ग्वालियर-चंबल अंचल में है सत्ता की चाबी, 34 सीट के आसपास घूमेगी सत्ता

भाजपा-कांग्रेस का फोकस अंचल पर:ग्वालियर-चंबल अंचल में है सत्ता की चाबी, 34 सीट के आसपास घूमेगी सत्ता

शिवराज और कमल नाथ का फोकस ग्वालियर-चंबल अंचल पर है

विधानसभा चुनाव का प्रचार अब अपने अंतिम दौर में है। प्रदेश में सरकार बनाने के लिए ग्वालियर-चंबल अंचल की 34 विधानसभा सीट का रोल बहुत अहम हो जाता है। यही वजह है कि सत्ता की चाबी ग्वालियर चंबल के हाथ में है। इसके चलते नेताओं ने क्षेत्र के दौरे बढ़ा दिए हैं। दोनों संभागों में विधानसभा की 34 सीटें हैं।

ग्वालियर-चंबल अंचल ही ऐसा गढ़ है, जिसकी बदौलत कांग्रेस ने साल 2018 में 33 साल बाद ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने 26 सीटें हासिल की थी, जबकि भाजपा सात सीटों पर सिमट गई थी। एक सीट बसपा के हाथ आई थी।

विधानसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के लिए ग्वालियर-चंबल अंचल इतना महत्वपूर्ण क्यों है इसका अंदाजा इसी बात से लगासा जा सकता है कि साल 2018 के आम चुनाव में 34 में से 26 सीट कांग्रेस ने जीतकर सत्ता पाई थी। 15 महीने सरकार चली, लेकिन वर्ष 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने से इन्हीं दो अंचल के कारण कमल नाथ सरकार गिरी थी। अब दोनों दलों की नजर अंचल के एसटी, एससी और ओबीसी वोटर्स पर है। यहां 7 सीट सीधे तौर पर एससी के लिए आरक्षित हैं, जबकि अन्य सीटों पर भी एससी का प्रभाव है। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव 2023 का एपी सेंटर ग्वालियर-चंबल अंचल बना हुआ है। यही कारण है कि कांग्रेस और भाजपा के बड़े नेताओं का फोकस इस विधानसभा पर है। यहां मोदी से लेकर कमल नाथ तक सभी आ चुके हैं। भाजपा-कांग्रेस दोनों को पता है कि प्रदेश में सरकार बनानी है तो ग्वालियर-चंबल अंचल से ही सत्ता की चाबी मिलेगी। यहां परिणाम अच्छे आएंगे तो ही किला फतह होगा।

अंचल में गलती दोहराना नहीं चाहती है भाजपा
प्रदेश में सरकार में वापस लौटने की चाह रखने वाली भारतीय जनता पार्टी साल 2018 की गलती यहां दोहराना नहीं चाहती। उस समय एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग भाजपा से नाराज था। इसका खामियाजा भाजपा को सत्ता से दूर होकर भुगतना पड़ा था। इस बार भाजपा ग्वालियर-चंबल अंचल के आठ जिलों की करीब 34 विधानसभा सीटों पर ताकत लगा रही है। भारतीय जनता पार्टी की ओर से यहा ग्वालियर चंबल अंचल में तीन बार खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आ चुके हैं। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह चार दौरे हो चुके हैं। इसके अलावा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सहित कई केन्द्रीय मंत्री और गोवा, असम व यूपी के मुख्यमंत्री आ चुके हैं।

पिछला परिणाम दोहराने की तैयारी में कांग्रेस
कांग्रेस भी ग्वालियर-चंबल अंचल पर ताकत लगा रही है। कमलनाथ हाल में दो दौरे कर चुके हैं। कांग्रेस आरक्षित वर्ग को हथियार बनाकर भाजपा को साल 2018 का परिणाम दोहराना चाहती है। कांग्रेस की ओर से भी यहां कांग्रेस की राष्ट्रीय नेता व गांधी परिवार की सदस्य प्रियंका गांधी, अंचल में राहुल गांधी, कमल नाथ, दिग्विजय सिंह, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तक जनसभा को संबोधित कर चुके हैं।

आम आदमी पार्टी का भी फोकस भी यहीं पर
ग्वालियर-चंबल अंचल ऐसे ही खास नहीं है। भाजपा-कांग्रेस के अलावा अन्य दलों में बसपा, आम आदमी पार्टी व सपा का भी यहां फोकस है। ग्वालियर-मुरैना में आप के नेता व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवत मान सहित कई नेता आ चुके हैं। बसपा से मायावति, सपा से अखिलेष यादव तक आ चुके हैं।

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