, कर्नाटक में 14 नेताओं के सेक्स स्कैंडल ?
सिर्फ प्रज्वल नहीं, कर्नाटक में 14 नेताओं के सेक्स स्कैंडल …
अश्लील वीडियो बैन कराने कोर्ट पहुंचे, क्या है हनीट्रैप पॉलिटिक्स
तारीख: 23 अप्रैल, जगह: कर्नाटक का हासन
तीन दिन बाद लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी थी। तभी NDA कैंडिडेट प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े अश्लील वीडियो वायरल कर दिए गए। प्रज्वल के ये वीडियो चर्चा में तो एक साल पहले से थे, लेकिन इन्हें वायरल चुनाव के चंद दिनों पहले किया गया। प्रज्वल को इसका कितना नुकसान होगा, ये नतीजों के बाद ही पता चलेगा।
हालांकि जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में तमाम नेताओं के ऐसे फोटो और वीडियो सामने आ सकते हैं। कर्नाटक हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट सुनील कुमार के मुताबिक, राज्य के 14 नेताओं के ऐसे वीडियो बने हैं और ये सभी अलग-अलग सिविल कोर्ट्स से स्टे ऑर्डर ले चुके हैं। इसमें मौजूदा विधायकों से लेकर पूर्व मंत्री तक के नाम शामिल हैं।
कर्नाटक में ये पहला मौका नहीं है जब किसी नेता के इस तरह के वीडियो सामने आए हों। बीते कुछ साल में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें से कुछ बाद में फर्जी भी निकलीं। कुछ में विक्टिम्स ने शिकायत वापस ले ली। कुछ केस ऐसे भी रहे जिनमें वायरल हुए नेताओं का करियर ही खत्म हो गया।
दैनिक भास्कर ने एक्सपर्ट्स से बात कर जाना कि क्या कर्नाटक की राजनीति में अश्लील वीडियो किसी ब्लैकमेलिंग टूल की तरह इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
अश्लील वीडियो पर रोक के लिए नेता कोर्ट पहुंचे रहे
कर्नाटक के सीनियर लीडर और डिप्टी CM रहे केएस ईश्वरप्पा के बेटे केई कांतेश ने बेंगलुरु की कोर्ट से 50 मीडिया हाउस के खिलाफ स्टे ऑर्डर लिया है। इसमें कहा गया है कि उनसे जुड़ा कोई भी अश्लील वीडियो या ऐसा कंटेंट पब्लिश या अपलोड न किया जाए। इसी तरह का स्टे कर्नाटक के पूर्व CM सदानंद गौड़ा भी ले चुके हैं।
कर्नाटक कांग्रेस के सीनियर लीडर और इस बार मैसूर से कैंडिडेट एम. लक्ष्मण ने कहा कि कर्नाटक के 14 से ज्यादा नेता अलग-अलग सिविल कोर्ट से इस तरह के स्टे ले चुके हैं। इनमें मौजूदा विधायक, पूर्व विधायक और मंत्री शामिल हैं।
सभी को डर है कि उनके खिलाफ कोई अश्लील वीडियो मीडिया में न आ जाए। लक्ष्मण कहते हैं कि 2017-18 से इस तरह के स्टे लेने का सिलसिला शुरू हुआ है। जिन नेताओं ने स्टे लिया है, उनमें ज्यादातर BJP-कांग्रेस दोनों के ही नेता शामिल हैं।
पहले कर्नाटक की डर्टी पॉलिटिक्स को इन 5 केस से समझते हैं…
मार्च, 2021 में कर्नाटक के जल संसाधन मंत्री रहे रमेश जारकीहोली का सेक्स स्कैंडल में नाम सामने आया और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। बीएस येदियुरप्पा सरकार में मंत्री रहे जारकीहोली का एक अश्लील वीडियो वायरल हुआ था। इसमें वे एक महिला के साथ नजर आ रहे थे।
सोशल एक्टिविस्ट दिनेश कल्लाहल्ली ने वीडियो जारी कर आरोप लगाया था कि जारकीहोली ने कर्नाटक पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KPTCL) में महिला को नौकरी दिलाने का झांसा दिया और उसका यौन उत्पीड़न किया। तब जारकीहोली के भाई और कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के चेयरमैन बालाचंद्र ने इसकी जांच CID या CBI से कराने की मांग की थी।
