नई दिल्ली। देश में हत्या, चोरी, डकैती और अन्य आपराधिक मामलों से निपटने और देश की सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। CrPC, IPC और CPC की धाराओं के तहत देश की कानून व्यवस्था को बनाकर रखा जाता है और किसी भी प्रकार के हिंसक कृत्यों का निवारण किया जाता है। इसमें अलग-अलग धाराओं के तहत अलग-अलग अपराधों का निपटारा, देश की सुरक्षा और न्याय की अपेक्षा की जाती है।

हाल ही में मणिपुर में धारा 144 लागू की गई थी, जिसके जरिए कानून व्यवस्था बनाई गई थी। वहां पर इंटरनेट सेवा को भी कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था। हालांकि, कई लोग अब भी CrPC की धारा 144 और IPC की धारा 144 को एक ही समझते हैं, लेकिन यह दोनों अलग हैं।

वरिष्ठ वकील मनीष भदौरिया बताते हैं कि आईपीसी की धारा 144 मतलब, जहां घातक हथियारों के साथ भीड़ पहुंचने की सूचना हो, वहां आईपीसी की धारा 144 लगाई जाती है। उल्लंघन करने पर दो साल की सजा और जुर्माना का प्रावधान है। यह कोर्ट की ओर से लगाई जाती है।

वहीं, सीआरपीसी 144 को जिला अधिकारी लागू करता है। यह धारा उस समय लगाई जाती है, जहां तनाव या भीड़ से कोई खतरा होने की आशंका हो। इसमें दो से ज्यादा लोगों को इक्ट्ठे होने पर रोक रहती है। जैसे कोरोना के समय लगाई गई थी।

इस खबर में हम आपको CrPC की धारा 144 और IPC की धारा 144 के बारे में विस्तार से बताएंगे और सभी प्रश्नों का जवाब देंगे।