मोदी सरकार के 19 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है. …

2014 से 2024… ये 29 चेहरे अब मोदी कैब‍िनेट में नहीं आएंगे नजर! ये है वजह
लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार के 19 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है. …
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लोकसभा चुनाव 2024 में भले ही बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को तीसरी बार बहुमत मिल गया हो, लेकिन चुनावी नतीजे बीजेपी के दावे और उम्मीद से बिल्कुल उलट रहे. पिछले चुनावों में 303 सीट लाने वाली भारतीय जनता पार्टी इस बार महज 240 सीटों पर सिमट कर रह गई. पार्टी के बड़े-बड़े चेहरों को हार का सामना करना पड़ा. जबकि बीजेपी इस बार ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा लेकर चुनावी रण में उतरी थी. इस चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को ही हुआ है. पार्टी की 63 सीट हाथ से निकलकर विपक्षी दलों के कब्जे में पहुंच गईं. मोदी सरकार-2 के दो दर्जन से अधिक मंत्री ऐसे हैं जो इस बार मोदी सरकार-3 की कैबिनेट में नजर नहीं आएंगे. क्योंकि ये मंत्री या तो चुनाव हार गए हैं, या फिर उन्हें टिकट नहीं मिला है. हालांकि, 2014 के चुनाव में स्मृति ईरानी की हार के बाद भी उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी गई. इसलिए इस बार हारे हुए किसी मंत्री को कैबिनेट में जगह मिलेगी या नहीं, यह कहना जल्दी होगा.

2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार के 19 मंत्रियों को हार का स्वाद चखना पड़ा. इनमें 4 कैबिनेट सहित 18 मंत्री हैं. चुनाव हारने वालों में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी बड़ा नाम हैं. उन्होंने पिछले चुनाव में उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज राहुल गांधी को हराकर गांधी परिवार की परंपरागत सीट पर कब्जा किया था. लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा के हाथों 1,64,331 वोटों से हार गईं.

स्मृति ईरानी के अलावा अजय कुमार मिश्रा टेनी लखीमपुर खीरी सीट से, महेंद्रनाथ पांडेय चंदौली सीट से, निरंजन ज्योति फतेहपुर सीट से, संजीव बालियान मुजफ्फरनगर सीट से, भानु प्रताप सिंह वर्मा जालौन से और कौशल किशोर मोहनलाल गंज लोकसभा सीट से चुनाव हार गए. ये सब वे मंत्री हैं जो केवल उत्तर प्रदेश में हारे हैं.

देश की अन्य सीटों पर हारे मोदी सरकार के मंत्रियों में अर्जुन मुंडा (खुंटी-झारखंड), राजकुमार सिंह- आर. के. सिंह (आरा- बिहार), राजीव चंद्रशेखर (तिरुवनंतपुरम- केरल), कैलाश चौधरी (बाड़मेर- राजस्थान), एल. मुरुगन (नीलगिरी- तमिलनाडु), डॉ. सुभास सरकार (बांकुरा- पश्चिम बंगाल), वी. मुरलीधरन (अट्टिगल- केरल), निशीथ प्रमाणिक (कूचबिहार- पश्चिम बंगाल), रावसाहेब दानवे (जलना- महाराष्ट्र), भारती प्रवीण पवार (डिंडोरी- महाराष्ट्र), भगवंत खुबा (बिदर- कर्नाटक) और कपिल मोरेश्वर पाटिल (भिवंडी- महाराष्ट्र) शामिल हैं.

मंत्रियों का टिकट कटा
इस बार भारतीय जनता पार्टी ने कई पुराने मंत्रियों के टिकट काट दिए थे. इनमें दिल्ली से मीनाक्षी लेखी, गाजियाबाद से वीके सिंह, दर्शना जरदोष, रामदास अठावले, बिहार के बस्तर से अश्विनी कुमार चौबे, डिब्रुगढ़ से रामेश्वर तेली और अलीपुरद्वार से जॉन बारला ऐसे नाम हैं जिन्हें इस बार चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया गया. ये तो वे नाम हैं जो मोदी सरकार-2 में मंत्री रह चुके हैं. बीजेपी इस बार ने मंत्रियों को मिलाकर 101 सांसदों का टिकट काट दिया था. इनमें अनंत हेगड़े भी शामिल हैं. सबसे अधिक दिल्ली के सांसदों का टिकट कटा. दिल्ली में 7 में 6 सांसदों को हटाकर नए चेहरों को टिकट दिया गया था. डॉ. हर्षवर्धन भी स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. लेकिन इस बार उन्हें भी टिकट नहीं दिया गया.

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