ED को कब तक टाल सकते हैं केजरीवाल
क्या सीएम की गिरफ्तारी का वारंट जारी होगा; एजेंसी के पास अब क्या विकल्प ….
2 नवंबर की सुबह दिल्ली में गहमा-गहमी थी। राजघाट पर पुलिस बढ़ा दी गई थी। उम्मीद थी कि पूछताछ के लिए ED ऑफिस जाने से पहले सीएम अरविंद केजरीवाल बापू की समाधि पर जाएंगे। हालांकि केजरीवाल ED के समन पर पेश नहीं हुए। उल्टा उन्होंने चिट्ठी लिखकर इस कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बता दिया।
केजरीवाल कब तक ED के समन को टाल सकते हैं, जांच एजेंसी के सामने आगे क्या विकल्प मौजूद हैं ..
सवाल 1: CM केजरीवाल ने ED को चिट्ठी भेजकर पूछताछ में शामिल न होने की क्या वजह बताई?
जवाब: दिल्ली के CM केजरीवाल ने ED को भेजी चिट्ठी में 4 प्रमुख बातें कही हैं…
- पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। आम आदमी पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक और स्टार प्रचारक होने के नाते मुझे चुनाव प्रचार के लिए यात्रा करनी पड़ती है और अपने कार्यकर्ताओं को राजनीतिक मार्गदर्शन देना पड़ता है।
- दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर मेरे पास शासन और आधिकारिक प्रतिबद्धताएं हैं, जिनके लिए मेरी उपस्थिति जरूरी है, खासकर दीपावली से पहले। ऐसे में कृपा कर समन को रिकॉल करें।
- समन में ये साफ नहीं है कि मुझे क्यों बुलाया जा रहा है। केस में मुझे गवाह के तौर पर बुलाया जा रहा है या संदिग्ध के तौर पर, दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर या आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर। इसकी कोई जानकारी नहीं है।
- 30 अक्टूबर को बीजेपी नेताओं ने बयान दिया कि CM केजरीवाल को वारंट भेजकर गिरफ्तार किया जाएगा। उसी शाम मुझे समन भेजा गया। इससे इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि मुझे समन भेजने की खबर बीजेपी नेताओं को लीक की गई है।
सवाल 2: CM केजरीवाल पेश नहीं हुए, अब ED के पास क्या विकल्प मौजूद हैं?
जवाब: समन भेजे जाने के बावजूद CM अरविंद केजरीवाल के पेश नहीं होने पर अब आगे ED के सामने ये विकल्प हैं…
- अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर से पेश होने के लिए नया समन भेजेगी। कोई भी व्यक्ति ED के समन को सिर्फ तीन बार इग्नोर कर सकता है।
- अगर केजरीवाल आगे भी दो बार समन के बावजूद पेश नहीं होते हैं तो ED उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट यानी नॉन-बेलेबल वारंट जारी करवा सकती है। यह वारंट कोर्ट के ऑर्डर से पास होगा। ऐसे में केजरीवाल को तय समय और डेट पर हर हाल में पेश होना होगा।
- अगर गैर जमानती वारंट के बावजूद केजरीवाल खुद जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं होते हैं तो ED उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। गिरफ्तारी के बाद उन्हें कोर्ट के सामने पेश किया जा सकता है।
सवाल 3: अरविंद केजरीवाल के पास अब आगे क्या रास्ते हैं?
जवाब: अरविंद केजरीवाल के पास भी मोटे-तौर पर 2 विकल्प दिख रहे हैं…
- CM केजरीवाल ED के भेजे गए समन के खिलाफ कोर्ट में अपील कर सकते हैं। कोर्ट में वह समन की कानूनी वैधता को चैलेंज कर उसे रद्द करने की मांग कर सकते हैं। कोर्ट केजरीवाल की अपील पर दिल्ली शराब घोटाला केस में उन्हें अग्रिम जमानत दे सकती है।
- अरविंद केजरीवाल ED की तरफ से दोबारा भेजे गए समन पर पेश होकर जांच में मदद कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो उनके खिलाफ एजेंसी को गैरजमानती वारंट जारी कराने की जरूरत नहीं होगी।
सवाल 4: ईडी और केजरीवाल की इस रस्साकशी के राजनीतिक मायने क्या हैं?
