MP: सियासी नेताओं के निशाने पर फिर आई ब्यूरोक्रेसी, जानिए क्या है इस ‘अटैक’ की वजह
भोपाल: मध्य प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी सियासी नेताओं के निशाने पर आ गई है. 15 साल के बीजेपी शासनकाल के बाद अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. दोनों ही दल अब ब्यूरोक्रेसी को संदिग्ध निगाह से देख रहे हैं. कांग्रेस उसका इस्तेमाल ठोंक बजाकर कर रही है. शक इस बात का है कि 15 साल बीजेपी सरकार के मंत्रियों के स्टाफ में प्रभावशाली रहा, उनका निजी स्टाफ कहीं जासूसी तो नहीं कर रहा है. या फिर सरकार का तजुर्बा नहीं होने का कोई अनर्गल फायदा तो नहीं उठा रहा है.
उधर, बीजेपी नेताओं को नई हुकूमत के अफसरों की नाफरमानी से जूझना पड़ रहा है. आलम ये है कि मंत्रियों ने अपने पर्सनल स्टाफ में बदलाव शुरू कर दिया है तो, बीजेपी के नेता अफसरों के खिलाफ आग उगल रहे हैं. बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अफसरों को इशारों ही इशारों में चेतावनी देते हुए कहा था, ‘सरकारें आती-जाती रहती हैं, तेरा क्या होगा कालिया.’
कमलनाथ सरकार के मंत्री ओएसडी की हिस्ट्री खंगाल रहे हैं. साथ ही दागी या संदिग्धों की छंटनी भी कर रहे हैं. छंटनी हनीट्रैप गैंग से जुड़े मानव तस्करी मामले में दो ओएसडी के नाम आने के बाद हुई है. मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के स्टाफ में तैनात हरीश खरे और मंत्री प्रदीप जायसवाल के स्टाफ में रहे अरुण निगम का इस मामले में नाम सामने आया था. पुलिस ने कोर्ट में पेश चालान में जिक्र किया था कि इन अफसरों को खुश करके गैंग कुछ सरकारी कामकाज निपटाना चाह रही थी. इसके बाद सीएम कमलनाथ ने भी अपने मंत्रियों को सलाह दी थी कि वे अपने स्टाफ का सेलेक्शन करने में सावधानी बरतें.
इससे पहले ये चर्चाएं शुरू हो गई थीं कि मंत्रियों के निजी पदस्थापना में वही लोग हैं, जो बीजेपी सरकार के मंत्रियों के साथ थे. कांग्रेस की बैठकों में ये सवाल काफी उठ चुके थे कि बीजेपी सरकार में मंत्रियों के जिन कामों पर कांग्रेस सवाल उठाती रही है. उसमें उनके ओएसडी का शामिल होना भी तय था. ऐसे में ये ओएसडी पूर्व मंत्रियों के बचाव की कोशिश भी कर सकते हैं और कांग्रेस के मंत्रियों को फंसा भी सकते हैं. इसके बावजूद कमलनाथ कैबिनेट में सीएम के अलावा 28 मंत्रियों में से सभी मंत्रियों ने पुराने ओएसडी पर ही भरोसा जताया. हनीट्रैप गैंग के मानव तस्करी मामले के चालान ने सब राज खोलकर रख दिए, तब मंत्रियों ने छंटनी की तैयारी शुरू कर दी.
अब तक ब्यूरोक्रेसी पर निशाना साधने के सामने आए ये मामले
कैलाश विजयवर्गीय ने अफसरों को याद दिलायी सरकार: बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सिंगरौली में एक सभा को संबोधित करते समय अफसरों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि सरकारें आती-जाती रहती हैं. ऐसे में तेरा क्या होगा कालिया. दरअसल, बीजेपी नेता सरकार के वक्त चौबीसों घंटे अफसरों की खातिरदारी हासिल किया करते थे. अब वो तवज्जो नहीं मिल रही है, ऐसे में बीजेपी की तरफ से कई बार इस तरह के इशारे किये जाते रहे हैं.
पहले साल में तबादलों का शिकार हुई प्रशासनिक मशीनरी: कांग्रेस ने सरकार में आते ही अफसरों के ताबड़तोड़ तबादलों का दौर शुरू कर दिया. ये सिलसिला साल के आखिर तक चलता रहा. इसे भी बीजेपी सरकार में अफसरों की जमावट को तोड़ने के तौर पर ही देखा गया. सीएम कमलनाथ से इस बारे में जब भी सवाल किये गए, उनका जवाब था कि ये सिलसिला तो चलता रहेगा. हालांकि, बीजेपी सरकार के आखिर के साल में भी पूरे साल भारी-भरकम तबादले किये गए थे. दरअसल, सरकारें अपने हिसाब से अफसरों को सेट करती रहती हैं. इसपर विपक्षी दल ब्यूरोक्रेसी के इस्तेमाल के आरोप सरकार पर लगाते रहते हैं.
बीजेपी ने कहा- निगरानी, कांग्रेस ने कहा- योग्यता का इस्तेमाल: बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि सीएम कमलनाथ मंत्रियों को सलाह दे रहे हैं कि वे ओएसडी को बदल दें. इसके मायने यही हैं कि दूसरे गुट के मंत्रियों पर सीधे सीएम कमलनाथ के दफ्तर से नजर रखी जाएगी. बीजेपी ने इसपर गुटबाजी के आरोप लगाए.
दूसरी तरफ, कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने कहा कि सीएम तो सारे विभागों को मुखिया हैं. उन्हें नजर रखने की जरूरत नहीं है. लेकिन स्टाफ तय करना मंत्रियों का अधिकार है कि वे किसे रखें किसे नहीं. लेकिन तबादले की कई वजहें होती हैं. ये सरकार पर निर्भर होता है कि वो ब्यूरोक्रेसी का कैसा इस्तेमाल करती है. यही अमला अब रिजल्ट दे रहा है. कमल नाथ ने प्रशासनिक अमले का बखूबी इस्तेमाल करके उनसे बेहतर रिजल्ट ले रहे हैं. ये अमले की योग्यता के इस्तेमाल की बात है, जो बीजेपी के बस की बात नहीं.