दिग्विजय के ढह गए सारे सिपहसलार !

शिवराज की आंधी में न भाई, न करीबी, दिग्विजय के ढह गए सारे सिपहसलार
मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से कांग्रेस को 66 सीट पर जीत नसीब हुई है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के अलावा कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की इस चुनाव में बहुत ज्यादा किरकिरी हुई है. उनके भाई समेत करीब दस सिपहसलार चुनाव में हार गए.

मध्य प्रदेश में फिर एक बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने जा रही है. यह अपने आप में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम होगा कि करीब 18 साल सरकार में रहने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ वापसी की है. वापसी ऐसी कि कांग्रेस के धुरंधर भी इस चुनाव में अपनी सीट नहीं बचा सके. मध्य प्रदेश कांग्रेस की पहचान दिग्विजय सिंह को इस चुनाव में करारा झटका लगा है. वे खुद विधानसभा चुनाव तो नहीं लड़ रहे थे लेकिन उनके भाई, बेटे और कई सिपहसलार चुनावी मैदान में थे. दिग्विजय सिंह के लगभग सभी करीबियों को हार का सामना करना पड़ा है.

अब आइये दिग्विजय सिंह के कुछ दूसरे रिश्तेदार और सिपहसलारों का हाल जानते हैं:-

1खिलचीपुर सीट से दिग्विजय सिंह के भतीजे प्रियव्रत सिंह चुनावी मैदान में थे. चुनाव परिणामों में उन्हें करारी शिकस्त मिली है.

2. लहार सीट से दिग्विजय सिंह के समर्थक डॉक्टर गोविंद सिंह अपनी किस्मत आजमा रहे थे. गोविंद सिंह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी थे. दिग्विजय के सिपहसलार गोविंद सिंह भी चुनाव हार गए.

3. कांग्रेस नेता और दिग्विजय सिंह के सिपहसलार जीतू पटवारी भी चुनाव हार गए. वह राउ सीट से उम्मीदवार थे.

4. दिग्विजय सिंह के सिपहसलार कुनाल चौधरी भी चुनाव हार गए. वह कालापीपल सीट से उम्मीदवार थे.

5. दिग्विजय सिंह के समर्थक और शिवपुरी सीट से ताल ठोक रहे के पी सिंह को हार नसीब हुई है. केपी सिंह की हार को कांग्रेस की राज्य ईकाई पचा नहीं पा रही.

6. पुरुषोत्तम डांगी जो ब्योरा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार थे. वह दिग्विजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते हैं. डांगी भी अपनी सीट नहीं बचा सके हैं.

7.बापू सिंह तंवर जो राजगढ़ से चुनाव लड़ रहे थे और दिग्विजय सिंह के सिपहसलारों में से एक हैं, वह अपनी सीट नहीं निकाल पाए हैं.

8. सारंगपुर सीट से काला मालवीय चुनाव लड़ रहे थे. मालवीय भी चुनाव हार गए.

9. गिरीश भंडारी जो न सिर्फ कांग्रेस के जाने माने नेता हैं बल्कि दिग्विजय सिंह के समर्थक भी हैं. वह अपनी सीट जीतने में सफल नहीं हुए.

तो इस तरह ये 9 दिग्विजय सिंह के समर्थक और 1 उनके भाई यानी कुल 10 सीटों पर दिग्विजय सिंह को सीधा नुकसान पहुंचा है.

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