इंदौर : सांवेर रोड के 53 इलाकों के भूजल में मिले घातक रसायन 400 उद्योगों पर शक ?
एक साल की रिसर्च में बड़ा खुलासा …
सांवेर रोड के 53 इलाकों के भूजल में मिले घातक रसायन 400 उद्योगों पर शक, नोटिस 50 को, कार्रवाई सिर्फ 7 पर
दूषित पानी से लोगों को हो रही विभिन्न एलर्जी, हड्डी, दांत और पेट के रोग
सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र के हैंडपंप और बोरवेल से पिछले एक साल से घातक लाल पानी निकल रहा है। यहां के भूजल में सल्फेट, केजेल्डाहल नाइट्रोजन, मैग्नीशियम जैसे घातक रसायन बड़ी मात्रा में पाए गए हैं। जून 2023 में भास्कर की पड़ताल के बाद मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक साल तक 20 किमी क्षेत्र में बसे कुमेड़ी, बरदरी, धनखेड़ी, शक्करखेड़ी, निरंजनपुर सहित 53 स्थानों से कुल 636 सैंपल लेकर रिपोर्ट तैयार की। इस क्षेत्र में करीब 3 लाख लोग रहते हैं। रिपार्ट में यहां के भूजल में टीडीएस (टोटल डिजॉल्व सॉलिड्स) 2000 से 3600 पाया गया, जबकि 300 से 600 टीडीएस तक का पानी ही पीने योग्य होता है।
भास्कर ने एक्सपर्ट्स के साथ फिर पड़ताल की तो खुलासा हुआ, दूषित पानी के प्रयोग से क्षेत्र के लोग एलर्जी, बाल झड़ने के साथ हडिड्यों में दर्द, दांत और पेट रोग से परेशान हैं। दूषित जल के पीछे औद्योगिक क्षेत्र के 400 उद्योग हैं, जिन्हें राडार पर तो रखा गया है, लेकिन अब तक सिर्फ 7 फैक्टरियों पर ही कार्रवाई हो सकी है।
- 3600 तक निकला भूजल का टीडीएस
- 600 टीडीएस तक का पानी ही पीने योग्य
इलेक्ट्रो प्लेटिंग, केमिकल, कनफेक्शनरी और फार्मा उद्योगों से निकल रहा दूषित पानी
नरवर और भौंरासला नालों सहित कान्ह नदी में दूषित पानी छोड़ने के मामले में 7 महीने में कई जांच हो चुकी है। 50 उद्योगों को बंद करने के नोटिस भी जारी किए गए हैं, जबकि 7 को सील किया जा चुका है। मुख्य रूप से इलेक्ट्रो प्लेटिंग, केमिकल, फार्मा और कनफेक्शनरी उद्योगों से दूषित पानी निकलता है। इलेक्ट्रो प्लेटिंग और बैटरी से जुड़े उद्योगों में तो बड़ी मात्रा में एसिड का इस्तेमाल किया जा रहा है।
सेक्टर ए, एफ और कुमेड़ी का पानी सबसे खराब
वैज्ञानिक अतुल कोटिया ने बताया, अधिकांश सैंपल सार्वजनिक बोरिंग, हैंडपंप व कुओं से लिए गए। 35 अलग-अलग मानकों पर जांच की गई है। राम नगर से धनखेड़ी के बीच सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र के सेक्टर ए, एफ और कुमेड़ी गांव का भूजल अधिक दूषित मिला। कुछ जगह तो 3600 टीडीएस भी मिला। अधिकांश सैंपल में घुलित कणों की संख्या अधिक होने के साथ कैल्शियम, मैग्नीशियम, हार्डनेस, क्लोराइड, सल्फेट के साथ अन्य खतरनाक इंडस्ट्रियल केमिकल भी मिले हैं।
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में छोड़ रहे दूषित पानी
मप्र प्रदूषण बोर्ड के वैज्ञानिक संजय जैन ने बताया, कुछ उद्योग के ईटीपी (ईफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट) बंद या क्षमता से कम चलना पाए गए। सेक्टर ए और एफ के 10-12 उद्योगों से दूषित पानी चोरी छिपे नालों में छोड़े जाने की भी आशंका है। आशंका है, कुछ उद्योगों में लगाए गए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में बारिश के अलावा उद्योगों का दूषित पानी डाला जा रहा है।
206 पेज की रिपोर्ट, 53 प्वाइंट्स
^ एक साल से टीम रिसर्च कर रही थी। 8 लोगों की टीम ने नरवर और भौंरासला नाले के आसपास 20 किमी सर्कल के 53 प्वाइंट्स (स्थान) चिह्नित किए। 206 पेज की रिपोर्ट तैयार की है। दोनों नाले धनखेड़ी में कान्ह नदी में मिलते हैं।
– एसएन द्विवेदी, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण बोर्ड
भास्कर एक्सपर्ट – डॉ. स्नेहल दोंदे, चेयरपर्सन, माइक्रोबायोलॉजिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया
याददाश्त कमजोर होने का खतरा
^पानी में यदि सल्फेट, क्लोराइड, केजेल्डाहल नाइट्रोजन, मैग्नीशियम जैसे पदार्थ अधिक मात्रा में हैं और इसे ट्रीट किए बिना इस्तेमाल किया तो पेट और स्किन के रोग के अलावा कैंसर तक हो सकता है। इसका ब्रेन पर भी असर होता। याददाश्त कमजोर होने का भी खतरा होता है।
450 लोग रोज आ रहे ओपीडी में
अस्पताल की ओपीडी में हर दिन औसत 450 लोग आ रहे हैं। इनमें करीब 100 बच्चे हैं। मौसमी बीमारियों के अलावा पेट रोग, स्किन एलर्जी और चर्मरोग के मरीज भी आते हैं। हम सभी को बोरिंग का दूषित पानी सीधे इस्तेमाल नहीं करने की सलाह देते हैं।
– डॉ. शैफाली ओझा, मेडिकल ऑफिसर, बाणगंगा अस्पताल