नोएडा : शासनादेश पर नोएडा की दो बड़े कॉमर्शियल आवंटन निरस्त !

शासनादेश पर नोएडा की दो बड़े कॉमर्शियल आवंटन निरस्त
ब्रोशर शर्तों का नहीं किया पालन, 1000 करोड़ में दोनों भूखंड का हुआ था आवंटन

सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण का प्रशासनिक खंड का कार्यालय। - Dainik Bhaskar

सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण का प्रशासनिक खंड का कार्यालय।

इसके तहत नोएडा में सेक्टर-94 में लैविश बिल्डमार्ट प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित भूखंड संख्या-01 और सेक्टर-72 में स्काई लाइन प्रापकॉन प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित भूखंड एमपीसी-1 है। दोनों ही आवंटन को निरस्त कर दिया गया है। बड़ी बात ये है दोनों की मदर कंपनी एक ही है।

प्राधिकरण सीईओ लोकेश एम ने कहा कि अभी ऑर्डर की कापी नहीं आई है। दरअसल शासन ने 28 फरवरी 2024 को नोएडा के एक शिकायत कर्ता ने साफ लिखा था कि दोनों वाणिज्यिक कंपनियों को ई टेंडर योजना के तहत भूखंड का आवंटन किया गया।

आवंटन के दौरान प्राधिकरण के ई ब्रोशर में वर्णित नियमों व शर्तों का उल्लंघन किया गया। जिसकी शिकायत की गई। दोनों भूखंड के आवंटन की प्रक्रिया 1 सितंबर 2022 को शुरू की गई थी। इस शिकायत पर अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने 4 अप्रैल 2024 को रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसी को आधार बनाते हुए शासन ने दोनों भूखंड निरस्त कर दिए।

शिकायत कर्ता ने बताया- यदि कोई कंपनी किसी सहायक कंपनी के माध्यम से आवेदन करना चाहती है, तो सहायक कंपनी को ही बोली दाता माना जाएगा। यह स्पष्ट किया जाता है कि इस मामले में आवेदक एक सहायक कंपनी है, इसे बीडिंग प्रक्रिया की न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।

इसके तहत सहायक कंपनी को सॉल्वेंसी और टर्नओवर बताना होगा। यदि ई-बोली दाता/कंसोर्शियम सदस्य है उस स्थिति में होल्डिंग कंपनी और सहायक कंपनी दोनों की योग्यताएं केवल उस मामले पर विचार किया जाएगा जहां होल्डिंग कंपनी के पास सहायक कंपनियों के 100% इक्विटी शेयर हो।

सीएजी के कहने पर भी नहीं किया ब्रोशर में बदलाव
प्राधिकरण में सीएजी ऑडिट के सीएजी ने आवंटन नीति में ज़रुरी बदलाव करने को कहा गया। बदलाव करने के लिए सीएजी ने 16 सितंबर 2021 को प्राधिकरण के लिखा। इसके एक साल बाद यानी 1 सितंबर 2022 को प्राधिकरण ने आवंटन योजना को प्रकाशित कराया।

लेकिन प्राधिकरण द्वारा सीएजी के बताए गए बदलाव को ब्रोशर में संशोधित नहीं कराया गया। इस प्रकरण में सब्सिडियरी कंपनी ने अकेले आवेदन किया। इसलिए उसे सभी शर्तों का पालन करना चाहिए था। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो

महज पांच लाख ज्यादा बोली लगाकर आवंटन किया हासिल
उक्त प्रकरण में दोनों वाणिज्यिक भूखंड सिंगल बिड के आधार पर आवंटित किए गए। दोनों ही प्रकरण में रिजर्व प्राइज भूखंड संख्या-1 सेक्टर-94 में 827.25 करोड़ और भूखंड संख्या एमपीसी-01 सेक्टर-72 में 176.48 करोड़ था।

दोनों ही भूखंड पर महज 5 लाख ज्यादा बोली लगाकर कोट किया गया। हालांकि प्राधिकरण के पास निविदा की तिथि को दो बार बढ़ाने के बाद सिंगल बिड पर विचार करने का प्राविधान है। लेकिन निविदा का लक्ष्य कंपटेटिव रेट प्राप्त करने का है। यहां ऐसा नहीं हुआ।

दोनों कंपनियों की मदर कंपनी एक ही निकली
दस्तावेजों की जांच में सामने आया कि महज 5 लाख रुपए की बिड वाले सिंगल टेंडर पर विचार कर एच-1 की निविदा को स्वीकृत किया गया। एच-1 के रूप में चयनित दोनों सब्सिडियरी कंपनियों की होल्डिंग कंपनी एक ही है। वह एम3एम प्राइवेट लिमिटेड है।

यानी एच-1 बिडर के रूप में चयनित दोनों कंपनियां एम3एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की 100 प्रतिशत सब्सिडियरी कंपनियां है। जाहिर दोनों भूखंड एक ही कंपनी को नॉन कंप्टेटिव दरों पर आवंटित कर दी गई।

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