होर्डिंग …… क्या हैं इसे लगाने के नियम, कौन रखता है निगरानी?
मुंबई में होर्डिंग ने ली 16 लोगों की जान; क्या हैं इसे लगाने के नियम, कौन रखता है निगरानी?
मुंबई में होर्डिंग गिरने के मामले में संबंधित विज्ञापन कंपनी, जीआरपी और मुंबई नगर निगम विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है.
मुंबई में 13 मई को तेज बारिश और आंधी के दौरान घाटकोपर इलाके में एक पेट्रोल पंप पर लगा 100 फीट लंबा और 250 टन वजन का होर्डिंग गिर गया. इस घटना में कुल 100 लोग होर्डिंग के नीचे फंस गए थे जिनमें से 74 लोग घायल हुए और 16 लोगों की जान चली गई.
इस पूरे मामले को लेकर अधिकारियों का कहना है यह होर्डिंग अवैध तरीके से लगाया गया था. इसके गिरने के बाद संबंधित विज्ञापन कंपनी ईगो मीडिया के साथ-साथ अवैध होर्डिंग की अनदेखी करने के लिए राज्य रेलवे पुलिस (जीआरपी) और मुंबई नगर निगम विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है.
इतना ही नहीं शहर में लगे उन सभी होर्डिंग के खिलाफ भी कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है, जिसे बिना नगर निगम के लाइसेंस के लगाया गया है.
होर्डिंग की जमीन किसकी?
होर्डिंग की जमीन गृह विभाग और राज्य सरकार की है, जिसे GRP के वेलफेयर के लिए दिया गया था. जिस जमीन पर होर्डिंग लगाया गया था, वह जमीन कलेक्टर और महाराष्ट्र सरकार पुलिस हाउसिंग वेलफेयर कॉर्पोरेशन के कब्जे में है. वेलफेयर की तरफ से आय के लिए BPCL से करार कर पेट्रोल पंप लीज पर दिया गया था.
पेट्रोल पंप और EGO मीडिया की तरफ से कहा गया कि बीएमसी से अनुमति न लेते हुए GRP से NOC लेकर 4 होर्डिंग खड़े किए गए लेकिन बीएमसी से किसी भी तरह से कोई बात नहीं की गई न ही इजाजत ली गई.
इगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड का मालिक फरार
इस पूरे मामले में फिलहाल इगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड का मालिक फरार है और उसका फोन भी बंद आ रहा है. भावेश पर पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया है. भावेश भिंडे इगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड का मालिक है. जिस कंपनी ने ये होर्डिंग लगाया गया था, उसपर रेप का आरोप भी है. मुलूंद पुलिस स्टेशन में भावेश पर एफआईआर भी दर्ज है.
एनडीटीवी के मुताबिक भावेश जीआरपी और बीएमसी के लिए होर्डिंग लगाने का काम करता है जिसके तहत उसने कई नियम तोड़े हैं. भिंडे पर पेड़ को प्वाइजन देने और पेड़ काटने का आरोप भी है. भावेश चुनाव भी लड़ चुका है और उसके एफिडेविट के मुताबिक उस पर 23 क्रिमिनल केस दर्ज हैं.
इस पूरे के बीच एक सवाल जो सबके मन में उठ रहा है वह यह है कि आखिर किसी भी शहर में होर्डिंग लगाने का नियम क्या है और शहरों में लगे होर्डिंग पर कौन निगरानी रखता है?
क्यों लगाया जाता है होर्डिंग
कई बड़े बड़े ब्रांड खुद को प्रमोट करने के लिए सार्वजनिक स्थलों पर अलग-अलग आकार और साइज का डिस्पले लगाते हैं. इस तरह का डिस्पले आमतौर पर ऐसी जगहों पर लगाया जाता है जहां, भारी ट्रैफिक शोर-शराबा, हाई विजिब्लिटी और चहलकदमी होती हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उसे देख सकें.
