भारत में सिर्फ 4% घरों को ही नल से साफ पानी मिलता है !
पीने का पानी अब भी दूर का सपना! 10% ही शहरों में पीने का साफ पानी उपलब्ध
पानी ही जिंदगी का आधार है. लेकिन आज भी दुनियाभर में हर 4 में से 1 व्यक्ति को पीने का साफ पानी नहीं मिल पाता. भारत में पानी के टैंकरों का सहारा लिया जा रहा है, पर ये पानी भी हमेशा पीने लायक नहीं होता.
दिल्ली जैसे बड़े शहर में भी इन दिनों पानी की काफी किल्लत है. खासकर पीने के साफ पानी की बहुत कमी है. ऊपर से गर्मी भी चरम पर है, कहीं-कहीं तो तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. दिल्ली ही नहीं, बेंगलुरु जैसे कई बड़े और छोटे शहरों में भी पानी की किल्लत है.
एक अच्छी खबर ये है कि केरल और देश के कुछ इलाकों में मानसून जल्दी आ गया है. लेकिन बारिश के पानी को इकट्ठा करने की सही व्यवस्था न होने की वजह से देशभर के करोड़ों लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है.
अनुमान के मुताबिक करीब 6.3 करोड़ लोगों तक को साफ पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है. ऐसी स्थिति में डायरिया, हैजा और टाइफाइड जैसी बीमारियां फैलने का खतरा ज्यादा रहता है. केंद्र सरकार की ओर से कराए गए पहले नेशनल लेवल टेप वॉटर सर्वे में ये चौंकाने वाली बात सामने आई है कि 485 शहरों में से सिर्फ 10% ही शहरों में लोगों को साफ पीने का पानी मिल पाता है.
घरों में नल का पानी! कितना साफ, कितना उपलब्ध?
देश के कई लोगों ने घरों में मिलने वाले नल के पानी की क्विलिटी के बारे में शिकायत की थी. इन शिकायतों को ध्यान में रखते हुए LocalCircles ने एक नया सर्वे किया है. इस सर्वे का मकसद ये पता लगाना था कि पिछले एक साल में घरों में मिलने वाले नल के पानी की उपलब्धता और क्विलिटी में कोई सुधार हुआ है या नहीं.
सर्वे में देश के 322 से ज्यादा जिलों के 22,000 से ज्यादा घरों ने हिस्सा लिया. सर्वे में शामिल होने वाले लोगों में 61% पुरुष थे जबकि 39% महिलाएं थीं. वहीं रहने के हिसाब से 43% लोग बड़े शहरों (Tier 1) से, 30% मध्यम शहरों (Tier 2) से और 27% लोग छोटे शहरों/गांवों (Tier 3, 4 & Rural) से थे.
सर्वे के नतीजों से पता लगाया है कि भारत में सिर्फ 4% घरों को ही नल से सीधे पीने लायक साफ पानी मिलता है. बाकी घरों में या तो पानी साफ करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं या फिर पीने का पानी खरीदा जाता है. शहरों, कस्बों और कुछ गांवों में ज्यादातर लोग पीने के पानी को साफ करने के लिए किसी न किसी तरीके का इस्तेमाल करते हैं.
4% घरों को ही नल से सीधे पीने लायक साफ पानी
सर्वे में लोगों से पूछा गया कि वो घर पर पीने और खाना बनाने के लिए पानी को कैसे साफ करते हैं. 22 हजार से ज्यादा लोगों ने इस सवाल का जवाब दिया. इनमें से 27% लोगों ने बताया कि वो वॉटर प्योरिफायर इस्तेमाल करते हैं. 33% लोगों ने बताया कि रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) सिस्टम इस्तेमाल करते हैं. 20% लोग पानी को उबालकर साफ करते हैं.
बाकी लोगों में से 7% लोग ‘क्लोरीन, फिटकिरी और दूसरे मिनरल’ डालकर पानी साफ करते हैं. 3% लोग मिट्टी के घड़े इस्तेमाल करते हैं. 4% लोगों का कहना है कि उन्हें ‘पानी साफ करने की जरूरत नहीं है क्योंकि नल का पानी पहले से ही साफ है.’ 3% लोग पानी साफ नहीं करते बल्कि पीने और खाना बनाने के लिए बोतलबंद पानी खरीदते हैं. 3% लोगों ने बताया कि वो फिलहाल पानी साफ नहीं करते और सीधे नल का पानी ही पीते हैं.
सर्वे के नतीजों से पता चलता है कि भारत में सिर्फ 4% घरों को ही नल से सीधे पीने लायक साफ पानी मिलता है. वहीं, 60% घर किसी न किसी तरीके से पानी छानने के लिए आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं. 2022 में सिर्फ 2% घरों को ही नगर निगम या ग्राम पंचायत से पीने लायक साफ मिलता था, 2023 में ये आंकड़ा 3% हुआ और अब 2024 में ये बढ़कर 4% हो गया है.