जवाब: पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई के मुताबिक केजरीवाल गिरफ्तार होंगे या नहीं, यह मामला कानून से ज्यादा राजनीतिक है। इसलिए इसे राजनीतिक नजरिए से ही देखने की जरूरत है।
ED इस बात की व्याख्या नहीं करता है कि कोई व्यक्ति विटनेस है या सस्पेक्ट है। इसी बात का फायदा अरविंद केजरीवाल को मिल रहा है। केजरीवाल कानूनी सलाह पर ही ED के सामने पेश नहीं हो रहे होंगे।
मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका के सुप्रीम कोर्ट में रद्द होने से केंद्र सरकार का मनोबल बढ़ा है। उसे लग रहा है कि ये मजबूत केस है, जिसे किसी भी अदालत में साबित कर सकते हैं।
इसमें केजरीवाल की गिरफ्तारी तक के भी विकल्प हैं। हालांकि राजनीतिक तौर पर देखें तो सरकार के लिए ये बेहद मुश्किल होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि आम आदमी पार्टी सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं बल्कि जनसंघर्ष और मूवमेंट से शुरू हुई पार्टी है।
अब उस पार्टी के सीएम को अचानक से गिरफ्तार किया जाता है तो जनता में केंद्र को लेकर गलत संदेश जा सकता है। केंद्र पर एजेंसियों के गलत इस्तेमाल के आरोप लग सकते हैं। इसका फायदा आम आदमी पार्टी को भी मिल सकता है।
लालू यादव भ्रष्टाचार के केस में जेल तक गए। उन पर आरोप तय हुए, सजा हुई। इसके बावजूद उनकी पार्टी चुनाव में और ज्यादा मजबूत हुई। ऐसे में ED की कार्रवाई का क्या पॉलिटिकल असर होगा, इस बारे में अभी कुछ भी कह पाना मुश्किल है।
सवाल 5: क्या ED के पास CM केजरीवाल को गिरफ्तार करने की ताकत है या उसे किसी से परमिशन की जरूरत होगी?
जवाब: केंद्र की तीन सबसे ताकतवर जांच एजेंसी हैं- CBI, ED और NIA। ED की बात करें तो ये मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA की ताकत से लैस है। मनी लॉन्ड्रिंग केस में इसके पास असीमित ताकत है।
यह केंद्र सरकार की अकेली जांच एजेंसी है, जिसे मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में नेताओं और अफसरों को तलब करने या उन पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं है।
ED छापा भी मार सकती है और प्रॉपर्टी भी जब्त कर सकती है। हालांकि अगर प्रॉपर्टी इस्तेमाल में है, जैसे मकान या कोई होटल तो उसे खाली नहीं कराया जा सकता। साफ है कि CM केजरीवाल को गिरफ्तार करना हुआ तो ED को किसी से परमिशन लेन की जरूरत नहीं होगी।
CBI केंद्र की सबसे बड़ी जांच एजेंसी है, इसके बावजूद इस संस्था को किसी राज्य में घुसने के लिए सरकार की अनुमति जरूरी होती है। हालांकि कोर्ट के आदेश पर जांच चल रही हो तो CBI कहीं भी जांच कर सकती है।
इसी तरह नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी यानी NIA को बनाने की कानूनी ताकत NIA Act 2008 से मिलती है। NIA पूरे देश में काम कर सकती है, लेकिन उसका दायरा केवल आतंक से जुड़े मामलों तक सीमित है।
सवाल 6: क्या पहले भी कोई आरोपी 3 बार से ज्यादा ED के समन भेजे जाने के बावजूद पेश नहीं हुआ है?
