 करोड़ रुपए से शुरू कराया गया था, बाद में इसकी लागत 84.16 करोड़ रुपए तक पहुंची। अब इस पर 100 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। बीटीआई रोड निवासी सीताराम शाक्य कहते हैं कि जब काम शुरू हुआ था तो बड़ी खुशी हुई थी, लेकिन अब परेशान हैं। चैंबर जाम बने रहते हैं और कोई देखने तक नहीं आता है।
फैक्ट फाइल
8 दिसंबर 2017 को हुआ था कार्यादेश।
7 दिसंबर 2019 तक पूरा होना था कार्य।
16 मार्च 2018 से शुरू हो पाया था लाइन बिछाने का कार्य।
96 किलोमीटर लंबाई में बिछाई गई हैं पाइप लाइन।
13565 घरों में कनेक्शन का दावा किया जा रहा है।
30 फीसदी से ज्यादा चैंबर चोक या क्षतिग्रस्त हुए।
10 साल रख रखाव का काम रहेगा
नगरपलिका का कहना है कि निर्माण एजेंसी 10 साल तक रख-रखाव करेगी। प्रोजेक्ट मैनेजर दीपेंद्र सेंगर के अनुसार पहले चरण का करीब 84 करोड़ रुपए का काम पूरा हो गया है। हालांकि उसे विधिवत लोकार्पित नहीं किया गया है। प्रोजेक्ट तो पहला कनेक्शन जोड़ते ही चालू मान लिया जाता है।