अवैध कब्जों से लोग परेशान…
अवैध कब्जों से लोग परेशान…:जमीन से बेदखली के आदेश हो रहे, लेकिन मौके पर न तहसीलदार पहुंचते हैं, न ही पुलिस बल
राजस्व और पुलिस की आपसी खींचतान के कारण लोग परेशान हो रहे हैं। खासकर प्राइवेट जमीन पर कब्जे को लेकर लोग तहसील और पुलिस थानों के चक्कर काटते रहते हैं। दरअसल, तहसीलदार जमीन से बेदखली के आदेश तो देते हैं, लेकिन मौके पर न तो वे स्वयं, न आरआई और ही न पुलिस बल पहुंचता है। इस तरह अतिक्रमणकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है। ऐसे रोज 8-10 मामले राजस्व विभाग में सामने आ रहे हैं।
इस तरह के मामलों की संख्या कोलार में सबसे ज्यादा है। यानी प्राइवेट जमीन पर कब्जे को लेकर राजस्व अधिकारी ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते। वहीं पूरे शहर की बात की जाए तो नक्शा तरमीम (सही करना) के ही 1.92 लाख मामले पेडिंग हैं। इस कारण नपती और नामांतरण नहीं हो पाते हैं। सरकारी जमीन पर भी बड़े स्तर पर कब्जे हो रहे हैं। बीते एक साल में 50 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमती जमीन को कब्जा मुक्त कराया।
कमिश्नर सिस्टम आने के बाद राजस्व और पुलिस विभाग में तालमेल की कमी देखने को मिली है। पुलिस थाने से बल नहीं मिलने के पीछे कई कारण बताए जाते हैं। इसमें ड्यूटी पर होने और तहसीलदार मौके पर नहीं होना प्रमुख कारण होता है।
- जनवरी 2023 में प्लॉट पर कब्जे की शिकायत कलेक्टर से की, अब तक न्याय नहीं मिला
तहसीलदार भी आरआई-पटवारी के भरोसे छोड़ देते हैं
तहसीलदार ऐसे मामलों में आदेश कर पूरी कार्रवाई पटवारी और आरआई के भरोसे छोड़ देते हैं। वह भी खानापूर्ति के लिए मौके पर पहुंच जाते हैं, लेकिन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती है।
कार्रवाई हुई नहीं, मिली सिर्फ तारीख पर तारीख
शाहपुरा के भरतनगर में रहने वाले प्रियंक पांडे के 1500 वर्गफीट के प्लॉट पर अवैध रूप से कब्जा किया गया। उन्होंने इसकी शिकायत जनवरी 2023 में कलेक्टर से की। जनवरी में कलेक्टर ने तहसीलदार को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। तहसीलदार कोलार साल में कई बार बेदखली के आदेश कर चुके हैं, लेकिन हर बार तारीख बदल दी गई। इसी महीने की 13 अगस्त को भी कार्रवाई की जाना था। निगम के अतिक्रमण अमले के साथ आरआई पटवारी पहुंच गए, लेकिन तहसीलदार नहीं पहुंचे। तहसीलदार के नहीं आने पर पुलिस थाने का बल नहीं पहुंचा।
नामांतरण और सीमांकन के भी कई मामले अटके
जमीन और राजस्व से जुड़े मामलों को लेकर महाअभियान चलाया जा रहा है। अगस्त के पहले सप्ताह तक भोपाल में नक्शे में बदलाव करने के करीब 2.10 लाख मामले थे। इनमें से सिर्फ करीब 18 हजार ही ठीक हो सके, जबकि 1.92 लाख मामले लंबित हैं। नामांतरण, सीमांकन के भी कई मामले अटके पड़े हुए हैं।
तहसीलदार ने पाया अवैध कब्जा, पर हटाया नहीं
कटारा हिल्स में रहवासियों ने अतिक्रमण की शिकायत पुलिस से लेकर सभी सक्षम अधिकारियों से की। तहसीलदार ने कब्जा अवैध पाया। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि वहां पर अवैध गतिविधियां संचालित हो रही हैं, लेकिन आज तक कब्जा नहीं हटाया गया। हर बार हटाने की अलग-अलग तारीख मिलीं।
हाल में शाहपुरा में अतिक्रमण हटाने के लिए निगम अमला तो पहुंच गया था, लेकिन न राजस्व अमला और न ही पुलिस बल पहुंचा। कार्रवाई नहीं हो पाई।
- समाधान….
तहसीलदार को मौके पर मौजूद होना चाहिए
अगर पुलिस को लगताहै कि तहसीलदार की मौजूदगी जरूरी है, तो तहसीलदार को मौके पर जाना चाहिए। पुलिस तो तहसीलदार के आदेश का पालन कराने के लिए मौके पर जाती है। लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति में तहसीलदार ही निर्णय लेने के लिए सक्षम अधिकारी होता है। इस कारण उसका मौके पर होना जरूरी होता है।
-रवि कुमार, रिटायर्डअपर कलेक्टर
तालमेल के लिए पुलिस कमिश्नर से बात करेंगे
सक्षम अधिकारी के आदेश के बाद उसका पालन कराना राजस्व के साथ पुलिस की जिम्मेदारी होती है। अगर किसी तरह की तालमेल में कोई कमी आ रही है, तो पुलिस कमिश्नर से बात करेंगे।
-कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर