ग्वालियर : मेले में लोगों की सुरक्षा राम भरोसे..?
मेले में लोगों की सुरक्षा राम भरोसे…:झूलों के सेफ्टी ऑडिट से लेकर सैलानियों की सुविधाओं के आदेश भी कागजों तक सीमित
व्यापार मेले का मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से उद्घाटन कराने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों का दायित्व पूरा हो चुका है। यहां आने वाले सैलानियों की सुरक्षा पूरी तरह भगवान भरोसे नजर आ रही है। मेले का आकर्षण झूलों पर रोजाना हजारों लोग झूल रहे हैं, लेकिन इनकी सुरक्षा की जांच हुई या नहीं? इसे लेकर अभी असमंजस है। क्योंकि कुछ ऊंचे झूलों काे रोमांच के हिसाब से इस तरह डिजाइन किया गया है कि उसमें पालकी को बंद करने का प्रावधान नहीं है। इसमें यदि परिवार छोटे बच्चों के साथ बैठा तो खतरा हो सकता है।
हालांकि कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने 21 दिसंबर को आदेश जारी कर अलग-अलग विभागों के अधिकारियों को सैलानियों की सुरक्षा से जुड़ी व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी कागजी तौर पर सौंप दी थी, लेकिन उनसे जब इस संबंध में बात की गई तो मेला प्राधिकरण सहित अधिकांश जिम्मेदारों का कहना था कि उन्हें ऐसे किसी आदेश की जानकारी तक नहीं है। यही कारण है कि मेले की पार्किंग में अवैध वसूली की शिकायतें लगातार आ रही हैं। लेकिन इस पर कार्रवाई करने वाला कोई जिम्मेदार नहीं है। ग्वालियर व्यापार मेले का उद्घाटन भले ही दो दिन पहले हुआ हो, लेकिन मेला शुरू हुए 13 दिन गुजर चुके हैं। अब तक यहां लाखों सैलानी भ्रमण कर चुके हैं, लेकिन जिन पर सुरक्षा का दायित्व था, वे अधिकारी शायद ही मेला पहुंचे हों।
पार्किंग… 13 दिन से अवैध वसूली जारी
मेला प्राधिकरण द्वारा ठेके में तय की गईं शर्तों को दरकिनार करते हुए यहां आने वाले सैलानियों से अभी से अवैध वसूली शुरू हो गई है। दो पहिया वाहन रखने के लिए तय रेट 20 रुपए के स्थान पर 30 रुपए मांगे जा रहे हैं, वहीं चार पहिया वाहनों से 40 के स्थान पर 50 रुपए लिए जा रहे हैं। ठेकेदार ने अपने हिसाब से रेट तय कर पर्ची भी छपवा ली हैं। वहीं, रंगदारी से रोड पर वाहन खड़े करने वालों को न तो पार्किंग ठेकेदार रोक पा रहा है न प्राधिकरण की व्यवस्थाएं।
झूले: मेले में लगे झूलों की सुरक्षा की जांच हुई है या नहीं? यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। यहां करीब आधा दर्जन बड़े वाले झूलों की पालकी (बॉक्स) में बंद करने का कोई प्रावधान नहीं है। छोटे बच्चे 100 फीट से अधिक ऊंचाई से गिर सकते हैं। अन्य झूलों में बिजली के तारों की वायरिंग असुरक्षित है। अन्य कई सुरक्षा इंतजाम भी नहीं है।
खुले तार: झूलों के नीचे व अन्य कई स्थानों पर बिजली के तार बेतरतीब ढंग से फैले हैं। जिनमें कभी भी करंट दौड़ सकता है। जो बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं।
मौत का कुआं…मौत के कुआं में कंडम वाहन दौड़ रहे हैं। कुएं के चारों ओर लगे लकड़ी के कई पटे टूटे, चटके व खराब हैं। कलाकार भी कुंए के एकदम किनारे तक पहुंचकर सैलानियों को रोमांचित करते हैं। हादसा हो सकता है।
अंधेरा: मेला परिसर के 80% हिस्से में पर्याप्त रोशनी नहीं है। शाम होते ही कई सेक्टर अंधेरे में होते हैं, केवल दुकानों पर हो रही रोशनी से सेक्टर रोशन होते है।
अग्निशमन यंत्र: झूला सेक्टर, कपड़े की दुकानों व अन्य खानपान दुकानों पर अग्निशमन यंत्र नहीं है। गौरतलब है कि बीते साल भी मेले में आग लगी थी। जिससे 6 दुकानों में आग लगी गई थी। 2020 में भी ऑटोमोबाइल सेक्टर के एक शोरूम में आग लगी थी, जिसमें करीब 20 कार खाक हो गई थीं।
