जिले में दौड़ रही कंडम बसें ?
जिले में दौड़ रही कंडम बसें, कई बार हो चुके हैं हादसे, परिवहन विभाग नहीं करता कार्रवाई
बिना वाहनों की जांच किए कार्यालय से जारी हो जाते हैं फिटनेस सर्टिफिकेट
भिण्ड. जिला परिवहन कार्यालय में आवेदन करने के बाद बस संचालकों को फिटनेस दी जा रही है। सड़कों पर पिछले एक साल में ऐसा कोई बड़ा अभियान चलाकर वाहनों को चेक नहीं किया गया है, जिससे ऑपरेटर नियमों का पालन करने को बाध्य हो सकें। परिवहन विभाग में मौके पर न पहुंचकर कार्यालय से ही सर्टिफिकेट जारी कर दिए जाते हैं। सवारी बस में परमिट, बीमा, फिटनेस, जीपीआरएस, स्पीड कवर्नेंस, अग्निशमन यंत्र, किराया सूची सहित अन्य मानक पूरे होने चाहिए। लेकिन मुख्यालय सहित नगरीय क्षेत्रों से दौड़ रही सवारी बसों में इन आदेशों का पालन दूर-दूर तक नहीं किया जा रहा है।
6 माह से सड़क सुरक्षा समिति की बैइक नहीं
जून माह में सड़क सुरक्षा समिति की बैठक परिवहन विभाग द्वारा वर्चुअल आयोजित कराई गई थी। इसके बाद यह बैठक बंद है और सड़क सुरक्षा को लेकर अधिकारियों ने भी अपना ध्यान भटका लिया है। जबकि इस बैठक में आरटीओ के अलावा एसडीएम या एडीएम, ट्रैफिक प्रभारी सहित अन्य विभागों के अधिकारी सुझाव देते हैं। छह माह से वर्चुअल बैठक को भी स्थगित कर दिया गया है। जबकि महीने में एक बार बैठक का आयोजन करना आवश्यक होता है। ताकि हादसों को नियंत्रित करने के साथ वाहनों की चेकिंग और कार्रवाई को समय पर संचालित किया जा सके।
फैक्ट फाइल
-250 लोगों की हर साल सड़क हादसे में चली जाती है जान।
-12 सड़क हादसों में बस के ओवटेक करने से 15 लोगों की मौत हुई।
-6 माह से नहीं हुई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक।
-11 महीने में एक दर्जन बस हादसों में 80 लोग हुए घायल।
जिले में 600 से अधिक बसें सड़कों पर दौड़ रहीं हैं। इनमें से बड़ी संख्या में अनफिट बसें हैं। किसी के टायर खराब है तो किसी बस में खिड़की तक नहीं है। किसी की सीट टूटी है तो किसी में बैक लाइट और इंडिकेटर तक नहीं है। यही कारण है कि आए दिन बसें दुधर्टनाग्रस्त हो जाती हैं। विगत दिवस गुना में हुए भीषण हादसे के बाद भी परिवहन विभाग नहीं जागा।
गुना में हुए भीषण हादसे को लेकर शहर के बस स्टैंड पर ट्रैफिक प्रभारी राघवेंद्र भार्गव ने सवारी बसों की गुरुवार शाम 5 बजे चेकिंग की। इस दौरान अधिकांश बसें जा चुकी थीं और चार पांच बसें ही थीं। इस दौरान बसों के दस्तावेज चेक किए। जिसमें फिटनेस, बीमा, परमिट सहित अन्य मानक बारीकी से देखे। कुछ डग्गामार वाहनों को भी रोगकर हिदायत दी। यातायात प्रभारी ने ऑपरेटरों को समझाया कि किसी भी सूरत में बसों का संचालन मानकों के प्रतिकूल नहीं किया जाएगा।
शहर के अलावा आलमपुर में यात्रियों को ढोने वाली सवारी बसों की फिटनिस जांच दो साल से नहीं कराई गई है। खटारा डग्गामार बसों में लोगों से मनमाना किराया वसूल कर विवाद की स्थित पैदा की जाती है। इन बसों में किराया सूची तक नहीं लगाई है। हर दिन ग्वालियर, भिंड, दतिया, समथर के अलावा इंदौर, दिल्ली, बीकानेर, जयपुर के लिए दो दर्जन से अधिक सवारी बसों का आवागमन होता है। अगर चेकिंग की जाए तो अधिकांश बसों के पास न फिटनिस सर्टिफिकेट है और न अन्य कोई दस्तावेज। किसी बस में खिड़कियों में शीशे टूटे हैं तो किसी में सीट फटी पड़ी हैं।