किस नियम के तहत लगाई जाती है होर्डिंग्स
शहरों में, इन होर्डिंग्स के निर्माण को विनियमित करने की जिम्मेदारी स्थानीय शहरी निकायों यानी यूएलबी के अधीन रहती हैं. ऐसे ज्यादातर मुद्दे नगरपालिका नियमों के अंतर्गत ही निपटाये जाते हैं.
शहर में किसी भी होर्डिंग को लगाने की अनुमति कैसे मिलेगी उस प्रक्रिया का उल्लेख नगरपालिका अधिनियम के अंतर्गत लागू किए गए नियम/उप-नियम में किया गया है. इस नियम में होर्डिंग के किराये, साइज़, और वो शर्तें बताई जाती हैं जिसके आधार पर इन होर्डिंग को लगाने की अनुमति दी जाएगी.
कौन होते हैं जिम्मेदार?
इसके अलावा भारत के किसी राज्य के शहरों में विज्ञापन होर्डिंग लगाने के लिए सरकार नगर निकाय की जवाबदेही तय करती है. वहीं नगर निकाय अलग-अलग एजेंसियों को होर्डिंग लगाने की जिम्मेदारी सौंपते हैं और यही एजेंसियां तय करती हैं कि शहरों में किस जगह और किस स्थान पर कैसी होर्डिंग लगाई जाएगी.
ऐसे में अगर मुंबई जैसा कोई हादसा होता है या होर्डिंग गिरने से जनहानि होती है तो सरकार नगर निगम या होर्डिंग लगाने वाली एजेंसी के खिलाफ एक्शन ले सकती है और जिस व्यक्ति के होर्डिंग से नुकसान पहुंचा है उसने कोर्ट में याचिका दायर कर दी और निकाय या एजेंसी को अवैध होर्डिंग या गलत होर्डिंग लगाने के लिए दोषी पाया जाता गया तो कोर्ट मुआवजा का आदेश भी दे सकती है.
मुंबई में होर्डिंग लगाने के नियम
बीएमसी के आधिकारिक डाटा के मुताबिक, हर जगह पर होर्डिंग लगाने के अलग अलग नियम है. मुंबई के हादसे वाले इलाके यानी घाटकोपर जैसे हाइवे की अगर बात करे तो, विज्ञापन बोर्ड का निचला हिस्सा फ्लाईओवर पुल की दीवार के तटबंध से नीचे नहीं आना चाहिए. होर्डिंग का ऊपरी किनारा फ्लाईओवर पुल की तटबंध दीवार के ऊपरी किनारे से ऊंचा नहीं होना चाहिए.
अन्य शहरों की तरह ही मुंबई में भी होर्डिंग लगाने के लिए नगर निगम की अनुमति बेहद जरूरी है. फिर चाहे वह होर्डिंग प्राइवेट प्रॉपर्टी में ही क्यों न लगाई गई हो. नगर निगम के नियम के मुताबिक मुंबई में सिर्फ 40 गुणा 40 वर्ग फ़ीट तक के ही होर्डिंग्स लगाए जा सकते हैं. जबकि घाटकोपर में जो हादसा हुआ उस होर्डिंग का आकार 120 गुणा 120 वर्ग फुट का था.
इस शहर में होर्डिंग लगाने से पहले ठेकेदार से उस डिस्पले की ड्राइंग और वजन की जानकारी मांगी जाती है. इसके बाद जिस जगह पर होर्डिंग लगाई जानी है वहां का स्ट्रक्चरल ऑडिट किया जाता है कि यह होर्डिंग लगाने के लिए उपयुक्त है या नहीं.
नगर निगम के नियम के मुताबिक मुंबई में हर दो साल में हर होर्डिंग का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराया जाना अनिवार्य है.
