भिंड में बीजेपी को बागियों से नुकसान ?
भिंड में बीजेपी को बागियों से नुकसान …..
साइकिल और हाथी पर सवार प्रत्याशी बिगाड़ रहे समीकरण, वोटबैंक में लगाएंगे सेंध
भिंड जिले में बीजेपी के टिकट वितरण के साथ ही पांचों विधानसभा में विराेध शुरू हो चुका था। बीजेपी का सबसे ज्यादा वोट का गणित अटेर और भिंड बिगड़ रहा है। इन दोनों सीटों पर बीजेपी के ही दिग्गज नेता मैदान में उतर चुके हैं। अटेर विधानसभा से पूर्व विधायक मुन्नासिंह भदौरिया ने समाजवादी पार्टी से ताल ठोक दी है। वहीं, भिंड विधानसभा में लगातार रविसेन जैन की उपेक्षा होने पर वे भी सपा की साइकिल पर सवार हो चुके है। वहीं एक बार फिर से विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने हाथी की सवारी कर ली। ये प्रत्याशियों ने नामांकन भर दिए हैं।
एमएलए संजीव सिंह मैदान में
सबसे पहले बात करते है भिंड विधानसभा की। भिंड विधानसभा में बीजेपी ने नरेंद्र सिंह कुशवाह को मैदान में उतार था। वहीं, विधायक संजीव सिंह कुशवाह का टिकट काटे जाने से नाराजगी बनी हुई थी। विधायक, बसपा से पिछला चुनाव जीते थे और बीजेपी में ज्वाइनिंग ली थी। इसके बाद पार्टी द्वारा टिकट काटे जाने से नाराज होकर वे फिर से हाथी पर सवार हो गए। संजीव सिंह के मैदान में आने से बीजेपी प्रत्याशी के जातिगत समीकरण बिगड़े हैं। भिंड शहर का जैन समाज का वोट बैंक पर उन्हें विश्वास बना हुआ था। इधर पूर्व जिलाध्यक्ष रविसेन जैन लगातार बीजेपी से टिकट मांग रहे थे। अब तक पार्टी ने उन्हें मौका नहीं दिया था। नामांकन की अंतिम तारीख को रविसेन जैन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर मैदान में आ चुके हैं। इससे बीजेपी के जैन वोट बैंक में सीधे तौर पर सेंध लग रही है।
बीजेपी से बगावत कर सपा और हाथी पर सवार होने वाले प्रत्याशी
अटेर में मुन्ना सिंह दौड़ाएंगे साइकिल
इधर, अटेर की बात करें तो यहां वर्तमान विधायक और प्रदेश सरकार के मंत्री डॉ अरविंद सिंह भदौरिया को बीजेपी ने एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है। यहां अरविंद सिंह भदौरिया को बीजेपी वर्ष 2008 से लगातार मैदान में उतार रही है। वहीं पूर्व विधायक मुन्ना सिंह भदौरिया को बीजेपी ने वर्ष 2003 में मैदान में उतारा था। इसके बाद मौका नहीं मिला। उक्त चुनाव में मुन्नासिंह को पूर्व नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने हराया था। इसके बाद चार चुनाव अरविंद सिंह भदौरिया ने लड़े, जिसमें दो जीते दो हारे। ये अरविंद का पांचवां चुनाव है। मुन्नासिंह को बीजेपी द्वारा टिकट न देने पर वे सपा से मैदान में आ चुके है। वे आज नामांकन भरने जा रहे है। मुन्ना सिंह के मैदान में आने से बीजेपी से नाराज वोट बैंक में सीधे तौर पर सेंध लगेगी।
लहार में रसाल सिंह हाथी पर सवार
लहार विधानसभा में बीजेपी के पूर्व विधायक रसाल सिंह पहले ही हाथी सवार हो चुके है। वे नामांकन भी भर चुके है। इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस विधायक डॉ गोविंद सिंह का क्षत्रप पिछले 30 साल से है। कांग्रेस के अभेदी किला को तोड़ने के लिए बीजेपी ने युवा नेता अम्बरीष शर्मा पर दांव लगाया है। अम्बरीष शर्मा को टिकट मिलते ही पूर्व विधायक एवं बीजेपी के सीनियर नेता रसाल सिंह ने विरोध शुरू कर दिया था। पार्टी को टिकट बदलने का समय दिया। जब उनकी पार्टी में सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने बगावत करते हुए बसपा की सदस्यता लेकर मैदान में आ गए। उनके मैदान में आने से क्षेत्र का दलित वोट बैंक का एक हिस्सा उनके खाते में जा रहा है।
गोहद और मेहगांव में भितरघात का डर
- इधर, गोहद में कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में आने वाले रणवीर जाटव को बीजेपी ने मौका नहीं दिया। रणवीर जाटव, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक है। इस वजह से क्षेत्र के सिंधिया समर्थकों में नाराजगी बनी है। टिकट वितरण के बाद बीजेपी प्रत्याशी लालसिंह आर्य को लगातार विरोध का सामना करना पड़ा था। इस सीट पर भितरघात का डर बना हुआ है।
- इसी तरह मेहगांव की स्थिति है। मेहगांव में कांग्रेस से बीजेपी में आए राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया का टिकट कट गया। मेहगांव का टिकट पूर्व विधायक राकेश शुक्ला को दिया गया है। ओपीएस भदौरिया ने भी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी को ज्वाइन किया था इस वजह से यहां पर भी सिंधिया समर्थक भाजपाइयों में रोष है। इधर बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी क्षेत्र के सबसे प्रबल दावेदार थे। उनका टिकट कटने के बाद उनके समर्थक भी नाराज है। बीते राेज दशहरा मिलन समारोह में बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष ने अपने दर्द को सार्वजनिक बयां भी किया था। ऐसे हालात में पार्टी की गुटबाजी सामने आई थी। इस सीट पर भी भितरघात का डर सता रहा है।