जिसकी रहबरी में ठगे जाते रहे अब उस नगर निगम को जागरूक करने की याद आई !

 जिसकी रहबरी में ठगे जाते रहे अब उस नगर निगम को जागरूक करने की याद आई
नगरनिगम भवन बनाने के लिए अनुमति तो देता है लेकिन भवन के कंप्‍लीशन सर्टिफिकेट अनियवार्य नहीं करता। ऐसे में भवन बनाने वाले बिल्‍डर बिना काम पूरा हुए ही आवास बेच देते हैं। खासबात यह है कि गोल्‍डन टावर मामले की जांच के लिए जो दस्‍तावेज चाहिए, उन्‍हें निगम अपने रिकार्ड में अभी तक तलाश नहींं सका है।
  1. निगम अफसरों ने अनुमति देने के साथ कंप्लीसन सर्टिफिकेट अनिवार्य नहीं किया
  2. गोल्डन टावर के पास नहीं है कंप्लीशन सर्टिफिकेट, इसलिए बेघर हुए रहवासी
  3. अपनी कमी छिपाकर अब निगम अफसर कर रहे हैं कंप्लीशन सर्टिफिकेट जांच की बात

 ग्वालियर। नगर निगम अफसरों की अनदेखी का शिकार शहरवासी बन रहे हैं। बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट के बिल्डर धड़ल्ले से फ्लैट बेचकर लोगों की मेहनत की कमाई ठग रहे हैं। यदि नगर निगम के अफसर मल्टी बनाने की अनुमति देने के साथ कंप्लीशन सर्टिफिकेट अनिवार्य करते तो नेहरु कालोनी स्थित गोल्डन टावर के रहवासी आज बेघर न होते। अफसर अब अपनी खामियों को छिपाकर कंप्लीशन सर्टिफिकेट की जांच की बात कर रहे हैं।

निगम अफसरों का कहना है कि शहर में जो मल्टी बन चुकी हैं उनके बिल्डरों से कंप्लीशन सर्टिफिकेट की मांग की जाएगी और लोगों को भी इस बात के लिए जागरूक किया जाएगा कि वह बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट देखे किसी भी मल्टी में फ्लैट न खरीदें और अपनी मेहनत की कमाई बिल्डरों के हाथ में बिना जांच परख के न थमाए। गौरतलब है कि नेहरु कालोनी स्थित गोल्डन टावर का एक पिलर झुकने से पूरी मल्टी झुक गई।

जिसको लेकर मल्टी खाली करनी पड़ी। लोग अपनी आवश्यकता का सामान लेकर बाहर निकल चुके हैं। अब पिलर की मरम्मत का काम चल रहा है जिसे पूरा होने में करीब एक सप्ताह का वक्त लगेगा। मल्टी 24 से अधिक पिलर पर खड़ी है उन सभी पिलर की जांच की जाएगी। इसके बाद ही रहवासियों को रहने के लिए मल्टी के दरवाजे खोले जाएंगे, इसमें करीब एक माह का वक्त लग सकता है।

दो भवनों के बीच तीन फीट जगह छोड़ना अनिवार्य

शहर में दो लाख 53 हजार भवन बने हैं। जिनसे नगर निगम संपत्तिकर अर्जित करता है, लेकिन नगर निगम के निर्धारित मापदंड का पालन हुआ हो ऐसे भवन या मल्टी कम ही है। दो भवन के बीच में तीन फीट जगह छोड़ना अनिवार्य है लेकिन शहर में कम ही भवन है जिनमें इस नियम का पालन किया गया हो।

तीन दिन में निगम खुद के कार्यालय से दस्तावेज नहीं मंगवा सका
  • गोल्डन टावर की मल्टी झुकने की घटना तीन दिन पहले हुई। इसकी जांच नगर निगम ने शुरू की पर गजब की बात यह है कि नगर निगम अपने ही दफ्तार में रखी फाइलों को अब तक संग्रहित नहीं कर सका। इससे साफ है कि नगर निगम जांच किस दिशा में लेकर जा रहा है।
  • अफसरों का कहना है कि मल्टी की अनुमति आफलाइन दी गई थी, इसलिए फाइलों को निकलवाया जा रहा है। गजब की बात यह है कि दो लोगों ने दो प्लाट को जोड़कर मल्टी खड़ी की, जिसमें दो फ्लोर अवैध रूप से बना दिए और नगर निगम के अफसरों को भनक तक नहीं लगी।
कंप्लीशन सर्टिफिकेट
  • कंप्लीशन सर्टिफिकेट एक अहम कानूनी दस्तावेज है, जो यह प्रमाणित करता है कि बिल्डिंग को शहर के मास्टरप्लान और नियमों के मुताबिक बनाया गया है। क्योंकि बिल्डर नगर निगम से मल्टी या भवन बनाने की अनुमति तो लेता है पर भवन या मल्टी तैयार होने के बाद कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं लेता।
  • लोग भी फ्लैट खरीदते समय इस बात पर ध्यान नहीं देता कि वह इस बात की जांच करें कि जिस स्थान पर अपनी मेहनत की कमाई लगाने जा रहे है उसकी गुणवत्ता ठीक है भी या नहीं। इसका पता कंप्लीशन सर्टिफिकेट से चलता है जिसकी जांच करना जरूरी है,जिससे पता चलता है कि उक्त भवन या मल्टी कितने समय तक जीवित रहेगी।
इन बिंदुओं की जांच के उपरांत होता सर्टिफिकेट जारी
  • नगर निगम द्वारा जिस नक्शे को पास किया उसी के अनुसार बनाई गई हो।
  • नगर निगम द्वारा निर्धारित गुणवत्ता पूर्ण सामग्री का उपयोग किया गया हो।
  • पिलर में डाले गए सरिया,सीमेंट,कांक्रीट का सही मात्रा में उपयोग हुआ हो।
  • सीवेज संबंधी कोई परेशानी ना हो।
  • लैब द्वारा उक्त सभी बिंदुओं की जांच की गई हो।

मल्टी के सभी दस्तावेजों का संकलन किया जा रहा है। जिसके आधार पर जांच आगे बढ़ेगी।लेकिन इसके साथ ही अब शहर में जितनी भी मल्टी है उनके कंपलीशन सर्टिफिकेट की जांच की जाएगी जिसके पास नहीं होगा उन्हें लेना अनिवार्य होगा। जिससे मल्टी की गुणवत्ता कीजांच हो सकेगी। इधर गोल्डन टावर के अन्य पिलर की भी जांच की जाएगी।

 प्रभारी सिटी प्लानर नगर निगम

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