यूपी-बिहार के शहरों में क्या है नियम
राष्ट्रीय/राज्य राजमार्गों के रास्ते के दाहिने हिस्से में और राष्ट्रीय/राज्य राजमार्गों के कैरिजवे के किनारे के 10 मीटर के भीतर कोई होर्डिंग नहीं लगाया जा सकता है. इस नियम के तहत निर्दिष्ट को छोड़कर अन्य सड़कों के कैरिजवे के किनारे के 10 मीटर के भीतर कोई होर्डिंग स्थापित नहीं किया जाएगा. कुछ ऐसा ही नियम बिहार के शहरों में भी है.
दिल्ली में नियम
दिल्ली में पोस्टर बैनरों के जरिये विज्ञापन पर नियंत्रण के लिए 31 मार्च 2008 को विधानसभा से एक कानून पास किया और इसे 17 जनवरी 2009 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिल गई. इस नियम के तहत अवैध होर्डिंग लगाए जाने पर इसमें दिख रहे लोगों के खिलाफ या जिस कंपनी का होर्डिंग है उसके एमडी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. यहां अवैध होर्डिंग लगाए जाने पर 50 हजार का जुर्माना या एक साल की सजा का भी प्रावधान है.
भारत में इतने ज्यादा होर्डिंग क्यों
दरअसल इसके पीछे कई कारण हैं लेकिन सबसे अहम कारण भारत का कानून माना जाता है. हमारे देश में टीवी पर किसी विज्ञापन को दिखाने के लिए कई नियमों से होकर गुजरना पड़ता है. लेकिन बैनर या पोस्टर में इस तरह के कोई नियम नहीं है. इसलिए ज्यादातर लोग अवैध तरीके से दीवार या पोल पर अपने छोटे-छोटे पोस्टर चिपका देते हैं.
इन होर्डिंग से क्यों परेशान है नागरिक
मुंबई के घाटकोपर इलाके में होर्डिंग गिरने का हादसा, कोई पहला ऐसा मामला नहीं है. अभी कुछ दिन पहले ही पुणे में भी ऐसा ही हादसा हो चुका है. इससे पहले 2018 में पुणे में होर्डिंग के गिरने से 3 लोगों की मौत हो गई थी. कई बार ऐसे हादसे हो चुके हैं.
आज के समय में शहर के ज्यादातर चौराहों, सिग्नलों और जंक्शन पर अवैध बैनर और होर्डिंग्स लगा दिए जाते हैं. यही लोगों के लिए बड़ी मुसीबत साबित होती है. होर्डिंग लगने के कारण कई सड़कों की चौड़ाई कम हो जाती हैं और आसपास का मूवमेंट भी साफ नहीं नजर नहीं आता है. इन होर्डिंग के कारण लोगों को सड़कों पर चलने में परेशानी होती है. ट्रैफिक में भी बाधा उत्पन्न होता है. कुछ मामलों में तो यह जानलेवा भी साबित हुआ है.
पुणे में हो चुका है बड़ा हादसा
साल 2023 के अप्रैल महीने में पुणे जिले के पिंपरी चिंचवड होर्डिंग बोर्ड के गिरने से पांच लोगों की मौत हो गई थी. जबकि दो लोग घायल हो गए थे. इस हादसे में मरने वालों में चार महिलाएं और एक पुरुष थे. इस शहर में भी आंधी के कारण होर्डिंग गिर गई थी और उस वक्त खराब मौसम की वजह से कई लोग होर्डिंग के नीचे पंचर की दुकान में खड़े हो गए थे.
लखनऊ में जा चुकी है मां बेटी की जान
इसके अलावा साल 2023 के जून महीने में लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी (एकाना) क्रिकेट स्टेडियम में भी ऐसा ही हादसा हो गया था जिसमें होर्डिंग के गिरने के कारण कार में बैठी एक महिला और उसकी बेटी की मौत हो गई थी.
होर्डिंग को पहले भी बताया जा चुका है खतरनाक
साल 2013 में पुणे नगर निगम ने रेलवे प्रशासन को एक पत्र भेजकर सड़कों के बिना लगाए गए बड़े बड़े होर्डिंग को अनाधिकृत और खतरनाक बताया था. हालांकि उस वक्त किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया.