ग्वालियर कार्निवाल में अंचल के पर्यटन को लगेंगे पंख !
ग्वालियर कार्निवाल में अंचल के पर्यटन को लगेंगे पंख, बढ़ेगा रोजगार
Gwalior Carnival: ग्वालियर महोत्सव शहर के लिए एक बडे आयोजन के रूप में सामने आएगा। पर्दे के पीछे इसकी तैयारियां भी लगातार चल ही रही है। अधिकारियों से लेकर शहरवासी भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार बैठे हैं।
ग्वालियर. । ग्वालियर महोत्सव शहर के लिए एक बडे आयोजन के रूप में सामने आएगा। पर्दे के पीछे इसकी तैयारियां भी लगातार चल ही रही है। अधिकारियों से लेकर शहरवासी भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार बैठे हैं। खास तौर पर व्यापारिक संगठन । देशी-विदेशी पर्यटक जो इस कार्नेवल में शामिल होंगे उन्हें खरीदारी पर डिस्काउंट देने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन कार्नेवल सिर्फ शहर के कार्यक्रमों तक ही सीमित नहीं रहेगा, शहर में आने वाले देशी विदेशी पर्यटक इसी बहाने शहर की ऐतिहासिक धरोहरों को देख सकेंगे। यानि जो सैलानी तानसेन समारोह का आनंद लेने आएगा वह समय निकाल कर ग्वालियर दुर्ग भी घूम सकता है और कूनो की सैर भी कर सकता है। शहर और शहर के आसपास कई ऐसे देखने लायक पर्यटन स्थल हैं जहां सैलानी घूमफिर कर वहां की खूबसूरती का लुत्फ ले सकते हैं। अाज हम आपको शहर और शहर के नजदीकी पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी दे रहे हैं जहां ग्वालियर कार्नेवल के दौरान सैलानी घूम सकते हैं।
ग्वालियर दुर्ग
शहर के शीर्ष पर बना यह ग्वालियर दुर्ग पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां आने वाले पर्यटकों को न सिर्फ ऐतिहासिक इमारतें देखने मिलती हैं बल्कि इनसे जुड़ी रोचक कहानियां भी कहीं न कहीं पर्यटकों को लुभाती हैं। किले की कलाकृतियां , गुरुद्वारा दाताबंदी छोड, सास बहू का मंदिर, गूजरी महल सहित कई ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में पर्यटक जान सकेंगे। यहां पर्यटकों को घूमने फिरने के साथ साथ खाने पीने के लिए भी कई विकल्प मिल जाएंगे।
कूनो नेशनल पार्क
कूनो राष्ट्रीय उद्यान, मध्य भारत की विंध्य पहाड़ियों में एक आभूषण की तरह है। यह एक दुर्लभ जंगल होने के साथ ही दुर्गम परिदृश्य के बीच बसा है। यह स्थान प्राचीन किलों और संरचनाओं से भरा है, जिन्हें अब जंगल द्वारा पुनः प्राप्त कर लिया गया है। “करधई”, “खैर” और “सलाई” पेड़ों के प्रभुत्व वाली हरी-भरी वनस्पति यहां देखी जा सकती है। यहां स्वतंत्र रूप से बाघ जैसे जंगली जानवर घूमते हैं और इन सबके बीच प्रसिद्ध कूनो नदी बहती है । इस मनमोहक दृश्य को देखने पर्यटक जा सकते हैं।
मितावली-पड़ावली
ग्वालियर के मुख्य शहर से लगभग 40-50 किमी दूर स्थित, पड़ावली एक किला है जिसमें कई प्राचीन मंदिर हैं। यह मुरैना जिले में स्थापत्य संरचनाओं का एक सुंदर सेट स्थित है जिसे पर्यटकों को अवश्य देखना चाहिए। इसका निर्माण कार्य गुप्त और गुर्जर-प्रतिहार राजवंशों के समय का है । मितावली, पड़ावली और बटेश्वर मंदिरों के चमत्कारिक संरचना पर्यटकों को काफी पसंद आती हैं। ये पुरानी संरचनाएं हमें बीते हुए समय की कहानियां सुनाती हैं, और उनकी कालातीतता ही उन्हें ऐसा अजूबा बनाती है। मितावली वह जगह है जहां लोकप्रिय चौसठ योगिनी मंदिर स्थित है।
पीतांबरा पीठ
मध्य प्रदेश राज्य के दतिया शहर में स्थित एक हिंदू मंदिर परिसर है पीताम्बरा पीठ । यह कई पौराणिक कथाओं के साथ-साथ वास्तविक जीवन में लोगों की ‘तपस्थली’ के रूप में जानी जाती है। यहां स्थित श्री वनखंडेश्वर शिव के शिवलिंग को महाभारत के समकालीन के रूप में अनुमोदित किया जाता है। यह मुख्य रूप से शक्ति (देवी माँ को समर्पित) का आराधना स्थल है। इस स्थल की सिद्धियां हर दुनियां भर में जानी जाती है। श्रद्घा भाव से पर्यटक यहां दर्शन के लिए आ सकते हैं।
सोनागिरी
ग्वालियर से 60 किमी दूर दतिया जिले में स्थित सोनागिरि मुख्यतः जैन तीर्थ है। यहां 108 मंदिर हैं , जिनमे 57वा मंदिर मुख्य माना जाता है। इस मंदिर मे भगवन चंद्रप्रभु की 11फिट ऊंची मूर्ति स्थापित है, तथा यहां एक विशाल हाल है जहां ध्यान किया जाता है। वहीं पास एक महास्तम्भ स्थापित है, जिसकी ऊंचाई 43 फिट है। ग्वालियर आने वाले पर्यटकों के लिए यहां घूमना भी एक अच्छा अनुभव रहेगा।
शनीचरा मंदिर
मुरैना जिले के ऐंती गांव स्थित शनि मंदिर त्रेतायुगीन मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि रावण ने जब शनिदेव को कैद कर लिया था तो उनकी मदद के लिए हनुमान जी पहुंचे थे और महाबली हनुमान ने ही शनिदेव को रावण की कैद से रिहा कराकर मुरैना के ऐंती गांव के पास स्थित पहाड़ों के बीच में छोड़ा था। मान्यता यह भी है कि तभी से यहां शनिदेव का मंदिर स्थित है और हर वर्ष यहां एक विशाल मेला भी लगता है। इसके इतिहास को जानने के लिहाज से भी यह स्थान पर्यटकों के लिए बेहद खास हो सकता है।