केंद्र सरकार की कश्मीर नीति पर सवालिया निशान ?
कश्मीर में फिर जवानों का बलिदान, केंद्र सरकार की कश्मीर नीति पर सवालिया निशान
नई सरकार के गठन के बाद एक बार फिर से कश्मीर में आतंकियों ने कायराना हरकत किया है. इसमें देश के पांच जवानों ने बलिदान दिया है. सरकार का यह दावा रहा है कि कश्मीर में पहले के मुकाबले बहुत अधिक शांति कायम हुई है और वहां बहुत जल्द ही हालात सामान्य होंगे. यह सच भी है, लेकिन बीच-बीच में इस तरह की कायराना हरकतें जाहिर तौर पर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठाती हैं. कश्मीर में सीमा पार से घुसपैठ को जब तक बिल्कुल ही बंद नहीं किया जाएगा, तब तक दिक्कतें कम नहीं होनेवाली हैं.
कश्मीर में सुधरे हैं हालात
कश्मीर में धारा 370 के हटने के बाद से शांति आई है. आपरेशन ऑल आउट के अंतर्गत आतंकियों का खोज-खोज कर सफाया किया गया. कश्मीर में पुलिस की आईबी है. घाटी में पहले की अपेक्षा अब आतंकी गतिविधियां कम हुई है. सेना पर पत्थरबाजी की घटनाओं पर रोक लग गई है, हालात में पहले की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है. इसी से पाकिस्तान का हाल खस्ता होने लगा और उसको ये लगा कि वो जम्मू -कश्मीर की राजनीति में कमजोर होने लगा है तो उसने एक नई रणनीति निकाली कि जम्मू के क्षेत्र में टारगेट किया जाए. जिससे कि कश्मीर में और प्रेशर बढ़ेगा. इससे पहले कश्मीर में सेना की ओर से जो प्रेशर बना कर रखा गया है उसको जम्मू में हमले के जरिये तोड़ने की कोशिश की जा रही है. भारत की सीमा पर फोर्स के जवान चीन और पाकिस्तान की ओर लगे हुए हैं. पाकिस्तान और चीन आपस में मिले हुए है और वो जम्मू के क्षेत्र में हमला कर के वहां से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं. इसकी शुरुआत रजौरी इलाके में सेना पर हमला करते हुए किया गया है. जम्मू का इलाका पथरीली और पहाड़ीनुमा है. वहां पर मैदानी क्षेत्र नहीं है जिसके कारण छिपने के कई क्षेत्र हैं. वहां पर कनेक्टिविटी कम हो जाती है.
रणनीति के तहत साजिश
कश्मीर में फोर्स कम कर के जम्मू में लाने तथा लद्दाख में फोर्स की कमी करने को लेकर एक तरह की ये साजिश है. इस घटना में पाकिस्तान और चीन दोनों शामिल है. पहले रजौरी में, फिर शिवकोड़ी के यात्रियों पर उसके बाद कठुआ सहित कई क्षेत्रों में हमला किए गए हैं. इस तरह की घटनाएं पाकिस्तान की रणनीति के अंतर्गत हो रही हैं. एक साल के अंदर आतंकी घटनाओं में करीब 40 से अधिक जवान शहीद हो चुके हैं. इसको रोकने के लिए एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा वाले क्षेत्रों में घुसपैठ को रोकना होगा. पाकिस्तान जैसा पड़ोसी देश आसपास के क्षेत्रों में खासकर भारत में माहौल बिगाड़ने की कोशिश लगातार करता रहता है. सरकार का जो नैरेटिव है कि धारा 370 के खत्म करने के बाद स्थिति सामान्य हुई है, ऐसे में उसको बिगाड़ने के लिए पाकिस्तान कुछ भी कर सकता है. पाकिस्तान की ओर से ये साबित करवाया जा रहा है कि धारा 370 के बाद स्थिति बिलकुल ही सामान्य नहीं हुई है, इसलिए, वह इस प्रकार की घटनाएं करवा रहा है. हालांकि, इसको ध्यान में रखकर सुरक्षा कर्मी माकूल जवाब दे रहे हैं. इसके बावजूद भारत को घुसपैठ की घटना पर रोकथाम लगाना होगा.
रोकनी होगी घुसपैठ
भारत को इस बात पर ध्यान देना होगा कि आखिर आतंकी अंदर कैसे आ रहे हैं? क्या ये ड्रोन, टनल के जरिए या बार्डर के फेंस को काटकर अंदर आ रहे हैं? इस प्रकार की गतिविधि पर आर्मी और अन्य फोर्स के सीनियर अधिकारियों को ध्यान रखने की जरूरत है. अगर वो देश के अंदर प्रवेश नहीं कर पाएंगे तो ऐसी घटनाएं नहीं हो पाएगी. खासकर, देश के सुरक्षा जवानों को जम्मू के क्षेत्र में सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है , इसके साथ ही अंडरग्राउंड होकर जो लोग इनकी मदद कर रहे हैं, उनपर कार्रवाई करने की जरूरत है.
कोई भी बाहरी आकर अचानक से किसी घटना को अंजाम नहीं दे सकता, उनको ये नहीं पता होता कि शिवकोड़ी की यात्रा कहां से निकलनी होती है? फौज की गाड़ी कहां से कहां के लिए जा रही है? इस प्रकार की गतिविधि के बारे में कोई लोकल ही बताता है. लोकल ही उनको खाना, रहने के साथ ट्रांसपोर्ट का भी सहारा देते हैं. ऐसे लोगों को चिन्हित करते हुए सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है. जम्मू कश्मीर में चुनाव होने से कोई दिक्कत की बात नहीं है. अगर वहां पर सरकार बनती हैं तो वहां के रहने वाले लोकल की समस्याओं का समाधान जनप्रतिनिधियों के द्वारा किया जाएगा. उस समय भी पुलिस और सुरक्षा व्यवस्था की कमान केंद्र सरकार और उप राज्यपाल के पास रहेगी. ऐसा तब तक रहेगा जब तक वह केंद्र शासित प्रदेश रहेगा.
