34 साल में 34 देश ही बने अमीर!
34 साल में 34 देश ही बने अमीर! भारत कैसे हासिल कर पाएगा ये लक्ष्य? वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट
अगर सिर्फ पैसा लगाने से ही देश अमीर हो जाते तो आज मिडिल इनकम वाले देश अमेरिका जितने अमीर होते. लेकिन ऐसा नहीं है. वर्ल्ड बैंक ने 2007 में ही इस समस्या को ‘मिडिल इनकम ट्रैप’ नाम दिया था.
भारत, चीन, इंडोनेशिया समेत दुनियाभर के 100 से ज्यादा मिडिल इनकम वाले देशों के लिए वर्ल्ड बैंक ने चिंता जाहिर की है. वर्ल्ड बैंक की नई रिपोर्ट ‘वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2024’ के मुताबिक, मिडिल इनकम वाले देशों की तरक्की की रफ्तार कम हो रही है. जैसे-जैसे इन देशों की आमदनी बढ़ रही है, वैसे-वैसे तरक्की की रफ्तार कम होती जा रही है.
अमेरिका को सबसे अमीर देश माना जाता है और अमेरिका से ज्यादा आमदनी वाले देशों में बहुत कम लोग रहते हैं. 1970 से अब तक मिडिल इनकम वाले देशों की आमदनी अमेरिका की आमदनी की दसवीं हिस्से से ज्यादा कभी नहीं हुई. ऐसा लगता है कि मिडिल इनकम वाले देश कम आमदनी पर ही फंस गए हैं और आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं.
मिडिल इनकम देशों के सामने समय की कमी
वर्ल्ड बैंक ने रिपोर्ट में कहा है कि 1990 के दशक से मिडिल इनकम वाले देशों ने बहुत तरक्की की है और बहुत सारे लोग गरीबी से बाहर निकल आए हैं. इसलिए लगता है कि पिछले 30 साल बहुत अच्छे रहे हैं. उस वक्त दुनिया के दो तिहाई से ज्यादा लोग एक दिन में एक डॉलर से भी कम कमाते थे. अब इन 108 मिडिल इनकम वाले देशों की उम्मीद है कि ये अगले 20-30 साल में अमीर देश बन जाएंगे. लेकिन ये तो बहुत मुश्किल है.
1990 से अब तक सिर्फ 34 देश ही अमीर बन पाए हैं. ये ज्यादातर देश यूरोपियन यूनियन में शामिल हो गए थे या जिनके पास तेल के भंडार थे. इनकी जनसंख्या सिर्फ 25 करोड़ है जो पाकिस्तान की जनसंख्या के बराबर है. पिछले दस सालों में हालात पहले से भी खराब हुए हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है, देशों पर तेजी से कर्ज बढ़ रहा है, लोगों की उम्र बढ़ रही है जिससे सरकारों के पास पैसा कम हो रहा है. वहीं देशों के बीच लड़ाई-झगड़े बढ़ रहे हैं और व्यापार बढ़ाने में भी दिक्कतें आ रही हैं. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना तरक्की करना मुश्किल होता जा रहा है. कई देश तो अभी भी पुराने तरीके से ही काम कर रहे हैं, वो सिर्फ पैसा लगाने की बात करते हैं.
‘अगर ऐसा ही सबकुछ चलता रहा तो उन्हें अमीर बनने में कई दशक लग जाएंगे. भारत को अमेरिका के एक चौथाई प्रति व्यक्ति आय के स्तर तक पहुंचने में करीब 75 साल से ज्यादा लग जाएंगे. हालांकि इंडोनेशिया इस उपलब्धि को 70 साल और चीन 10 साल में ही हासिल कर सकता है. ब्राजील और मैक्सिको जैसे देश तो 2100 तक अमेरिका से और भी पीछे हो जाएंगे.’
किसे माना जाता है मिडल इनकम वाला देश?
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, 108 देशों को मिडिल इनकम देश माना जाता है जिनकी प्रति व्यक्ति आमदनी 1136 डॉलर से 13845 डॉलर के बीच है. ये देश दुनिया की तरक्की के लिए बहुत जरूरी है. इन देशों की कमाई दुनिया की पूरी कमाई का 40 फीसदी है और दुनिया के गरीब लोगों में से 60 फीसदी से ज्यादा इन देशों में रहते हैं. इसके अलावा, दुनिया में जितना भी प्रदूषण होता है उसका 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सा इन देशों का है.
