नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस हिमा कोहली ने बुधवार को कहा कि सफेदपोश अपराध न्यायिक प्रणाली और आर्थिक व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती पेश करते हैं। इसके लिए बहुआयामी और सूक्ष्म दृष्टिकोण की जरूरत है।

न्यायपालिका अपराधों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

जस्टिस कोहली ‘ न्यायिक दृष्टिकोण में आर्थिक अपराध और कारपोरेट दुराचार पर दूसरा संवाद’ कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि सफेदपोश अपराध भारत की न्यायिक और आर्थिक व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। इससे निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। मजबूत विधायी ढांचे और समर्पित संस्थागत तंत्र द्वारा समर्थित न्यायपालिका इन अपराधों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

पारंपरिक अपराध अक्सर बदला लेने जैसी भावनाओं से उत्पन्न होते हैं

पारंपरिक और सफेदपोश अपराधों के बीच अंतर करते हुए उन्होंने कहा कि पारंपरिक अपराध अक्सर क्रोध या बदला लेने जैसी भावनाओं से उत्पन्न होते हैं या कभी-कभी पेशवर अपराधियों की मदद लेकर अंजाम दिए जाते हैं। इसके विपरीत, सफेदपोश अपराध लालच से प्रेरित होते हैं। ये साजिशन अंजाम दिए जाते हैं।

सफेदपोश अपराध प्रतिष्ठा को ठेस या वित्तीय नुकसान पहुंचाते हैं। पारंपरिक अपराधों के परिणामस्वरूप शारीरिक नुकसान और भावनात्मक क्षति होती है। हालांकि, दोनों प्रकार के अपराधों का पीडि़तों और बड़े पैमाने पर समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है।