UP-MP बॉर्डर पर चल रहे सैकड़ों अवैध गुड़ कोल्हू,
UP-MP बॉर्डर पर चल रहे सैकड़ों अवैध गुड़ कोल्हू, हानिकारक केमिकल का हो रहा इस्तेमाल
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर एनजीटी की रोक के बावजूद अवैध गुड़ कोल्हू संचालित हो रहे हैं। प्रदूषण और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालने वाले ये कोल्हू स्थानीय प्रशासन और प्रदूषण बोर्ड की निगरानी से बाहर हैं। हानिकारक केमिकल का उपयोग और अवैध गुड़ उत्पादन समस्याओं को बढ़ा रहा है।
- यूपी-एमपी बॉर्डर पर चल रहा अवैध गुड़ कोल्हू
- एनजीटी की रोक के बावजूद हो रहे संचालित
- गुड़ में हानिकारक केमिकल का हो रहा उपयोग
ग्वालियर: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की प्रिंसिपल बैंच की रोक के बावजूद उत्तर प्रदेश के अनेक व्यापारी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर अवैध तरीके से गुड़ कोल्हू संचालित कर रहे हैं।प्रदूषण फैलाने व मानव जीवन पर व्यापक विपरीत असर होने के कारण एनजीटी ने इन गुड़ कोल्हू पर रोक लगाने संबंधी आदेश भी पारित कर रखा है लेकिन यह भी हवा हो गया है।
इसका पालन स्थानीय प्रशासन और मध्य प्रदेश राज्य प्रदूषण मंडल भी नहीं करवा पा रहा है, जबकि इससे संबंधित अनेक शिकायतें प्रदूषण बोर्ड को विगत दो वर्षों में की जा चुकी है।
अवैध गुड़ कोल्हू संचालित
बता दें, झांसी-इंदौर हाईवे सहित अंदरूनी क्षेत्रों में सैकड़ों और मध्य प्रदेश में हजारों गुड़ कोल्हू अवैध तरीके से संचालित किए जा रहे है। इसी तरह उत्तर प्रदेश के औरेया, झांसी और ललितपुर में गुड़ कोल्हू के कारण पर्यावरण के हालात बिगड़े हुए हैं। गुड़ निर्माण में हानिकारक केमिकल (सेफोलाइट) का भी इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है, जो कैंसर जैसे रोगों का मुख्य कारण है।
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इन अवैध गुड़ कोल्हू को संचालित करने में माफिया सक्रिय है, जो किसानों से सस्ते दामों में गन्ना खरीदते है और अवैध तरीके से गुड़ बनाते है। यही नहीं, गुड़ निर्माण का कोई मानक भी तय नहीं है। गुड़ को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें हानिकारक केमिकल (सेफोलाइट) का इस्तेमाल भी किया जा रहा है।
गुड़ कोल्हू दतिया क्षेत्र में अधिक हैं और निर्धारित गाइडलाइन का पालन किया जाना जरूरी है। गुड़ निर्माता छह माह या कुछ महीने काम करते हैं और स्थान बदल लेते हैं। उत्तर प्रदेश के लोग यह कार्य ज्यादा करते हैं क्योंकि वहां गन्ना ज्यादा होता है।
– आरएस सेंगर, क्षेत्रीय अधिकारी, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ग्वालियर