भारत में प्रति व्यक्ति आए करीब 2400 डॉलर है. ज्यादातर देशों में देखा गया है कि जब देश की आमदनी बढ़ती है तो उसकी तरक्की की रफ्तार कम हो जाती है. एक समय के बाद तो तरक्की रुक ही जाती है. ये आमदनी अमेरिका की आमदनी का लगभग 11% होती है जो आज के हिसाब से आठ हजार डॉलर के करीब है. इसी स्तर पर आने के बाद देशों की तरक्की रुक जाती है.
मिडिल इनकम देशों के सामने क्या है चुनौतियां
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, मिडिल इनकम वाले देशों की तरक्की की रफ्तार कम हो रही है, जबकि गरीब और अमीर देशों की रफ्तार कम नहीं हो रही है. जब ये देश गरीब थे तब उन्होंने पैसा लगाकर तरक्की की थी, लेकिन अब ये तरीका काम नहीं कर रहा है. जिन देशों में अच्छे नियम-कायदे नहीं हैं और जहां लोगों की आजादी कम है, वहां तो और भी कम तरक्की हो रही है.
मिडिल इनकम वाले देशों की तरक्की का तरीका ही अलग है. इन देशों को दो बार बदलाव लाना पड़ेगा, तभी ये अमीर देशों की बराबरी कर पाएंगे. पहले तो इन देशों ने सिर्फ पैसा लगाया लेकिन अब इनको पैसा लगाने के साथ-साथ दूसरे देशों की अच्छी तकनीक भी अपने देश में लानी होगी. दूसरे स्टेप में उन्हें खुद भी नई-नई चीजें बनानी होंगी.
पुरानी कंपनियों का दबदबा करना होगा खत्म!
भारत, मैक्सिको और पेरू जैसे देशों में बिजनेस बहुत धीरे-धीरे बढ़ते हैं. 40 साल में ये बिजनेस सिर्फ दोगुने हो पाते हैं जबकि अमेरिका में इतने समय में बिजनेस सात गुना बढ़ जाते हैं. वर्ल्ड बैंक का कहना है कि पुरानी कंपनियां बहुत पावरफुल हो जाती हैं. उनके पास पैसा, लोग और सरकार में भी उनके लोग होते हैं. ये तय करते हैं कि कौन क्या सीखेगा, कौन सी नौकरी पाएगा और कितने पैसे मिलेंगे.
वर्ल्ड बैंक ने कहा, मिडिल इनकम वाले देशों को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिसमें नई कंपनियां भी आ सकें और पुरानी कंपनियां भी अच्छा काम करें. सरकार को पुरानी कंपनियों को ज्यादा मदद नहीं करनी चाहिए, खासकर सरकारी कंपनियों को. महिलाओं के साथ भी भेदभाव नहीं होना चाहिए. जो पुरानी कंपनियां गलत काम करती हैं, उन पर कार्रवाई करनी चाहिए. सरकार के पास ऐसे कानून होने चाहिए जिनसे कंपनियां सही काम करें.
कोरिया से दुनिया को सीखना चाहिए
कोरिया एक ऐसा देश है जो बहुत तेजी से तरक्की किया है. ये एक मिसाल है. कोरिया एक युद्ध के बाद उठा और बहुत कम समय में बहुत तरक्की कर ली. इसने दूसरे देशों की तकनीक ली और फिर खुद ही नई तकनीक बनाने लगा.
1960 में दक्षिण कोरिया की प्रति व्यक्ति आमदनी सिर्फ 1200 डॉलर थी, लेकिन 2023 में ये बढ़कर 33,000 डॉलर हो गई.पहले दक्षिण कोरिया ने सरकारी और निजी तौर पर बहुत पैसा लगाया. 1970 के दशक में इसने दूसरे देशों की अच्छी तकनीक लेनी शुरू की और अपने देश में भी अच्छी चीजें बनाने लगा. वर्ल्ड बैंक ने कहा, दूसरे मिडिल इनकम वाले देशों को कोरिया से बहुत कुछ सीखना चाहिए.
पोलैंड और चिली ने भी ऐसा ही किया. पोलैंड ने पश्चिमी यूरोप की तकनीक लेने से अपनी तरक्की की. चिली ने नॉर्वे से सैमन मछली पालने की तकनीक ली और अब वो सैमन मछली बेचने वाला सबसे बड़ा देश है.