भवन स्वीकृति के नियम में बदलाव !
भवन स्वीकृति के नियम में बदलाव
डीम्ड परमिशन का दायरा बढ़ाया, पोर्टल पर कॉलोनियों का डेटा अपडेट नहीं, लोग परेशान
भवन बनाने के लिए नगर निगम के अफसरों के चक्करों से मुक्त करने के लिए शासन ने डीम्ड परमिशन का दायरा 1129 वर्गफीट से बढ़ाकर 2000 वर्गफीट कर दिया है। ऐसा होने से निगम में हर साल आने वाले निर्माण मंजूरी के आवेदनों में से 50% इस दायरे में आ जाएंगे।
लोगों की सुविधा के लिए इस योजना में नगरीय आवास एवं विकास विभाग के पोर्टल आटोमैटिक बिल्डिंग प्लान एप्रूवल सिस्टम (एबीपीएस-2) पर वैध कॉलोनियों के लेआउट अपडेट नहीं हो पा रहे हैं। जबकि इस योजना की शर्त यह है कि टीएंडसीपी और नगर निगम से नक्शा पास कराकर बनाई वैध कॉलोनियों मेंे प्लॉट खरीदने वाले ही डीम्ड परमिशन के लिए आवेदन कर सकते हैं।
ऐसे में जिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं है उन्हें कॉलोनियों के नक्शे खोजना पड़ रहे हैं। वे इस कारण परेशान हैं। नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त भरत यादव ने सभी आयुक्त नगर पालिक निगम, मुख्य नगर पालिका अधिकारी को आदेश भेजे थे। उसमें डीम्ड परमिशन 105 वर्गमीटर से बढ़ाकर 186 वर्गमीटर (2000) करने का फरमान दिया था। लेआउट के अपडेट नहीं होने और अफसरों की दिलचस्पी के नहीं चलते 2000 वर्गफीट वाली परमिशन का आंकड़ा 50 के आसपास ही पहुंच पाया है।
ऐसे मिलेगा डीम्ड परमिशन का फायदा
- ऑनलाइन परमिशन के लिए तीन तरह का शुल्क ही लगेगा। इनमें भवन निर्माण, कर्मकार और वाटर हार्वेस्टिंग शुल्क शामिल रहेगा। इसके अलावा 50 रुपए की फीस रहेगी। यह 2000 वर्गफीट पर लगभग 35-40 हजार रुपए होगा।
- यदि भवन स्वामी निगम के माध्यम से स्वीकृति लेना चाहता है। उसे उक्त तीनों शुल्कों के अलावा विकास और मलबा-मसला शुल्क भी देना होगा। इसमें शुल्क की राशि 60-65 हजार रुपए हो जाएगी।
311 अवैध से वैध, 100 वैध कॉलोनी का डेटा अपडेट नहीं
शासन ने दिसंबर 2016 तक की अवैध कालोनियों को वैध करने के आदेश दिए थे। निगम ग्वालियर ने 311 अवैध कालोनियों को वैध कर दिया था। इनका लेआउट ही एबीपीएस-2 पर अपडेट नहीं हो पाया है। इससे पूर्व की 350 वैध कालोनियों में 60 से 65 प्रतिशत कॉलोनी का भी डाटा अपलोड नहीं है। ऐसे में 500 से ज्यादा वैध कॉलोनी में डीम्ड परमिशन चाहने वालों को अपने-अपने लेआउट खोजना पड़ रहे हैं। वे इसके लिए ही परेशान होते फिर रहे हैं। यदि डाटा अपलोड हो जाए, तो 5 दिन में ही डीम्ड परमिशन भूखंड स्वामी को आसानी से मिल जाएगी।
प्रचार की जगह गुमराह कर रहे अधिकारी
- शासन ने एबीपीएस-2 कंपनी का डेटा अपलोड करने के लिए ग्वालियर-चंबल संभाग में एक कर्मचारी नियुक्त किया है। इस कारण वैध कॉलोनियों का डेटा अपलोड नहीं हो पा रहा है, जिस कारण लोगों को परेशानी हो रही है।
- भोपाल मुख्यालय पर बैठे अफसरों को उम्मीद थी कि डीम्ड परमिशन योजना का नगर निगमों में प्रचार-प्रसार होगा। इससे भूखंड मालिक पोर्टल पर डॉक्यूमेंट अपलोड कर परमिशन ले सकेंगे। इससे बैंक लोन भी मिलेगा।
- नगर निगम का अमला डीम्ड परमिशन लेने वालों को गुमराह कर बता रहा है कि उक्त परमिशन लेने पर निरस्त हो सकती है। इसलिए रेग्युलर परमिशन की सलाह दे रहे हैं।
शहर की अलग-अलग कॉलोनी में 105 वर्गमीटर में पकड़ी गई गड़बड़ी
निगम एरिया में 105 वर्गमीटर के भूखंड पर डीम्ड परमिशन बिल्डर और बड़े भूखंड स्वामियों ने नियम विरुद्ध तरीके से ले ली हैं। ये मामला भवन शाखा में सामने आने पर जांच कराई गई। उसमें सच्चाई सामने आई कि बिल्डर ने भी परमिशन ले ली है। इसके अलावा 105 वर्गमीटर से ज्यादा भूमि पर भूखंड मालिकों ने भी परमिशन ले रखी हैं। उक्त परमिशनों को निरस्त करने के लिए भवन निरीक्षकों ने अपनी-अपनी टीप लगाकर वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी है। ये मामले लक्ष्मीबाई कॉलोनी, लक्ष्मणपुरा बस्ती पड़ाव, प्रीतमपुर कालोनी गुढ़ा-गुढ़ी का नाका और सांईबाबा कॉलोनी में आदि में सामने आए हैं।