लोकल बॉडी से नल में आने वाले पानी की क्वालिटी कैसी
सर्वे में 41% भारतीय घरों ने बताया कि नगर निगम या ग्राम पंचायत से नल में आने वाले पानी क्वालिटी अच्छी है. पिछले साल 2023 के सर् में 44% लोगों ने कहा था कि उनके नल का पानी इस्तेमाल के लायक है. मगर इस साल (2024) कराए गए नए सर्वे में ये आंकड़ा घटकर 41% रह गया है. यानी पहले के मुकाबले कम लोगों को लगता है कि उनका नल का पानी अच्छा है.
और भी बुरी बात ये है कि 2022 में तो सिर्फ 34% लोगों ने ही अपने नल के पानी को इस्तेमाल के लायक बताया था. ये आंकड़े बताते हैं कि भारत में नल के पानी की क्वालिटी में बहुत सुधार नहीं हुआ है.
पीने का साफ पानी क्यों जरूरी?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की एक रिपोर्ट में ये बताया गया है कि भारत में हर घर में पीने का साफ पानी होना बहुत जरूरी है. इसकी वजह ये है कि इससे हर साल डायरिया जैसी बीमारियों से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोका जा सकता है. इतना ही नहीं, साफ पानी की वजह से हर साल करीब 1 करोड़ 40 लाख DALY (डिसएबिलिटी एडजस्टेड लाइफ इयर्स) कम हो सकते हैं. DALY का मतलब है कि बीमारी की वजह से लोग कितने साल स्वस्थ जीवन नहीं जी पाते.
साफ पानी पीने से न सिर्फ लोगों की जान बचाई जा सकती है बल्कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाला खर्च भी कम होगा. रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा करने से सालाना तकरीबन 101 अरब अमेरिकी डॉलर तक की बचत हो सकती है.
पानी की किल्लत से महिलाओं पर कैसा होता है असर
दुनियाभर में पानी की कमी का सबसे ज्यादा बोझ महिलाओं और लड़कियों पर ही पड़ता है. उनके लिए पानी की तलाश करना एक जिम्मेदारी बन जाती है. चाहे पीने के लिए हो, खाना बनाने के लिए हो, साफ-सफाई के लिए हो या नहाने के लिए.
पानी लाने के लिए महिलाओं और लड़कियों को कई बार घंटों लाइन में लगना पड़ता है या फिर मीलों दूर पैदल चलकर पानी लाना पड़ता है. कभी-कभी तो उन्हें बहुत ज्यादा पैसे देकर भी पानी खरीदना पड़ता है. ऐसे हालात में उनके सामने एक मुश्किल चुनाव होता है या प्यास ही रहें या फिर गंदा पानी पीकर बीमार पड़ने का खतरा उठाएं.
आज भी दुनियाभर में महिलाएं मिलकर हर रोज 200 करोड़ घंटे सिर्फ पानी लाने में ही लगा देती हैं. इतना ही नहीं, उन्हें शौचालय जाने के लिए भी सुरक्षित जगह ढूंढने में काफी वक्त लग जाता है. अगर कोई लड़की एक साल ज्यादा स्कूल जाती है, तो बड़े होकर उसकी कमाई 20% तक ज्यादा हो सकती है. लेकिन पानी लाने में लगने वाले समय की वजह से कई लड़कियां स्कूल नहीं जा पातीं.
पानी की कमी बीमारी का बड़ा कारण!
दुनियाभर में करीब 220 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता और करीब 350 करोड़ लोगों के पास इस्तेमाल करने के लिए अच्छा शौचालय नहीं है. हर साल 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत सिर्फ इस वजह से हो जाती है कि उन्हें साफ पानी और शौचालय की सुविधा नहीं मिल पाती.
दुनियाभर में करीब 230 करोड़ लोग यानी हर 10 में से 3 लोगों के घरों में साबुन और हाथ धोने के लिए साफ पानी तक नहीं है. साफ पानी मिलने से बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है, खासकर गरीब परिवारों को. साफ पानी मिलने से लोग अच्छी तरह से हाथ धो सकते हैं और उन्हें पानी लाने के लिए दूर जाने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती. इससे उनकी सेहत अच्छी रहती है.
पानी की कमी का अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर!
अगर लोगों को पानी इकट्ठा करने में ही घंटों लग जाएं तो वो अपना काम-धंधा कैसे कर पाएंगे? पानी लाने में लगने वाला समय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा नुकसान है. इसकी वजह से हर साल अरबों डॉलर का घाटा होता है.
एक अनुमान के मुताबिक, सिर्फ साफ पानी और शौचालय की कमी की वजह से हर साल दुनियाभर में करीब 260 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान होता है. अगर हर जगह साफ पानी की सुविधा मिल जाए तो हर साल 18.5 अरब अमेरिकी डॉलर की बचत होगी. साथ ही साफ पानी पीने से बीमारियां कम होंगी तो लोग ज्यादा काम कर पाएंगे और जल्दी मरने वालों की संख्या भी कम होगी. जब लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तो डॉक्टर का खर्चा भी बचेगा. इतना ही नहीं, बीमार कम पड़ने से वो ज्यादा काम कर पाएंगे और देश की तरक्की में भी योगदान दे सकेंगे.