दिल्ली को WAR ZONE जैसा बनाने के पीछे कौन साजिश कर रहा है?

नई दिल्ली: दिल्ली को WAR ZONE जैसा बनाने के पीछे कौन साजिश कर रहा है, क्योंकि जो सोमवार तक जामिया में हो रहा था वह मंगलवार को दिल्ली के जाफराबाद और सीलमपुर में हुआ. मंगलवार की हिंसा में भीड़ ने पुलिसवालों को दौड़ाया, उन पर हमला किया और पीटा गया. स्कूल बस पर पत्थर फेंके गए, उस बस पर जिसमें स्कूली बच्चे मौजूद थे, पुलिसवालों ने बच्चों को बस से उतारा.

कुल मिलाकर बात ये है कि दिल्ली में प्रदर्शन के नाम पर अब अराजकता हो रही है और अगर दिल्ली पुलिस इस हिंसा को रोकने का काम कर रही है तो उस पर प्रदर्शनकारियों को बचाने के लिए सियासत हो रही है.

आइए पूरे घटनाक्रम पर एक नजर डालते हैं-:

1. दिल्ली के जाफराबाद और सीलमपुर में प्रदर्शन में हिंसा.

2. प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने पुलिसवालों को दौड़ाकर पीटा.

3. विपक्षी दलों का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिले, कहा- शांतिपूर्वक प्रदर्शनकारियों पर लाठिचार्ज हुआ.

4. जामिया हिंसा पर दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी.

5. पीएम मोदी की चुनौती- कांग्रेस कहे पाकिस्तान के हर नागरिक को भारत की नागरिकता देंगे.

जामिया हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट का ‘हथौड़ा’
1. जामिया में सब शांतिपूर्ण था तो वहां बसें कैसे जलीं?
2. जब कोई कानून तोड़ता है तो पुलिस क्या कर सकती है?
3. पत्थर फेंकना, बसों को जलाना ये कैसा प्रदर्शन है?
4. हम पुलिस को FIR दर्ज करने से कैसे रोक सकते हैं?
5. पुलिस अपराध करने वालों को गिरफ्तार करने के लिए आज़ाद है
6. याचिकाकर्ता अपने-अपने राज्यों के हाइकोर्ट में जाएं
7. सुप्रीम कोर्ट अपना वक्त तथ्यों की तलाश में नहीं लगाना चाहता

आप इस बात को समझिए जामिया हिंसा को लेकर बहुत तरह की बातें हो रही हैं, लेकिन हम आपसे कह रहे हैं कि आप सोशल मीडिया की खबरों पर आंख मूंद कर भरोसा ना करें, क्योंकि वहां पर जानबूझ कर एजेंडा फैलाया जा रहा है. हिंसा और डर का माहौल बनाया जा रहा है. अफवाह और प्रोपेगेंडा फैलाया जा रहा है. इसलिए हम आपसे कह रहे हैं क्योंकि हम सभी पक्षों की बात सुना रहे हैं. सभी तस्वीरों को तारीख और जगह के साथ दिखा रहे हैं. तो जामिया हिंसा पर अब हुआ ये है कि सियासत शुरू हो गई है. प्रियंका गांधी इंडिया गेट पर धरने पर बैठ गईं हैं. बीजेपी कह रही है कि सियासी फायदे के लिए
विपक्ष इस मामले को हिंदू मुसलमान का रंग दे रहा है लेकिन सबसे पहले हम आपको दिखाने जा रहे हैं जामिया हिंसा पर बड़े खुलासे

तो जामिया में जो हिंसा हुई उसकी परतें अब खुलकर सामने आ रही हैं. और देशहित में आज हम जो खुलासे करने जा रहे हैं उससे आपको शीशे की तरह ये बात साफ हो जाएगी कि किस तरह से बोरे में भरकर पत्थर लाए गए थे, पुलिस पर  पथराव करने के लिए, आपको पता चलेगा कि कैसे आंसू गैस के गोले का असर रोकने के लिए गीले कंबल तैयार रखे गए थे. आपको पता चलेगा कि कैसे पुलिसवाले शांतिपूर्वक अपील कर रहे थे और जामिया से पत्थर बरसाए जा रहे थे.

जामिया हिंसा का सच क्या है. अगर आपको लग रहा है कि प्रदर्शन अचानक शुरू हो गया था तो ऐसा नहीं है, दरअसल प्रदर्शन को लेकर एक रणनीति बनाई गई थी.

जामिया हिंसा पर खुलासा नंबर 1: जामिया में हिंसा पूरी प्लानिंग के साथ की गई.

जामिया हिंसा पर खुलासा नंबर 2: प्रदर्शनकारी पत्थरों से भरी बोरियां लेकर पहुंचे थे.

जामिया हिंसा पर खुलासा नंबर 3: हिंसक प्रदर्शनकारी गीले कंबल लेकर आए थे.

जामिया हिंसा पर खुलासा नंबर 4: आंसू गैस से बचने के लिए गीले कंबल ओढ़ रहे थे.

जामिया हिंसा पर खुलासा नंबर 5: प्रदर्शनकारी पुलिस पर पेट्रोल बम फेंक रहे थे.

जामिया हिंसा पर खुलासा नंबर नंबर 6: सुबह सवा ग्याराह बजे पुलिस को सूचना मिली कि मथुरा रोड पर प्रदर्शन होने वाला है. 3-4 हज़ार लोगों ने दिल्ली के जुलेना-माता मंदिर के पास प्रदर्शन शुरू किया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू किया, पेट्रोल बम फेंके गए. माता मंदिर रोड पर 3 बसों में आग और 6 बसों में तोड़फोड़ की गई. इसके बाद भीड़ ने कार और बाइक में आग लगाई, पुलिस ने लाठीचार्ज किया.

जुलेना में 2 बसों और कई बाइक में तोड़फोड़, भीड़ जामिया की तरफ रवाना. प्रदर्शनकारी जामिया यूनिवर्सिटी के गेट नंबर 4 ,7 और 8 पर पहुंचे. प्रदर्शनकारी यूनिवर्सिटी कैंपस में घुसे, पुलिस पर पत्थर फेंके गए. एंबुलेंस में तोड़फोड़, कई पुलिसकर्मी घायल, पुलिस यूनिवर्सिटी में घुसी. प्रदर्शनकारियों ने बाटला हाउस चौक पर पुलिस चौकी में आग लगाई गई.

जामिया हिंसा में आज का UPDATE

1. जामिया हिंसा के आरोप में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया.

2. हिंसा के सभी 10 आरोपी 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे गए.

3. सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से पूछा, बसों में आग किसने लगाई?

4 दिल्ली पुलिस ने जामिया हिंसा पर गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी.

5. जामिया हिंसा में 67 आम नागरिक, 31 पुलिसकर्मी घायल.

6. 14 बसों और 20 गाड़ियों में तोडफ़ोड़, 47 लोग हिरासत में.

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