एडीजी लेवल के अफसरों की पीड़ा, दूसरे राज्य में उनके साथी बन गए DGP !
एडीजी लेवल के अफसरों की पीड़ा, दूसरे राज्य में उनके साथी बन गए DGP
मप्र में वर्तमान पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना 1987 बैच के हैं। कई राज्यों में निर्धारित अवधि 30 वर्ष की सेवा पूरी होने के बाद ही डीजी या डीजीपी बनने का मौका मिलता है। मप्र में अभी 1991 बैच के विनीत कपूर को स्पेशल डीजी जून में बनाया गया है।
- डीजी और डीजीपी बनने की दौड़ में कई पुलिस अधिकारी
- बैच के साथी अधिकारी अन्य राज्यों में बन चुके हैं डीजीपी
- मध्य प्रदेश में डीजी बनने में ही करीब डेढ़ वर्ष लग जाएंगे
भोपाल। प्रदेश में डीजी और डीजीपी बनने की दौड़ में शामिल वरिष्ठ पुलिस अधिकारी(एडीजी) इस बात से दुखी हैं कि दूसरे राज्यों में उनके बैच के अधिकारी पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बन चुके हैं, पर वह डीजी तक नहीं बन पाए हैं।
इन में जल्द मिला प्रमोशन
आंध्र प्रदेश, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों में 1992 बैच तक के पुलिस अधिकारियों को डीजीपी या डीजी बनने का अवसर मिल चुका है, पर मध्य प्रदेश में डीजी बनने में ही अभी उन्हें लगभग डेढ़ वर्ष लग जाएंगे। कुछ तो इसके पहले रिटायर भी हो जाएंगे।
सुधीर सक्सेना 1987 बैच के अधिकारी
प्रदेश के वर्तमान पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना 1987 बैच के हैं। कई बैच बहुत बड़े तो कई पांच से भी कम अधिकारियों के होने के कारण यह असंतुलन हुआ है। हर वर्ष लगभग बराबर पद प्रदेश सरकार केंद्र से लेती तो ऐसी स्थिति नहीं बनती। अधिकतर राज्यों में निर्धारित अवधि 30 वर्ष की सेवा पूरी होने के बाद ही डीजी या डीजीपी बनने का अवसर मिल जाता है।
विनीत कपूर 1991 बैच के अधिकारी
प्रदेश में अभी 1991 बैच के विनीत कपूर को स्पेशल डीजी इसी वर्ष जून में बनाया गया है। इस बैच के 4 अन्य अधिकारी अभी एडीजी हैं। यानी लगभग 33 वर्ष की सेवा के बाद भी डीजी रैंक पर नहीं पहुंचे हैं। इसके बाद 1992 बैच के 7 अधिकारी एडीजी हैं। इनमें कुछ तो 2025 में पदोन्नत हो जाएंगे, पर कुछ बच जाएंगे या इस पद पर पहुंचे बिना ही सेवानिवृत हो जाएंगे।