जारकीहोली ने वीडियो को फेक बताते हुए कहा था, ‘मुझे 4 महीने पहले ही इसका पता चला। फिर मैंने अपने भाई को बताया था कि मैंने कुछ गलत नहीं किया है। वीडियो में दिख रहा शख्स मैं नहीं हूं।’ इस मामले में बाद में शिकायतकर्ता ने भी शिकायत वापस ले ली थी।
एडवोकेट सुनील कुमार कहते हैं, ‘जारकीहोली का मामला सही था। पीड़िता की शिकायत वापस लेने के बाद ये केस बंद हो गया।’
2019 में कर्नाटक BJP के महासचिव और महादेवपुरा से विधायक रहे अरविंद लिंबवली से जुड़ा एक अश्लील वीडियो वायरल हुआ था। इसमें वे एक लड़के के साथ दिखे थे। लिंबवली ने इसे फेक बताया था। उन्होंने अपने सहयोगी के जरिए शिकायत की थी कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने उन्हें बदनाम करने के लिए ये वीडियो बनाया है।
बाद में फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की रिपोर्ट में भी ये वीडियो फर्जी पाया गया। हालांकि वीडियो वायरल होने के बाद लिंबवली का पॉलिटिकल करियर खत्म हो गया। फिर न उन्हें टिकट दिया गया, न ही कोई पद मिला। कभी वे प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार थे।
दिसंबर, 2016 में कर्नाटक के आबकारी मंत्री एच वाई मेती का एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें 70 साल के मेती एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखे थे। लोकल चैनल्स पर ये वीडियो दिखाया गया। इसके बाद मेती ने सिद्धारमैया सरकार से इस्तीफा दे दिया।
RTI एक्टिविस्ट राजशेखर मुलाली ने आरोप लगाया था कि मेती के पास मदद मांगने पहुंची महिला से उन्होंने सेक्शुअल फेवर लिया। पुलिस में शिकायत के बाद ये केस CID को ट्रांसफर किया गया था। कुछ महीनों बाद महिला ने अपनी शिकायत वापस ले ली और CID ने केस बंद कर दिया।
मार्च, 2013 में BJP के तत्कालीन विधायक रघुपति भट्ट का सेक्स स्कैंडल से जुड़ा एक वीडियो सामने आया। वीडियो मुंबई के एक लॉज का बताया गया और एक लोकल टीवी चैनल ने इसे चलाया भी था। भट्ट ने इसे फर्जी बताते हुए राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर इमेज खराब करने का आरोप लगाया। इसके बाद उन्होंने इलेक्शन लड़ने से ही इनकार कर दिया था।
2007 में BJP विधायक रहे रेणुकाचार्य की एक महिला को किस करते और गले लगाते फोटो वायरल हुई। फोटो में नजर आ रही महिला जयलक्ष्मी ने ही इसे वायरल किया था और रेणुकाचार्य पर सेक्शुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाया था। रेणुकाचार्य ने इन आरोपों का खंडन किया था।
सिस्टमैटिक नेटवर्क चल रहा, चुनाव के पहले ऐसे वीडियो सामने आते हैं
पॉलिटिकल एक्सपर्ट अशोक चंदारगी कहते हैं, ‘कर्नाटक में एक सिस्टमैटिक नेटवर्क है। 2008 के बाद से यहां CD फैक्ट्री चल रही है। 14 से ज्यादा नेता कोर्ट से स्टे ऑर्डर ला चुके हैं कि कहीं किसी दिन उनकी कोई क्लिप मीडिया में वायरल न हो जाए।’
चंदारगी बताते हैं, ‘एक-दो लाख रुपए में इस तरह के वीडियो बन जाते हैं। कई केस में ये भी देखा गया कि AI का इस्तेमाल करके वीडियो बना लिए गए। ये बात भी सच है कि जो भी वीडियो सामने आए, वो सभी सही नहीं निकले। कई एडिटेड भी थे।’
