17वीं लोकसभा की अटेंडेंस रिपोर्ट !

17वीं लोकसभा की अटेंडेंस रिपोर्ट: जानिए कैसी रही सासंदों की परफॉर्मेंस, किसने पूछे कितने सवाल
पीआरएस लेजिस्लेटिव ने 13 फरवरी 2024 को एक रिपोर्ट शेयर की है जिसमें विस्तार में बताया है कि 17वीं लोकसभा में संसद सत्र के दौरान सांसदों की परफॉर्मेंस कैसी रही.

भारत में लोकसभा चुनाव के लिए अब कम ही वक्त बचा है. चुनाव से पहले 10 फरवरी को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम बजट सत्र खत्म हो गया. इसके बाद संसदीय प्रणाली पर रिसर्च करने वाली संस्था पीआरएस लेजिस्लेटिव ने अपनी रिपोर्ट शेयर की है. इसमें विस्तार से बताया है कि 17वीं लोकसभा में संसद सत्र के दौरान सांसदों की परफॉर्मेंस कैसी रही. 

रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार जहां कुछ सांसद ने एक भी बैठक नहीं छोड़ी. तो वहीं कुछ सासंद ऐसे भी हैं जिन्होंने 5 साल के संसद सत्र के दौरान चुप्पी साधी रखी. 

5 साल में कुल 274 बैठक  

पीआरएस लेजिस्लेटिव की रिपोर्ट के अनुसार 17वीं लोकसभा के पांच साल के कार्यकाल के दौरान संसद सत्र में कुल 274 बैठक हुईं. जो पिछली सभी पूर्णकालिक लोकसभाओं की तुलना में सबसे कम है. 

इस बैठक में बीजेपी के अजमेर और कांकेर के दो सांसदों ने 100 परसेंट का अटेंडेंस दर्ज कराया तो वहीं सांसद सनी देओल और शत्रुघ्न सिन्हा किसी भी बैठक के दौरान हुए बहस में शामिल नहीं हुए. 

शत्रुघ्न सिन्हा पश्चिम बंगाल के आसनसोल लोकसभा सीट से TMC के सांसद हैं. इस सीट पर अप्रैल 2022 में उपचुनाव हुआ था और उस वक्त टीएमसी के शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी उम्मीदवार अग्निमित्र पॉल को तीन लाख वोटों के अंतर से हराया था. 

वहीं सनी देओल पंजाब के गुरदासपुर का प्रतिनिधित्व करते हैं. हालांकि सनी देओल ने कुछ महीने पहले ही चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की थी. एक इंटरव्यू में सनी ने कहा था- मैं क्षेत्र के लोगों और संसद को समय नहीं दे पा रहा हूं, इसलिए अब भविष्य में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है. 

पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक, 2019 से 2024 तक सनी देओल की संसद में उपस्थिति सिर्फ 18 प्रतिशत रही. बजट सत्र 2023 को छोड़ दिया जाए, तो एक्टर से राजनीति में आए सनी साल 2021 से संसद के किसी भी कार्यवाही में शामिल नहीं हुए. 

सनी देओल ने साल 2019 में गुरदासपुर सीट से कांग्रेस के सुनील जाखड़ को चुनाव हराया था. उस वक्त देओल को 5 लाख 58 हजार वोट मिले थे, जबकि जाखड़ को 4 लाख 76 हजार वोट. जाखड़ अब भारतीय जनता पार्टी में हैं और पंजाब संगठन की कमान संभाल रहे हैं.

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बैठकों से गायब रहे सांसदों में ये भी शामिल 

इन दोनों सांसदों के अलावा भारतीय जनता पार्टी के प्रधान बरुआ, अनंत कुमार हेगड़े, वी श्रीनिवास प्रसाद, रमेश जिगाजिनागी, बीएन बचेगौड़ा, दिब्येंदु अधिकारी और अतुल सिंह भी उन सांसदों की लिस्ट में है जो पूरे कार्यकाल के दौरान संसद में हुए किसी भी बहस और चर्चा में शामिल नहीं हुए.

