लिवर, किडनी और आंख…अंगदान का महत्व, लेकिन ये 2 शर्तें जानना है जरूरी ?
लिवर, किडनी और आंख… हेल्थ सेक्टर में नई टेक्नोलॉजी के साथ बढ़ रहा अंगदान का महत्व, लेकिन ये 2 शर्तें जानना है जरूरी
वर्तमान समय में अंगदान का महत्व बढ़ता ही जा रहा है, क्योंकि जिस तरह से हेल्थ सेक्टर में नई टेक्नोलॉजी आ रही हैं, इससे न सिर्फ व्यक्ति को नया जीवनदान मिल रहा है बल्कि अंगदान कई लोगों के जीवन में नई आशा की किरण भी बनकर आया है. अंगदान के प्रति जागरूक होना बेहद जरुरी है. अंगदान के विषय में कई सवालों को लेकर चर्चा कर रहे हैं, इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल के डॉ. योगेश शाह, कन्सल्टेन्ट, इंटर्नल मेडिसिन, आइए जानते हैं अंगदान को लेकर कुछ खास बातें –
अंगदान किस उम्र में कर सकते हैं?
अंगदान के लिए पहली शर्त होती है कि व्यक्ति स्वस्थ हो. हालांकि यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि अंगदान जीवित रहते हुए किया जा रहा है या मृत्यु पश्चात किया जा रहा है. अंगदान की उम्र सीमा अलग-अलग अंगों के लिए अलग-अलग होती है. अंगदान किसी डॉक्टर से परामर्श के बाद ही किए जाते हैं.
कितनी तरह से किया जा सकता है अंगदान?
अंगदान दो तरीके से किया जा सकता है. एक तरीका होता है जब व्यक्ति जीवित रहते हुए कर सकता है और दूसरे तरह का अंगदान व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद कर सकता है. अंगदान करने के लिए एक वसीयत तैयार की जाती है, जिसमें मृत्यु के बाद व्यक्ति अपने शरीर के किन हिस्सों को दान में देना चाहता है वह सभी कुछ लिखा जाता है. मृत्यु के पश्चात व्यक्ति अपने आंखें, किडनी, लीवर, फेफड़े, हार्ट, पैंक्रियाज और आंत आदि का दान कर सकता है. जीवित रहते हुए व्यक्ति अपनी किडनी, लिवर, आंखें व पैंक्रियाज आदि दान कर सकता है.
क्या शरीर के सभी हिस्सों का दान किया जा सकता है?
अंगदान में शरीर के कुछ अंगों को दान किया जा सकता है. इन अंगों में लिवर, किडनी, अग्नाशय, हार्ट, लंग्स और आंत जैसे अंगों का दान किया जाता है. वहीं शरीर के कुछ ऊतको (tissues) का दान किया जा सकता है, उनमें कॉर्निया (आंख का भाग), हड्डी, स्किन, हृदय वाल्व, रक्त वाहिकाएं, नस और कुछ अन्य ऊतकों को भी दान किया जा सकता है.
हार्ट और लंग्स को किस उम्र में कर सकते हैं डोनेट?
शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है हार्ट. हार्ट के ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया भी काफी जटिल होती है. यदि किसी मृत व्यक्ति का हार्ट दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है तो इससे पहले कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं, जिसमें यह देखा जाता है कि वह ऑर्गन डोनेट करने के योग्य है या नहीं. वहीं यह बात लंग्स के डोनेशन पर भी लागू होती है. इन दोनों ही ऑर्गन्स को ऐसे व्यक्ति से लिया जाता है, जो 60 वर्ष से कम उम्र का हो. यानी कि ब्रेन डेड व्यक्ति की उम्र 60 साल से कम हो तो उसका ऑर्गन लिया जा सकता है.
आंखों को दान करने की उम्र सीमा क्या है?
कई रिपोर्ट के मुताबिक आंखों का दान दूसरे अंगदान की अपेक्षा अधिक है. नेत्रदान की उम्र सीमा निर्धारित नहीं है, इसके लिए व्यक्ति सौ साल की उम्र तक भी अपनी आंखों का दान कर सकता है. यहां तक कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी उसकी बॉडी से कॉर्निया (आंखों का बाहरी हिस्सा) ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. बता दें कि एक कॉर्निया से दो लोगों को आंखों की रोशनी मिल सकती है. आंखों का दान वे लोग नहीं कर सकते हैं, जिन्हें एड्स, रेबिस, कैंसर या हेपेटाइटिस की बीमारी है. आंखों के अंगदान में आंखें निकालने की बजाए सिर्फ कॉर्निया ही निकाला जाता है, जिससे आंखों में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होती है.
अंगदान करने के लिए कौन हैं अयोग्य?
व्यक्ति के शरीर के अंग किस तरह से कार्य कर रहे हैं यह उसकी उम्र पर निर्भर होता है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है अंगों की कार्यक्षमता कम हो सकती है जो अंगदान के लिए सही नहीं है. इसके अलावा जिन्हें किसी तरह के कोई संक्रामक रोग जैसे एचआईवी या हेपेटाइटिस हो तो वे भी ऑर्गन डोनेशन नहीं कर सकते हैं. अंगदान करने वाले व्यक्ति को मानसिक रुप से ठीक होना आवश्यक है.
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