वे आगे कहते हैं, ‘प्रज्वल के केस में भी 3 हजार से ज्यादा क्लिप वायरल किए गए हैं। इसमें एक ही वीडियो मल्टिपल टाइम है। ऐसा भी हो सकता है कि छेड़छाड़ कर वीडियो की संख्या तीन हजार तक पहुंचा दी गई हो। हालांकि, इसका खुलासा SIT की जांच के बाद ही हो पाएगा।’
‘जब भी चुनाव होते हैं तो सेक्स वीडियो को किसी हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है। बीते दो दशक में इस तरह के बहुत सारे मामले सामने आए, जिसके बाद इस्तीफा, जांच और कानूनी लड़ाई का सामना करना पड़ा। 2019 में ही तत्कालीन मंत्री जारकीहोली के वीडियो वायरल हुए थे, लेकिन उसकी विश्वसनीयता अब तक साबित नहीं हो सकी है। लिंबवली का वीडियो तो बाद में फेक निकला।’
एडवोकेट कुमार कहते हैं, ‘कर्नाटक में जो भी मामले अब तक सामने आए हैं, उनमें से 70% सही हैं। इनमें कार्रवाई इसलिए नहीं हुई क्योंकि पीड़ितों ने ही केस वापस ले लिया। ये बात भी सही है कि ये सभी मामले तभी हाईलाइट हुए, जब पॉलिटिकल हथियार की तरह इनका इस्तेमाल किया गया। प्रज्वल के केस में भी यदि विक्टिम्स अपना बयान बदल लेती हैं तो केस बंद हो जाएगा।’
ये ब्लैकमेलिंग नहीं, सेल्फ क्रिएटेड प्रॉब्लम
बेंगलुरु के ही सीनियर जर्नलिस्ट बेलागारू समीउल्ला इस पर अलग नजरिया रखते हैं। वे कहते हैं, ‘ये ब्लैकमेलिंग नहीं है, बल्कि सेल्फ क्रिएटेड प्रॉब्लम है। पुराने मामले देखकर आप इसे समझ सकते हैं। रेणुकाचार्य के केस में उनके और उनकी पार्टनर जयलक्ष्मी के बीच विवाद हुआ था, जिसके बाद जयलक्ष्मी ने ही फोटो वायरल कर दी थी।’
‘अरविंद लिंबवली पर जो आरोप लगे थे, वो सही थे। उन्हें एक रिपोर्टर ने ब्लैकमेल किया था। उन्होंने रिपोर्टर को वीडियो के बदले पैसे देने से इनकार किया तो उसने वीडियो वायरल कर दिए। लिंबवली ने तो रिपोर्टर की पुलिस से शिकायत कर दी थी। वो गिरफ्तार भी हुआ, फिर बेल पर बाहर आते ही उसने वीडियो वायरल किए।’
वे कहते हैं, ‘इस घटना के बाद लिंबवली का करियर ही खत्म हो गया। हालांकि, फोरेंसिक लैब ने वीडियो को फर्जी बताया था। इस लैब की रिपोर्ट पर भी एक्सपर्ट्स सवाल खड़े करते हैं। ये जरूर है कि अपोजिशन के हाथ में इस तरह की चीजें आती हैं, तो वो उन्हें भुनाते हैं। हर केस की वजह अलग-अलग दिखती है।’
प्रज्वल के मामले में BJP नेता ने डीके पर लगाए आरोप
प्रज्वल के मामले में BJP नेता और वकील जी. देवराजे गौड़ा ने आरोप लगाया है कि पेनड्राइव बांटने में शिवकुमार और चार मंत्रियों का हाथ है। देवराज ने आरोप लगाया कि शिवकुमार ने उन्हें BJP, PM मोदी और JD(S) नेता एचडी कुमारस्वामी की छवि खराब करने के लिए 100 करोड़ रुपए की पेशकश की थी।
हालांकि, इस मामले में शिवकुमार ने कहा कि बेहतर होगा वे लोकायुक्त या किसी अन्य एजेंसी से शिकायत करें। मुझे लगता है कि उन्हें मानसिक तौर पर कुछ समस्याएं हैं।
एडवोकेट कुमार कहते हैं, ‘कर्नाटक में हनीट्रैप बहुत आम हो गया है। पूरे देश में इस मामले में कर्नाटक सबसे ज्यादा बदनाम है।’ वे कहते हैं, ‘कांग्रेस को तोड़कर BJP ने राज्य में सरकार बनाई थी, तब विधायकों को मुंबई के एक होटल में रखा गया था। वहां कई नेताओं के वीडियो बना लिए गए। इसके बाद से उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा है, लेकिन कोई भी इस तरह के मामले में खुलकर बात नहीं कर रहा।’