चुनाव हों, पर संभल कर
राज्य के लिए जम्मू कश्मीर को अभी छोड़ देना ठीक नहीं होगा, क्योंकि अभी हाल उस प्रकार से नहीं सुधरे हैं जिस प्रकार से कि होने चाहिए. वहां पर चुनाव कराना चाहिए लेकिन वहां पर लिए जिस तरह से बीएसएफ, आर्मी और सीआरपीएफ की ग्रुप केंद्र सरकार और उप राज्यपाल के अंतर्गत है उसी प्रकार से वहां की पुलिस भी उप राज्यपाल के यहां ही रहनी चाहिए.
इसी क्रम में 370 हटने के बाद ये दावा किया जा रहा था कि कश्मीरी पंडित की वापसी होगी तो जब तक वहां से आखिरी हथियार नहीं पकड़ा जाता या रुक नहीं जाता. तब तक कश्मीरी पंडितों को मुस्लिम इलाकों में उनको नहीं रखा जा सकता है. तब तक उनको उसी प्रकार से टेंट में ही रहना पड़ेगा. सिर्फ धारा 370 को हटा देना ही कामयाबी नहीं है बल्कि कश्मीरी पंडितों को एक मास्टर प्लान बनाकर जब तक वहां पर सेटल नहीं कर दिया जाता तब तक इसको सफल नहीं माना जा सकता.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि …न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]
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‘व्यर्थ नहीं जाएगा बलिदान’, कठुआ हमले पर केंद्र का बड़ा बयान, जरूर लेंगे बदला… किसी को नहीं छोड़ेंगे
केंद्र सरकार ने कठुआ हमले का बदला लेने की बात कही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया है। सर्च अभियान चलाया जा रहा है। बता दें कि कठुआ हमले में पांच जवानों ने बलिदान दिया और पांच अन्य घायल हुए हैं। कांग्रेस ने कहा कि जम्मू क्षेत्र आतंकी गतिविधियों का नया केंद्र बन गया है। सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
- रक्षा सचिव ने कहा- हमले के पीछे की बुरी ताकतों को किसी कीमत पर छोड़ेंगे नहीं।
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले- सशस्त्र बल क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध।
- कांग्रेस ने कहा- पाकिस्तान को उसके दुस्साहस के लिए जवाब देने का समय आ गया।
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के कठुआ में सैन्य वाहनों पर आतंकी हमले की घटना को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है और आतंकियों को सख्त चेतावनी दी है। रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने मंगलवार को कहा कि पांचों सैन्य जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाने दी जाएगी। इनकी मौत का बदला लिया जाएगा। भारत इस हमले के पीछे की बुरी ताकतों को किसी कीमत पर छोड़ेगा नहीं।
बड़े पैमाने पर सर्च अभियान जारी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सशस्त्र बल क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सोमवार को कठुआ के बदनोता इलाके में भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के एक गुट ने गश्ती दल पर घात लगा हमला किया था। इस हमले में पांच सैन्यकर्मी बलिदान जबकि पांच अन्य घायल हुए थे। आतंकवादियों की तलाश में बड़े पैमाने पर सर्च अभियान चल रहा है।
देश जवानों के परिवारों के साथ खड़ा: रक्षा मंत्री
रक्षा मंत्री ने एक्स पर कहा- ”कठुआ के बदनोता में आतंकी हमले में हमारे पांच बहादुर भारतीय सेना के जवानों की शहादत पर मुझे गहरा दुख हुआ है। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है, राष्ट्र इस कठिन समय में उनके साथ खड़ा है। आतंकवाद विरोधी अभियान जारी है और हमारे सैनिक क्षेत्र में शांति और व्यवस्था स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” उन्होंने इस आतंकी हमले में घायल हुए जवानों के शीघ्र स्वस्थ होने की भी कामना की।
बुरी ताकतों को नहीं छोड़ेंगे
रक्षा सचिव अरमाने ने भी घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना जताई। उन्होंने कहा- ”राष्ट्र के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा को हमेशा याद रखा जाएगा और उनके बलिदान का बदला लिया जाएगा और भारत हमले के पीछे की बुरी ताकतों को छोड़ेगा नहीं।” अरमाने की टिप्पणी को रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक्स पर साझा किया।
कड़ी जवाबी कार्रवाई की जानी चाहिए
राष्ट्रपति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सैन्य काफिले पर हुए आतंकी हमले को कायराना हरकत करार दिया और कहा कि कड़ी जवाबी कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। मुर्मु ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा- ‘मेरी संवेदनाएं उन बहादुरों के परिवारों के साथ हैं जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ चल रही इस लड़ाई में अपना बलिदान दिया है। मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करती हूं।’
आतंकी गतिविधियों का केंद्र बना जम्मू क्षेत्र: कांग्रेस
कांग्रेस ने कहा कि कश्मीर घाटी के बाद अब जम्मू क्षेत्र आतंकवादी गतिविधियों का नया केंद्र बन गया है और सरकार को इसे गंभीरता से लेते हुए पर्याप्त कदम उठाने चाहिए। पार्टी सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि इस मामले पर सरकार को देश को भरोसे में लेना चाहिए कि वह आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि अब पाकिस्तान को उसके दुस्साहस के लिए जवाब देने का समय आ गया है। देश की सुरक्षा के लिए एक जिम्मेदार विपक्ष के रूप में हम सरकार के साथ हैं।