इन अधिकारियों को सौंपे थे दायित्व
- पुलिस व्यवस्था: एसएसपी राजेश चंदेल व एएसपी ऋषिकेश मीणा।
- स्वास्थ्य सेवाएं: मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजौरिया।
- पार्किंग व्यवस्था: क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी एचके सिंह।
- कानून व्यवस्था: अपर जिला दण्डाधिकारी टी एन सिंह।
- स्टॉल आवंटन व टेंट व्यवस्था: मेला प्राधिकरण सचिव निरंजन लाल श्रीवास्तव।
- स्टॉल, स्टेज, झूलों के इंस्टॉलेशन की जांच: कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण ओमहरि शर्मा व एसडीओ ईएंडएम आरएस वैश्य।
- विद्युत व्यवस्था: महाप्रबंधक विद्युत वितरण कंपनी नितिन मांगलिक।
- पेयजल एवं शौचालय व्यवस्था: निगम अपर आयुक्त विजय राज।
- खान-पान स्टॉल व दुकानों की जांच: खाद्य सुरक्षा अधिकारी अशोक चौहान, जिला आपूर्ति नियंत्रक भीम सिंह तोमर।
कलेक्टर ने कहा था- चेकलिस्ट बनाकर व्यवस्थाओं को पूरा करें
21 दिसंबर को कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने मेले की विभिन्न व्यवस्थाओं को संभालने के लिए अधिकारियों को दायित्व सौंपे थे। उन्होंने चेकलिस्ट बनाकर व्यवस्थाओं को पूरा करने के लिए कहा था। इस दौरान कलेक्टर ने 10 समिति बनाई थीं, जिनमें सांस्कृतिक समिति, बाजार व्यवस्था, झूला जांच समिति, विद्युत, प्रचार-प्रसार, दंगल समिति, सफाई पार्किंग व्यवस्था, विभागीय प्रदर्शनी एवं सुरक्षा व्यवस्था समिति बनी थीं।
अपर कलेक्टर से कराएंगे निरीक्षण
मेले में सैलानियों की सुरक्षा से लेकर अन्य व्यवस्थाओं को लेकर अलग-अलग विभागों के अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। एक बार मैं खुद भी मेला परिसर की व्यवस्थाएं देखने गया था। अधिकारी यदि यह कह रहे हैं कि उन्हें आदेश नहीं मिला है तो यह गंभीर मामला है। मेले में सुरक्षा बहुत जरूरी है इसलिए अपर कलेक्टर को इसके निरीक्षण के निर्देश देंगे। -अक्षय कुमार सिंह, कलेक्टर
मेले की समिति व विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए अलग-अलग अधिकारियों को दी गई जिम्मेदारी के संबंध में कलेक्टर का कोई आदेश मेला प्राधिकरण को प्राप्त नहीं हुआ है। हालांकि झूलों की जांच करने ईएंडएम के अधिकारी आए थे। -निरंजनलाल श्रीवास्तव, सचिव, व्यापार मेला प्राधिकरण
मेरे पास इतने सारे महत्वपूर्ण काम हैं, समझ नहीं आता ऐसे काम क्यों दे दिए जाते हैं। मैं कलेक्टर साहब से बात करके आदेश चेंज कराता हूं। वैसे कौन सा आदेश है, इसकी मुझे जानकारी ही नहीं है। पार्किंग की व्यवस्था देखना आरटीओ का नहीं, मेले का काम है। – एचके सिंह, आरटीओ, ग्वालियर
कौन सी कमेटी है, कहां है, मुझे कोई जानकारी नहीं है। मेले से जुड़ा कलेक्टर का आदेश मुझे प्राप्त नहीं हुआ है। -ओम हरि शर्मा, कार्यपालन यंत्री, लोक निर्माण विभाग
विद्युत सुरक्षा संबंधी व्यवस्थाएं देखना मेरा काम नहीं है, यह जिम्मेदारी पीके गर्ग की है। हम केवल मेले में निर्बाध विद्युत सप्लाई को लेकर जवाबदेह हैं। -नितिन मांगलिक, महाप्रबंधक विद्युत वितरण कंपनी
हमारे झूले पूरी तरह से सुरक्षित हैं। जांच हो चुकी है, जिसके प्रमाण पत्र प्राधिकरण के पास जमा हैं। हमने झूले शुरू करने से पहले ही मेले के अधिकारियों से जांच करने के लिए कह दिया था। –महेंद्र भदकारिया, अध्यक्ष, व्यापार मेला व्यापारी संगठन
मेले में लगे लगभग 36 झूलों की मैकेनिकल जांच कराई थी। शुरुआत में कुछ कमियां सामने आईं थीं, जिन्हें संचालकों को बताकर दूर कराया गया था। –बीके दीक्षित, एसडीओ, ईएंडएम