पक्षकारों को सिर्फ तारीख पर तारीख ?
हाईकोर्ट में अप्रैल से अब तक 7 जज हुए रिटायर
पक्षकारों को सिर्फ तारीख पर तारीख; क्योंकि एक जज को 150 केस तक सुनवाई का जिम्मा
मप्र हाई कोर्ट में जजों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। यहां तीनों बेंच में जजों के कुल 53 पद स्वीकृत है। वर्तमान में कुल 31 जज विभिन्न बेंच में कार्यरत हैं, जबकि शेष 22 पद रिक्त हैं। ये स्थिति तब है जब 15 फरवरी 2022 को 6 नए जज मिले थे। इसके बाद 1 मई 2023 को भी मप्र हाई कोर्ट को 6 Qर नए जज मिले।
इसके बाद भी रिक्त पदों की संख्या कम होती नहीं दिख रही। 26 अक्टूबर को ग्वालियर बेंच में पदस्थ जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह भी रिटायर होने जा रहे हैं। ऐसे में रिक्त पदों की संख्या और बढ़ जाएगी। वर्तमान स्थिति ये है कि एक जज (सिंगल बेंच) के ऊपर कुल 330 मिनिट में हर रोज औसतन 120 से 150 केस की सुनवाई का जिम्मा है।
ग्वालियर बेंच में कई मामले ऐसे हैं, जिनमें सुनवाई पूरी हुए 9 महीने का समय हो चुका है। लेकिन आदेश अभी तक नहीं आ पाया है। उदाहरण के लिए एक 71 वर्षीय विधवा महिला ने 2021 में याचिका दायर की सरकारी रिकॉर्ड में त्रुटि के चलते उन्हें विभाग ने मृत मान लिया है। इसलिए पति की मौत के बाद भी पेंशन नहीं मिल पा रही। केस कई बार सुनवाई के लिए लगा, लेकिन प्रकरणों की संख्या ज्यादा होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी।
ग्वालियर बेंच में छह माह में ही बढ़ गए 3,061 लंबित केस
केस अधिक होने के कारण आमजन की पिटीशन कॉज लिस्ट (प्रकरणों की सूची) में तो आ जाती है, लेकिन उनकी पिटीशन का नंबर ही नहीं आ पाता। जिससे अधिकांश पक्षकारों को राहत की जगह तारीख पर तारीख मिल रही है। अकेले ग्वालियर में ही छह माह के दौरान 3,061 लंबित केस बढ़ गए हैं।
छह माह में यह जज हुए रिटायर
- जस्टिस वीरेंदर सिंह (जबलपुर) 14 अप्रैल,
- जस्टिस अंजुली पालो (जबलपुर) 18 मई,
- जस्टिस राजेंद्र कुमार वर्मा (जबलपुर) 30 जून,
- जस्टिस अरुण कुमार शर्मा (जबलपुर) 28 जुलाई,
- जस्टिस नंदिता दुबे (जबलपुर) 16 सितंबर,
- जस्टिस दीपक अग्रवाल (ग्वालियर) 20 सितंबर,
- जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह (ग्वालियर) 26 अक्टूबर। इसके साथ ही जस्टिस अतुल श्रीधरन (ग्वालियर) का 8 मई स्थानांतरण किया गया है।
एक्सपर्ट व्यू
जस्टिस (रिटा.) हाईकोर्ट मध्यप्रदेश
पेडेंसी कम करने के प्रयास किए जाएं
अभी हाई कोर्ट में जजों की संख्या कम है। हाल ही में कुछ जजों का मप्र हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया गया है। कॉलेजियम ने भी केंद्र को कुछ नाम भेजे हैं। अगर इन्हें स्वीकृति मिली तो रिक्त पदों में कमी आएगी। इसके साथ ही केस की पेडेंसी कम करने में मीडिएशन और लोक अदालत सशक्त माध्यम हैं। सब स्तर पर प्रयास करने से ही लंबित केसों की संख्या को कम करने में सफलता मिल सकेगी।