इन सांसदों ने बनाया रिकॉर्ड 

लोकसभा के इस कार्यकाल में कुछ सांसद ऐसे भी है जिन्होंने 274 बैठक में एक भी बैठक नहीं छोड़ा है. इस तरह उन्होंने सभी बैठक में शामिल होने का एक अलग ही रिकॉर्ड बना लिया है. इन सांसदों में छत्तीसगढ़ के कांकेर से बीजेपी के सांसद मोहन मंडावी, अजमेर से सांसद भागीरथ चौधरी का नाम शामिल है.

सांसदों की औसत उपस्थिति 

इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि 17वीं लोकसभा में हुए संसद सत्रों में महिला सांसदों की औसत उपस्थिति 77% थी. जबकि इस दौरान पुरुष सांसदों की उपस्थिति औसतन 79% रही.

15वीं लोकसभा के बाद से सांसदों की उपस्थिति 75% से 80% के बीच रही है. इस लोकसभा में लगभग 60% सांसदों की उपस्थिति 80% से ज्यादा है और केवल 10% सदस्य ही ऐसे हैं जिनकी उपस्थिति 60% से कम है. 

17वीं लोकसभा में, सबसे ज्यादा सांसदों का अटेंडेंस विशेष सत्र 2023 (92%) के दौरान देखा गया, विशेष सत्र 2023 के बाद बजट सत्र 2019  में सबसे ज्यादा सासंद यानी 88% सांसद उपस्थित रहे थे. 

इस आंकड़े के अनुसार साल 2021 में कोविड महामारी के कारण बजट सत्र में 69% सांसदों की उपस्थिति दर्ज की गई है. इसके अलावा किसी भी सत्र में इनकी उपस्थिति 70% से कम नहीं हुई.

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सबसे ज्यादा एक्टिव रहने वाले सासंदों के बारे में भी जान लीजिए 

पीआरएस लेजिस्लेटिव के अनुसार लोकसभा के 17वें कार्यकाल में सबसे ज्यादा एक्टिव रहने वाले सांसद में पुष्पेंद्र सिंह चंदेल है. उन्होंने का कुल 1194 बहस में भाग लिया है. इसके बाज कुलदीप राय शर्मा  ने 833, मलूक नागर  ने 582, डी एनवी सेंथिलकुमार ने 307, एनके प्रेमचंद्रन ने 265 और सुप्रिया सुले ने 248 बहस में भाग लिया. 

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क्या है पीआरएस लेजिस्लेटिव और किस आधार पर तय की जाती है परफॉर्मेंस 

पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च, जिसे पीआरएस के नाम से जाना जाता है, एक गैर-लाभकारी संगठन है. इस संगठन का उद्देश्य “भारत में लेजिस्लेटिव प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी और मजबूत करना” है.

पीआरएस भारत के एकमात्र संगठनों में से एक है जो संसद के कामकाज पर नजर रखता है. पीआरएस लेजिस्लेटिव लोकसभा के कार्यकाल के दौरान सांसदों के विधेयकों पर चर्चा में भाग लेने, शून्यकाल के दौरान मुद्दे उठाने और अन्य सदस्यों की तरफ से उठाए गए मुद्दों से जुड़े हुए बहस में उनकी भागीदारी के हिसाब से उन्हें श्रेणी में बांटता है.

17वीं लोकसभा के आखिरी भाषण में PM मोदी ने क्या कहा

संसद के बजट सत्र की समाप्ति पीएम मोदी के भाषण के साथ हुई. इस दौरान उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा में कई बड़े फैसले लिए गए है. पीएम ने कहा कि पिछले पांच सालों में हमारे देश ने रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म किया है.  उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा में 5 साल देश सेवा में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय किए गए और इस बीच अनेक चुनौतियों भी सामने आई लेकिन हमने उन सभी चुनौतियों का सामना करते हुए अपने सामर्थ्य से देश को उचित दिशा देने का प्रयास किया.

पीएम ने सभी सांसदों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, ‘ संकट काल में देश की जरूरतों को देखते हुए जब मैंने माननीय सांसदों के सामने सांसद निधि छोड़ने का प्रस्ताव रखा, तो एक पल के विलंब के बिना सभी सांसदों ने इस प्रस्ताव को मान लिया.’   

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