जवाब: हां, 27 सितंबर को ED ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को पेश होने के लिए पांचवी बार समन भेजा था। इसके बावजूद वो पेश नहीं हुए। रांची में हुए एक जमीन घोटाले के मामले में पूछताछ के लिए ED सोरेन को समन भेज रही है। हालांकि सोरेन इसे गैर-कानूनी बताकर पेश नहीं हो रहे हैं।
हेमंत सोरेन ED के समन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट में अपील करने के लिए कहा था। इसके बाद सोरेन के वकील ने बार-बार समन भेजने को गैर-कानूनी और परेशान करने वाला बताकर हाईकोर्ट में अपील की।
उन्होंने कोर्ट में कहा कि जांच में सहायता करने के बावजूद केंद्र के इशारे पर ED उन्हें परेशान कर रही है। ये मामला अब कोर्ट में है और ED ने सोरेन को न तो अब तक गिरफ्तार किया है और न ही उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।
सवाल 7: सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी को लेकर क्या फैसला सुनाया था, जो केजरीवाल के लिए संजीवनी साबित हो सकता है?
जवाब: पिछले महीने 3 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गुरुग्राम स्थित रियल्टी समूह एम3एम के निदेशक बसंत बंसल और पंकज बंसल की गिरफ्तारी को रद्द कर दिया था।
साथ ही कोर्ट ने ED को फटकार लगाते हुए कहा कि जांच एजेंसी यह उम्मीद नहीं कर सकती है कि जिस आरोपी को समन जारी किया गया है वह अपने गुनाह को कबूल कर ले। ED यह उम्मीद नहीं कर सकती है कि पूछताछ के दौरान आरोपी अपना बयान उसके सामने दर्ज करा ही दे।
अगर समन के बावजूद कोई आरोपी सहयोग नहीं कर रहा है तो आरोपी को सिर्फ इसलिए PMLA की धारा-19 के तहत गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। आरोप से जुड़े कन्फर्म सबूत मिलने पर ही आरोपी को गिरफ्तार किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट का यही वो फैसला है जो केजरीवाल या हेमंत सोरेन के लिए संजीवनी साबित हो सकता है।
सवाल 8: शराब घोटाले में लेटेस्ट क्या हुआ कि जांच केजरीवाल तक पहुंच गई?
जवाब: कथित शराब घोटाले में एक बड़ा मोड़ 3 दिन पहले यानी 30 अक्टूबर को आया। जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी CM मनीष सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा- घोटाले से जुड़े कई सवालों के जवाब अभी नहीं मिले हैं। 338 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ है, जिसमें सिसोदिया की भूमिका संदिग्ध लग रही है।
कोर्ट ने 47 पेज के अपने जजमेंट में संकेत दिए कि पहली नजर में मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस बन रहा है। कोर्ट के मुताबिक ऐसा लगता है कि शराब नीति में प्राइवेट प्लेयर्स को फायदा पहुंचाने के लिहाज से बदलाव किए गए। सुप्रीम कोर्ट ईडी के उस ऑर्गुमेंट पर भी भरोसा करती दिख रही है कि शराब डिस्ट्रीब्यूटर्स का कमीशन 5% से बढ़ाकर 12% किया गया जिससे उन्हें 338 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ।
सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि इस मनी ट्रेल में कुछ गड़बड़झाला है, जिसकी प्रॉपर जांच करना जरूरी है। इस फैसले से ये भी साफ हो गया कि मनीष सिसोदिया को अगले 6-8 महीने जेल में ही रहना पड़ सकता है। कोर्ट के मौजूदा रुख से ED को नई संजीवनी मिल गई।
यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ घंटे बाद ही ED ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए समन भेजा। केजरीवाल के पेश नहीं होने के बाद अब दोबारा से ED समन भेजने की तैयारी कर रही है।
इसी साल अप्रैल में CBI भी उनसे लंबी पूछताछ कर चुकी है। हालांकि CBI ने उनको गवाह के तौर पर बुलाया था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ED के पास केजरीवाल से संबंधित एक विटनेस है और उन्हें इस बार संदिग्ध के तौर पर पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है।